पटना: 16 और 17 जुलाई की आधी रात को सूर्यग्रहण के बाद खंडग्रास चंद्रग्रहण लगने जा रहा है. इस साल का यह पहला और आखिरी चंद्रग्रहण है. मंगलवार रात्रि 1 बजकर 31 मिनट से शुरू होने वाला यह ग्रहण रात्रि को 4 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. आज लगने वाला चंद्र ग्रहण भी पिछले साल की तरह ही गुरु पूर्णिमा के अवसर पर लग रहा है.
चंद्रग्रहण के सूतक काल का समय
- साल 2019 में लगने वाले चंद्रग्रहण में से एक 16 जुलाई यानी आज लग रहा है. यह चंद्रग्रहण 16 और17 जुलाई की रात में 01:32 बजे से शुरू होकर 4:31 बजे तक रहेगा.
- चंद्र ग्रहण 2019 में सूतक शुरू होने का समय - 16 जुलाई को 4 बजकर 25 मिनट.
- चंद्र ग्रहण 2019 में सूतक समाप्त होने का समय - सूतक खत्म होने का समय रहेगा 17 जुलाई सुबह 4:40 मिनट तक.
कितने घंटे का होगा चंद्रग्रहण
चंदग्रहण 16 जुलाई को 1:32 मिनट पर शुरु होगा और सुबह 4:30 तक रहेगा. इस प्रकार ग्रहण का समय दो घंटे अठावन मिनट यानी तकरीबन तीन घंटे रहेगा.
कब होता है चंद्र ग्रहण?
चंद्रग्रहण उस खगोलीय स्थिति को कहते हैं जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रतिच्छाया में आ जाता है. ऐसे में सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में आ जाते हैं. चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण हमेशा साथ-साथ होते हैं और सूर्यग्रहण से दो सप्ताह पहले चंद्रग्रहण होता है.
ग्रहण के दौरान ये न करें :
- ग्रहण के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए.
- ग्रहण के दौरान सोना भी नहीं चाहिए.
- ग्रहण को नग्न आखों से न देखें.
- भगवान की मूर्ति स्पर्श ना करें.
- किसी नए काम की शुरूआत न करें.
सूतक काल के बारे में धार्मिक मान्यता
सूतक काल का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार सूर्य और चंद्रग्रहण दिखाई देने पर सूतक के कई मायने हैं. सूर्यग्रहण में सूतक का प्रभाव लगभग 12 घंटे पहले शुरू हो जाता हैं. वहीं चंद्र ग्रहण में यह अवधि 9 घंटे की हो जाती है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक ग्रहण के दौरान सूतक लगने पर नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, इसलिए इस दौरान कोई भी धार्मिक या शुभ कार्य करने से बचना चाहिए.
वैज्ञानिक मान्यता
ग्रहण के वक्त वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. इसलिए यह समय को अशुभ माना जाता है. इस दौरान अल्ट्रावॉयलेट किरणें निकलती हैं जो एंजाइम सिस्टम को प्रभावित करती हैं, इसलिए ग्रहण के दौरान सावधानी बरतने की जरूरत होती है. इस समय चंद्रमा, पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है, जिससे गुरुत्वाकर्षण का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है. इसी कारण समुद्र में ज्वार भाटा आते हैं. भूकंप भी गुरुत्वाकर्षण के घटने और बढ़ने के कारण ही आते हैं.