पटना: बिहार में जातीय जनगणना (Caste Census in Bihar) को लेकर लंबे समय से सियासत हो रही है. हालांकि शुरुआत में बीजेपी इसके पक्ष में नहीं थी लेकिन हवा का रुख देखते हुए उसने पटरी बदली. अब बीजेपी के नेता जातीय जनगणना पर बिहार सरकार नसीहत दे रहे हैं. पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी (Former Deputy CM Sushil Kumar Modi) बिहार सरकार को लगातार सुझाव दे रहे हैं. जातीय जनगणना कराने के लिए एहतियात बरतने की भी बात कह रहे हैं. अब उन्होंने सरकार कहा है कि राजनीतिक दलों के दबाव में हड़बड़ी न करें.
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टेबलेट के माध्यम से ई- गणना द्वारा जातीय गणना कराई जाए। सर्वे में जातीय, आर्थिक के साथ-साथ सामाजिक आकलन का भी प्रावधान किया जाना चाहिए। pic.twitter.com/pjnGiz0M4V
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— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) June 4, 2022
आधुनिक तरीके हो जातीय जनगणना: बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने एक बयान जारी कर बिहार सरकार को सुझाव दिया है कि प्रस्तावित जातीय जनगणना पेपर सर्वे के बजाय इलोक्ट्रोनिक सर्वे या ई-सर्वे के माध्यम से कराया जाना चाहिए. इसमें टेबलेट के माध्यम से सारी सूचना एकत्र करेंगे ताकि रियल टाइम आंकड़े अपलोड किये जा सकें. साथ ही जनगणना 2022 और बिहार की जातीय जनगणना एक समय में नहीं हो. सुशील मोदी ने कहा कि 2021 की जनगणना ई-सेन्सस होने जा रही है. उसी तर्ज पर प्रत्येक जिले कि जातियों, उप जातियों को कोडिंग कर, ड्राप डाउन मेनू के माध्यम से जातीय जनगणना करने के लिए सॉफ्टवेयर विकसित किया जाय ताकि मानवीय हस्तक्षेप न्यूनतम हो.
आर्थिक और जातीय ही नहीं, सर्वे सामाजिक भी होना चाहिए: बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने कहा कि यह सर्वे केवल आर्थिक और जातीय ही नही बल्कि सामाजिक भी होना चाहिए. प्रत्येक जाति की स्थिति का आकलन करने के लिए प्रत्येक परिवार की शिक्षा, दिव्यांगता, ग्रसित बीमारियां, पशु-धन, चल-अचल सम्पत्ति, रोजगार, भूमि की उपलब्धता, स्वास्थ्य आदि से जुड़े प्रश्नों की सूची तैयार कर पूछा जाना चाहिए. सुशील मोदी ने कहा कि सरकार को अन्य दलों के दबाव में जल्दबाजी करने जरुरत नहीं है बल्कि पूरी तैयारी, प्रशिक्षण, मार्गदर्शिका निर्माण, प्रश्न-सूची, सोफ्टवेयर, टेबलट की व्यवस्था कर ही सर्वे किया जाना चाहिए.
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