पटना: बिहार में कानून व्यवस्था लगातार बनी रहे, इसको लेकर बिहार पुलिस लगातार अपराधियों को सजा दिला रही है. जीरो टॉलरेंस की नीति पर बिहार पुलिस (Bihar Police on Zero Tolerance Policy) कार्य कर रही है. इसके तहत साल 2020 में 1417 अपराधियों का दोष सिद्ध करवाया गया था. वहीं साल 2021 के नवंबर माह तक यह संख्या बढ़कर 2305 हो गई है. यानी कि साल 2020 की तुलना में साल 2021 में बिहार पुलिस द्वारा सजायाफ्ता दर में 63% की वृद्धि हुई है. सजा पाने वालों में आतंकियों से लेकर शराबबंदी कानून को तोड़ने वाले लोग शामिल हैं, जिन्हें सजा दिलवाई गई है.
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'साल 2021 के नवंबर तक 2305 अपराधियों का दोष सिद्ध करवाया गया है. उनमें से नवंबर महीने में कुल 121 कांडों में 185 अपराधियों को दोषी साबित करवाया गया है. इसमें आर्म्स एक्ट, हत्या, डकैती, अपहरण, दुष्कर्म, मद्य निषेध, एससी/एसटी पॉक्सो और विविध शामिल है. 4 को फांसी की सजा, 15 को आजीवन कारावास, 18 को 10 वर्ष या 10 वर्ष से अधिक की सजा, 55 को 10 वर्ष से कम की सजा और 63 लोगों को 2 वर्ष की सजा दिलवाई गई है. वहीं बिहार के अरवल जिला में सबसे ज्यादा सजा दिलवाई गई है. अरवल में कुल 76 में 29, नवगछिया में 14, कैमूर में 58, खगड़िया में 45, जमुई में 50, सारण में 66, कटिहार में 49, गोपालगंज में 63, सहरसा में 25 लोगों को सजा दिलवाई गई है.' -जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय
बिहार पुलिस मुख्यालय के वेबसाइट के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2020 में कुल 2,57,506 मामले दर्ज किए गए थे, जिसमें हत्या के 3149, डकैती के 222, लूट के 1902, चोरी के 31,971, दंगा के 9480, किडनैपिंग के 8004, रेप के 1438 मामले दर्ज किए गए थे. वहीं साल 2021 के सितंबर माह तक पूरे बिहार में कुल 2,07,400 मामले दर्ज किए गए हैं. उसमें हत्या के 2168, डकैती के 198, लूट के 1861, चोरी के 28,259, दंगा के 4876, किडनैपिंग के 7956, रेप के 1168 मामले अब तक दर्ज हो चुके हैं. आंकड़ों की बात करें तो कुछ मामलों में गिरावट आई है, तो कुछ मामलों में बढ़ोतरी भी हुई है. बिहार में अपराधियों को सजा लगातार दिलवायी जा रही है.
साल 2021 से के कुछ महत्वपूर्ण एवं चर्चित केस जिसमें त्वरित विचरण करते हुए दोष सिद्ध करवाया गया है, उनमें से एनआईए पटना कांड भी शामिल है. बीजेपी के हुंकार रैली के दौरान राजधानी पटना के गांधी मैदान में हुए बम ब्लास्ट मामले में अभियुक्त इम्तियाज अंसारी सहित चार को फांसी की सजा, अभियुक्त उमर सिद्दिकी, अजहरुद्दीन को आजीवन कारावास, अभियुक्त अहमद हुसैन, फिरोज आलम को 10-10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं अभियुक्त इफ्तार आलम को 7 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है.
वहीं बिहार उत्पाद अधिनियम 2016 में जहरीली शराब से हुई मौत के मामले में अभियुक्त वीरेंद्र कुशवाहा, रोहित कुमार को 10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5-5 लाख का आर्थिक दंड दिया गया है. गोपालगंज कटेया थाना जहरीली शराब कांड मामले में अभियुक्त मिंटू चौहान और हरे राम ठाकुर को 7-7 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 3 लाख रुपये का आर्थिक दंड दिया गया है. वहीं गोपालगंज कांड संख्या 30/21 उत्पाद अधिनियम के अभियुक्त धीरज कुमार को 10 वर्ष सश्रम कारावास व 2 लाख का आर्थिक दंड दिलवाया गया है.
सुपौल के निर्मली थाना कांड संख्या 166/19 में पोक्सो एक्ट के अभियुक्त रोहित कुमार को 10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 50 हजार का आर्थिक दंड दिलवाया गया है. सीतामढ़ी के मेजरगंज थाना कांड संख्या 66/19 में अभियुक्त राकेश महत्व को आजीवन कारावास की सजा दिलवाई गई है. नालंदा के बिहार थाना अंतर्गत कांड संख्या 457/15 के अभियुक्त मोदी उर्फ विवेक और रितेश कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.
अररिया उत्पाद अधिनियम के अभियुक्त साबिर शेख पश्चिम बंगाल को 10 वर्ष सश्रम कारावास एवं 5 लाख का अर्थदंड लगाया गया है. पूर्णिया के जानकीनगर में चार पोक्सो एक्ट में अभियुक्त केशव शर्मा को 10 वर्ष की सजा सुनाई गई है. सारण जिले के मोहरा थाना अंतर्गत एनडीपीएस एक्ट में दो अभियुक्त को 15-15 वर्ष का सश्रम कारावास हुआ है. साल 2021 के नवंबर माह में अपराध कर्मियों को दोषी साबित करवाने वाले जिले में पटना और अरवल सबसे ऊपर है. यहां पर 13-13 अभियुक्तों को सजा दिलवाई गई है. वहीं दूसरे नंबर पर बेगूसराय में 12. कैमूर में 11. जमुई में 9. नालंदा में 8 अपराध कर्मियों को सजा सुनाई गई.
पुलिस मुख्यालय के डीजे जितेंद्र सिंह गंगवार की मानें तो बिहार में कानून का राज स्थापित हो सके, जिस वजह से अपराधियों पर स्पीडी ट्रायल चलवा कर पिछले साल की तुलना में इस वर्ष ज्यादातर अपराधियों को आजीवन कारावास 10 वर्ष के ऊपर की सजा या फांसी की सजा दिलवाई गई है. जिन जिलों में ज्यादा अपराधियों को सजा दिलवाई गई है, उन जिलों के एसपी को पुलिस मुख्यालय के द्वारा सम्मानित भी किया जाएगा. मद्य निषेध के साथ-साथ पोक्सो एक्ट, एससी एसटी एक्ट और आतंकियों को भी सजा दिलवाई गई है. बिहार में लगातार अपराधियों को कड़ी सजा दिलवाने का असर है कि अपराधियों का हौसला टूट रहा है. आम जनता का पुलिस पर विश्वास बढ़ रहा है.
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