पटना: नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर के बीच हाल में तल्ख बयानबाजी भी हुई थी और उसके बाद पवन वर्मा की बिहार में एंट्री हुई. फिर नीतीश कुमार के साथ प्रशांत किशोर की दाे घंटे तक बैठक चली (nitish kumar meets Prashant Kishor). मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर से मुलाकात की बात काे स्वीकार किया, लेकिन प्रशांत किशोर किस भूमिका में होंगे या काम करेंगे कि नहीं इस पर नीतीश कुमार ने कुछ भी नहीं बोला. इस मामले में प्रशांत किशोर से ही पूछ लेने की सलाह दी. वही प्रशांत किशोर ने भी इस पर कोई खुलासा नहीं किया है. लेकिन हाल ही में ललन सिंह ने प्रशांत किशोर को लेकर तल्ख बयान दिया था और यह भी कहा था कि बीजेपी के लिए काम कर रहे हैं. परदे के पीछे काम करने की जगह खुलकर काम करना चाहिए. ललन सिंह ने प्रशांत किशोर को व्यवसायी बताते हुए और सेल्समैन तक बताया था.
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ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा बन सकते हैंः प्रशांत किशोर के लिए नीतीश कुमार ने भले ही काम करने का ऑफर दिया हो, यदि प्रशांत किशोर इस बार फिर से काम करने का फैसला लेते हैं तो जदयू के नेता बड़ी चुनौती बन सकते हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा जदयू में दो बड़े नाम हैं. इन दोनों को मनाना होगा. 2018 में जब प्रशांत किशोर आए थे तो उस समय आरसीपी सिंह ने विरोध किया था. अब आरसीपी सिंह जदयू में नहीं है लेकिन ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा महत्वपूर्ण भूमिका में हैं. दोनों नेताओं के बयान हमेशा प्रशांत किशोर के विरोध में ही रहे हैं, इसलिए पार्टी के अंदर भी प्रशांत किशोर के लिए इस बार स्थिति सामान्य नहीं है.
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पार्टी में शामिल होंगे या फिर चुनावी रणनीतिकार बने रहेंगेः प्रशांत किशोर ने 2015 में बिहार में नीतीश कुमार के लिए काम किया था. 2015 में महागठबंधन की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका भी रही. बाद में प्रशांत किशोर को जदयू में 2018 में नीतीश कुमार ने शामिल भी करा लिया और दो नंबर की कुर्सी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर दे दी. लेकिन पार्टी के अंदर विरोध के कारण प्रशांत किशोर को जदयू से किनारा करना पड़ा. बाद में नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता भी दिखा दिया. लेकिन फिर से हुई मुलाकात के बाद यह चर्चा हाेने लगी है कि प्रशांत किशोर इस बार जदयू में शामिल होंगे या फिर चुनावी रणनीतिकार के तौर पर नीतीश कुमार के लिए काम करेंगे.
प्रशांत किशोर काे नीतीश कुमार के रूप में एक नया क्लाइंट फिर से मिल गयाः "हाल में नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर के बीच जिस प्रकार से तल्ख बयानबाजी हुई है उसके बाद भी प्रशांत किशोर, नीतीश कुमार से मिले हैं तो नीतीश कुमार के रूप में एक नया क्लाइंट फिर से मिल गया है. 2015 में भी नीतीश कुमार के लिए प्रशांत किशोर ने काम किया था. इवेंट मैनेजमेंट करवाते हैं, अपनी कंपनी चला रहे हैं. अभी उनके पास कोई क्लाइंट है भी नहीं"-अरुण पांडे, राजनीतिक विश्लेषक
आरजेडी और कांग्रेस की भी मुलाकात पर है नजरः बिहार में महागठबंधन की सरकार चल रही है. प्रशांत किशोर ने 2015 में बिहार में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद को एक साथ लाने में भी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. लेकिन अब स्थितियां बदल चुकी हैं. महागठबंधन की सरकार है और उसमें सात दल शामिल हैं. प्रशांत किशोर पिछले दिनों कांग्रेस के लिए भी काम करना चाहते थे और कांग्रेस अध्यक्ष सहित वरिष्ठ नेताओं से उनकी बातचीत भी हुई थी. ऐसे में नीतीश कुमार के लिए राष्ट्रीय राजनीति में यदि प्रशांत किशोर भूमिका निभाते हैं तो कांग्रेस भी इसे आसानी से नहीं लेने वाली है. महागठबंधन के घटक दल कांग्रेस और आरजेडी को भी मनाना है प्रशांत किशोर के लिए बड़ी चुनौती होगी. फिलहाल आरजेडी और कांग्रेस के नेता खुलकर कुछ भी बोलने से बचते दिख रहे हैं और इसे सामान्य मुलाकात बता रहे हैं.
"इस मुलाकात से आरजेडी का कोई लेना देना नहीं है. प्रशांत किशोर पहले भी नीतीश कुमार के लिए काम कर चुके हैं. नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में बिहार सरकार काम कर रही है, तो लोकप्रियता को देखकर कई लोग मिलने आ रहे हैं"- मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता, आरजेडी
"नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर की मुलाकात में यदि कोई राजनीतिक बात होगी तो हम लोग उस पर बयान देंगे. प्रशांत किशोर के सभी दलों के साथ संबंध हैं. बीजेपी के साथ भी संबंध रहे हैं. नीतीश कुमार के साथ भी संबंध रहे हैं. कांग्रेस में भी काम करना चाहते थे. कहीं भी स्थाई रूप से नहीं रहे" -समीर कुमार सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष कांग्रेस
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