पटना: जदयू की ओर से अमित शाह की रैली (Amit Shahs Rally In Patna) के बाद 27 सितंबर को ना केवल सीमांचल में बल्कि पूरे बिहार में प्रखंड स्तर पर बड़ा अभियान शुरू करने का फैसला लिया गया है. प्रखंड स्तर पर मार्च निकाला जाएगा. इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए पार्टी ने पूरी ताकत लगा दी है. महागठबंधन की सरकार बनने के बाद पहली बार हुई सभी प्रकोष्ठ की बैठक में ललन सिंह ने प्रकोष्ठ के नेताओं को टास्क दिया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की महंगाई, बेरोजगारी के विरोध में और माहौल बिगाड़ने की बीजेपी की कोशिश के खिलाफ 27 सितंबर के मार्च को सफल बनाये.
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ललन सिंह ने बीजेपी पर बोला हमला : उन्होंने कहा कि बीजेपी के लोग लगातार सामाजिक सद्भाव खराब करने में लगे हैं. इसलिए लोगों को और जागरूक भी किया जाएगा. प्रकोष्ठ के नेता भी कह रहे हैं कि बीजेपी को हम लोग मुंहतोड़ जवाब देंगे. यह रणनीति बनी है. वहीं बीजेपी का कहना है कि नीतीश कुमार को समझना होगा, बीजेपी जैसी पार्टी अब विपक्ष में है. उन्हें कानून-व्यवस्था के सवाल पर जवाब देना होगा, बेगूसराय वाली घटना में जो उनकी मंशा थी, वह सब देख चुके हैं.
ललन सिंह ने अमित शाह की रैली पर उठाए सवाल : बिहार में नीतीश कुमार के एनडीए से बाहर निकलने और महागठबंधन के साथ सरकार बनाने के बाद पहली बार जदयू में सभी प्रकोष्ठ की बैठक शुरू हुई है. बैठक 2 दिनों तक चलेगी. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह की अध्यक्षता में पहले दिन की बैठक हुई और ललन सिंह ने प्रकोष्ठ के नेताओं को 27 सितंबर को होने वाले प्रखंड स्तर पर पार्टी के मार्च को सफल बनाने का टास्क दिया.
'महंगाई बेरोजगारी जैसे मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए सांप्रदायिक माहौल खराब करने में बीजेपी के लोग लगे हैं. लेकिन हम लोग 27 सितंबर को महंगाई, बेरोजगारी और सांप्रदायिक माहौल खराब करने की जो कोशिश हो रही है, उसके खिलाफ प्रखंड स्तर पर मार्च निकालकर पूरे देश में संदेश देने की कोशिश करेंगे. विभिन्न प्रकोष्ठ के नेताओं ने कहा है कि बीजेपी को मुंहतोड़ जवाब हम लोग देंगे और इस कार्यक्रम को सफल बनाएंगे.' - ललन सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जदयू
'नीतीश कुमार को समझना होगा कि मुकाबला उस विपक्ष से नहीं है जो महत्वपूर्ण मुद्दों पर बिहार से बाहर भाग जाता था. विपक्ष में अब बीजेपी जैसी सशक्त जागरूक विपक्ष है. आपको हर मुद्दे पर घेरेगी. लॉ एंड ऑर्डर के मुद्दे पर आपके पास कोई जवाब नहीं है. बताइए अपराधी बेखौफ क्यों घूम रहे हैं, अपराधियों का मनोबल क्यों इतना बड़ा है कि पुलिस बल पर हमला कर रहे हैं.' - संजय टाइगर, बीजेपी प्रवक्ता
बीजेपी ने बिहार सरकार पर बोला हमला : बिहार में माहौल खराब करने के आरोप पर बीजेपी प्रवक्ता का कहना है कि सरकार आपकी है, जेल के सलाखों के पीछे डालिए आप सत्ता में है, बच नहीं सकते. पहला मुख्यमंत्री होंगे जिस प्रकार से बेगूसराय की घटना हुई है और उन्होंने बयान दिया. जबकि एफआईआर की स्याही सूखी भी नहीं थी तो मंशा तो इनकी साफ है किस तरफ ले जाना चाहते थे. जदयू में इन दिनों सदस्यता अभियान चल रहा है और पार्टी ने 70,00000 से अधिक सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है. सभी प्रकोष्ठ को इसे सफल बनाने का टास्क दिया गया है. इसके साथ संगठन को मजबूत करने और सरकार के कार्यक्रमों को भी लोगों तक सही ढंग से पहुंचे इस पर नजर बनाए रखने का टास्क दिया गया है.
अमित शाह की रैली पर JDU की नजर : लेकिन सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अमित शाह की रैली के बाद पार्टी की होने वाले 27 सितंबर के कार्यक्रम को हर हाल में सफल बनाने पर जोर दिया है. ऐसे भी पार्टी के तरफ से लगातार संवाद और अन्य माध्यमों से अमित शाह के कार्यक्रम को लेकर निशाना साधा जा रहा है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह लगातार अमित शाह के दौरे को लेकर बयान भी दे रहे हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का कार्यक्रम 23 और 24 सितंबर को पूर्णिया और किशनगंज में है. इसलिए जदयू की तरफ से यह पूरी कोशिश हो रही है कि अधिक से अधिक उसे निशाना बनाया जाए. अब उसमें प्रकोष्ठ के लोगों को भी पार्टी अहम जिम्मेवारी दी है.
अमित शाह की सीमांचल में 23 और 24 सितंबर को रैली : जेडीयू की नजर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सीमांचल में 23 और 24 सितंबर को होने वाली रैली पर है. इसके साथ ही पार्टी कई तरह के संवाद और संगठन को मजबूत करने के लिए कार्यक्रम चला रही है तो उसे भी और मजबूती से चलाने पर रणनीति तैयार करेगी. महागठबंधन के घटक दलों के साथ निचले स्तर पर बेहतर तालमेल हो, इस पर भी राष्ट्रीय अध्यक्ष चर्चा करेंगे. महागठबंधन की तरफ से पूरे बिहार में सम्मेलन की भी तैयारी हो रही है तो उसको लेकर भी सभी प्रकोष्ठ को जिम्मेवारी दी जाएगी.
अमित शाह के सीमांचल दौरे से जदयू चौकन्नाः दरअसल, जेडीयू नेताओं को लग रहा है कि अमित शाह के सीमांचल दौरे से बीजेपी की सियासत को धार मिलने वाली है. ऐसे में डैमेज कंट्रोल के लिए नीतीश कुमार ने अल्पसंख्यक और पिछड़ों अति पिछड़ों को संदेश देने की कोशिश की है कि हम पूरी तरह आपके साथ हैं, आपको डरने की जरूरत नहीं है. पिछले कुछ साल से बीजेपी की नजर अति पिछड़ा वोट बैंक पर है. रणनीति के तहत बीजेपी ने अति पिछड़ा समुदाय से आने वाले दो नेताओं को उप मुख्यमंत्री बनाया था. साथ ही धानुक जाति से आने वाले अति पिछड़ा समुदाय के नेता को राज्यसभा भी भेजा था.