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जातीय जनगणना पर सुशील मोदी की नसीहत- 'दबाव में आकर जल्दबाजी ना करें, टेबलेट से रियल टाइम गणना कराएं'

बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने बिहार में जातीय जनगणना को लेकर राज्य सरकार को नसीहत (Sushil Modi advice to government on caste census) दी है. उन्होंने सरकार से राजनीतिक दलों के दबाव में आकर हड़बड़ी नहीं करने की बात कहते हुए टेबलेट से रियल टाइम गणना कराने का सुझाव दिया है. पढ़ें पूरी खबर.

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Published : Jun 4, 2022, 8:09 PM IST

पटना: बिहार में जातीय जनगणना (Caste Census in Bihar) को लेकर लंबे समय से सियासत हो रही है. हालांकि शुरुआत में बीजेपी इसके पक्ष में नहीं थी लेकिन हवा का रुख देखते हुए उसने पटरी बदली. अब बीजेपी के नेता जातीय जनगणना पर बिहार सरकार नसीहत दे रहे हैं. पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी (Former Deputy CM Sushil Kumar Modi) बिहार सरकार को लगातार सुझाव दे रहे हैं. जातीय जनगणना कराने के लिए एहतियात बरतने की भी बात कह रहे हैं. अब उन्होंने सरकार कहा है कि राजनीतिक दलों के दबाव में हड़बड़ी न करें.

ये भी पढ़ें: संजय जायसवाल के रोहिंग्या वाले सवाल पर मुंह फेर गए नीतीश कुमार.. सुने.. रुके.. फिर चलते बने

आधुनिक तरीके हो जातीय जनगणना: बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने एक बयान जारी कर बिहार सरकार को सुझाव दिया है कि प्रस्तावित जातीय जनगणना पेपर सर्वे के बजाय इलोक्ट्रोनिक सर्वे या ई-सर्वे के माध्यम से कराया जाना चाहिए. इसमें टेबलेट के माध्यम से सारी सूचना एकत्र करेंगे ताकि रियल टाइम आंकड़े अपलोड किये जा सकें. साथ ही जनगणना 2022 और बिहार की जातीय जनगणना एक समय में नहीं हो. सुशील मोदी ने कहा कि 2021 की जनगणना ई-सेन्सस होने जा रही है. उसी तर्ज पर प्रत्येक जिले कि जातियों, उप जातियों को कोडिंग कर, ड्राप डाउन मेनू के माध्यम से जातीय जनगणना करने के लिए सॉफ्टवेयर विकसित किया जाय ताकि मानवीय हस्तक्षेप न्यूनतम हो.

आर्थिक और जातीय ही नहीं, सर्वे सामाजिक भी होना चाहिए: बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने कहा कि यह सर्वे केवल आर्थिक और जातीय ही नही बल्कि सामाजिक भी होना चाहिए. प्रत्येक जाति की स्थिति का आकलन करने के लिए प्रत्येक परिवार की शिक्षा, दिव्यांगता, ग्रसित बीमारियां, पशु-धन, चल-अचल सम्पत्ति, रोजगार, भूमि की उपलब्धता, स्वास्थ्य आदि से जुड़े प्रश्नों की सूची तैयार कर पूछा जाना चाहिए. सुशील मोदी ने कहा कि सरकार को अन्य दलों के दबाव में जल्दबाजी करने जरुरत नहीं है बल्कि पूरी तैयारी, प्रशिक्षण, मार्गदर्शिका निर्माण, प्रश्न-सूची, सोफ्टवेयर, टेबलट की व्यवस्था कर ही सर्वे किया जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें: रोहिंग्या-बांग्लादेशी को लेकर के घमासान पर बोले अख्तरुल इमान- BJP जातीय जनगणना से घबरा रही है

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पटना: बिहार में जातीय जनगणना (Caste Census in Bihar) को लेकर लंबे समय से सियासत हो रही है. हालांकि शुरुआत में बीजेपी इसके पक्ष में नहीं थी लेकिन हवा का रुख देखते हुए उसने पटरी बदली. अब बीजेपी के नेता जातीय जनगणना पर बिहार सरकार नसीहत दे रहे हैं. पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी (Former Deputy CM Sushil Kumar Modi) बिहार सरकार को लगातार सुझाव दे रहे हैं. जातीय जनगणना कराने के लिए एहतियात बरतने की भी बात कह रहे हैं. अब उन्होंने सरकार कहा है कि राजनीतिक दलों के दबाव में हड़बड़ी न करें.

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आधुनिक तरीके हो जातीय जनगणना: बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने एक बयान जारी कर बिहार सरकार को सुझाव दिया है कि प्रस्तावित जातीय जनगणना पेपर सर्वे के बजाय इलोक्ट्रोनिक सर्वे या ई-सर्वे के माध्यम से कराया जाना चाहिए. इसमें टेबलेट के माध्यम से सारी सूचना एकत्र करेंगे ताकि रियल टाइम आंकड़े अपलोड किये जा सकें. साथ ही जनगणना 2022 और बिहार की जातीय जनगणना एक समय में नहीं हो. सुशील मोदी ने कहा कि 2021 की जनगणना ई-सेन्सस होने जा रही है. उसी तर्ज पर प्रत्येक जिले कि जातियों, उप जातियों को कोडिंग कर, ड्राप डाउन मेनू के माध्यम से जातीय जनगणना करने के लिए सॉफ्टवेयर विकसित किया जाय ताकि मानवीय हस्तक्षेप न्यूनतम हो.

आर्थिक और जातीय ही नहीं, सर्वे सामाजिक भी होना चाहिए: बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने कहा कि यह सर्वे केवल आर्थिक और जातीय ही नही बल्कि सामाजिक भी होना चाहिए. प्रत्येक जाति की स्थिति का आकलन करने के लिए प्रत्येक परिवार की शिक्षा, दिव्यांगता, ग्रसित बीमारियां, पशु-धन, चल-अचल सम्पत्ति, रोजगार, भूमि की उपलब्धता, स्वास्थ्य आदि से जुड़े प्रश्नों की सूची तैयार कर पूछा जाना चाहिए. सुशील मोदी ने कहा कि सरकार को अन्य दलों के दबाव में जल्दबाजी करने जरुरत नहीं है बल्कि पूरी तैयारी, प्रशिक्षण, मार्गदर्शिका निर्माण, प्रश्न-सूची, सोफ्टवेयर, टेबलट की व्यवस्था कर ही सर्वे किया जाना चाहिए.

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