पटना: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में जिस तरीके के राजनीतिक हालात बने हैं, उससे एक बात तो साफ हो गया है कि और राष्ट्रीय जनता दल के भीतर गृहयुद्ध छिड़ गया है. बुधवार की शाम जगदानंद सिंह (Jagdanand Singh) पूर्व सीएम राबड़ी देवी (Rabri Devi) के आवास पहुंचे, बैठक हुई. उसके बाद जिस तरीके की राजनीतिक गतिविधियां बढ़ीं, परिवार के भीतर की गुटबाजी और गृह क्लेश की राजनीति साफ-सफ सामने आ गई. जगदानंद सिंह पार्टी कार्यालय गए और राष्ट्रीय जनता दल के युवा अध्यक्ष को हटा दिया. पहले युवा अध्यक्ष के पद पर तेज प्रताप यादव ने अपने नजदीकी को रखा था लेकिन जगदानंद सिंह ने उसे हटाकर यह बता दिया कि 11 दिन बाद वह पार्टी कार्यालय आए हैं तो एक-एक कर 11 दिन के बाकी चीजों का हिसाब-किताब होगा.
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तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) के बयान और टिप्पणी से नाराज जगदानंद सिंह ने पार्टी दफ्तर जाना बंद कर दिए था. 15 अगस्त को जब जगदानंद सिंह ने झंडा नहीं फहराया तो उसी समय से यह बातें शुरू हो गई थी कि क्या अब जगदानंद सिंह दूसरे रघुवंश प्रसाद सिंह होंगे. हालांकि लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) और तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) द्वारा मान-मनौवल किया जाता रहा. जगदानंद माने तो घर में लड़ाई शुरू हो गई. यह किसी आरोप या राजद के भीतर की सिर्फ कही जाने वाली बात नहीं है. बल्कि तेज प्रताप यादव इस घटनाक्रम के बाद जिस तरीके से मुखर हुए हैं, उसके बाद एक बात बिल्कुल साफ हो गई कि राजद के अंदर खाने में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है.
जगदानंद सिंह द्वारा की गई कार्रवाई के बाद तेज प्रताप यादव ने ट्वीट किया और पूरी भड़ास निकाल दी. उन्होंने कहा कि प्रवासी लोगों से अध्यक्ष ने जो राय लिया, उन लोगों ने बिहार की हकीकत को समझने की कोशिश नहीं की. अब सवाल यह उठ रहा है कि तेज प्रताप यादव ने प्रवासी किसको कहा. 2017 के बाद से लालू यादव पटना लौटकर नहीं आए हैं. मीसा भारती (Misa Bharti) भी पटना में नहीं हैं. ऐसे में तेज प्रताप यादव का यह गुस्सा किस तरफ है. अगर प्रवासी के तौर पर उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तरफ इशारा किया है तो भी यह तय है कि लालू के बड़े लाल नाराज हैं. अगर यह मीसा भारती की ओर है तो इसमें दो राय नहीं कि लालू यादव के बड़े बेटे और छोटे बेटे के बीच राजनीतिक घमासान की खाई चौड़ी हो गई है.
हर बार यह बातें कही जाती रही हैं- तेज रफ्तार है तेजस्वी की सरकार है. ऐसे में विभेद क्यों है. मानने ना मानने की बात यहीं से शुरू हो रही है. तेजस्वी की सरकार है और तेज प्रताप की जो रफ्तार है, उसमें बहुत कुछ मेल नहीं खा रहा है. अब तेज प्रताप की रफ्तार ने अपने पार्टी के भीतर के लोगों को या पार्टी के कार्यकर्ताओं में से कुछ लोगों को या फिर पार्टी के कर्ताधर्ता कुछ लोगों को प्रवासी बता दिया. इससे एक बात तो साफ है कि या तो तेज प्रताप को बातचीत में रखा नहीं गया या जो बात की जानी थी उसमें तेज प्रताप की कोई अहमियत थी ही नहीं. यही वजह है कि तेज प्रताप यादव ने ट्वीट करके अपने गुस्से का इजहार कर दिया.
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सियासत में जो होता है वह आसानी से दिखता नहीं. क्योंकि दिखने वाली हर चीज खबर नहीं बन पाती. इस बात की चर्चा काफी लंबे समय से थी कि तेज प्रताप और तेजस्वी यादव में राजनीतिक दूरी लगातार बढ़ती जा रही है. चाहे तेज प्रताप के पोस्टर लगाने की बात हो या फिर तेज प्रताप द्वारा लगाए गए पोस्टर पर कालिख पोतने की. तेज प्रताप द्वारा लिए गए निर्णय को जगदानंद सिंह द्वारा पलटने की या फिर अब बदल रहे राजद के राजनीतिक हालात की. कुल मिलाकर यह एक राजनीतिक घटनाक्रम की शुरुआत है. अब आगे-आगे देखिए होता क्या है. क्योंकि राजद के भीतर बहुत कुछ अब सामान्य रहा नहीं है. खासतौर से लालू यादव और उनके परिवार वाली पार्टी के अंदर.