ETV Bharat / city

छोटी दिवाली के दिन होती है यमराज की पूजा, जानिए इसकी पौराणिक कथा

छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है. बताया जाता है कि पूरे साल में सिर्फ एक दिन ऐसा होता है, जब घरों में यमराज की पूजा की जाती है.इस दिन जब सभी घर के सदस्य खाना खा लेते हैं, तो घर की बड़ी बुजुर्ग महिलाएं यम का दिया निकालती है. पढ़ें पूरी खबर...

KNOW THE MYTHOLOGY OF CHHOTI DIWALI
KNOW THE MYTHOLOGY OF CHHOTI DIWALI
author img

By

Published : Nov 3, 2021, 8:39 AM IST

पटना: भारत को पारंपरिक और सांस्कृतिक उत्सव का देश कहा जाता है. यहां अलग-अलग सभ्यता, धर्म और संस्कृति से जुड़े लोग रहते हैं. इसी कारण यहां सालों भर विभिन्न तरह के त्योहार मनाए जाते हैं. विविघताओं से भरे इस धर्मनिरपेक्ष देश में लोग हमेशा मेलों और त्योहारों के उत्सव रंगे रहते हैं. विविध धर्म के लोग अपने त्योहार को अपने रीत-रिवाज और विश्वास के अनुसार अलग अंदाज में हर एक पर्व को मनाते हैं. इसी क्रम में लोग दीपों के त्योहार दीपावली के स्वागत में जुटे हुए हैं. दीपावली से एक दिन पहले छोटी दिवाली ( Chhoti Diwali 2021 ) मनाई जाती है.

छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है. बताया जाता है कि पूरे साल में सिर्फ एक दिन ऐसा होता है, जब घरों में यमराज की पूजा की जाती है. जानकारों के अनुसार, इस दिन जब सभी घर के सदस्य खाना खा लेते हैं, तो घर की बड़ी बुजुर्ग महिलाएं यम का दिया निकालती हैं. ऐसी परंपरा है कि ऐसा करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा का क्षरण होता है और सकारात्मक ऊर्जा का घर में प्रवेश होता है.

ये भी पढ़ें- विश्व रिकार्ड बनाएगा दीपोत्सव कार्यक्रम, 7.50 लाख दीयों से जगमग होगी रामनगरी


बताया जाता है कि यमदेव को प्रसन्न करने के लिए या फिर जिस घर में यम के संताप है उसे दूर करने के लिए यम का दीप नीकाला जाता है. यह पुराने दीए में तेल की बाती को जलाकर घर के मुख्य द्वार के बाहर दक्षिण की दिशा में रखा जाता है. इस दीप में घी, कपूर और किसी प्रकार के कोई नए सामान का प्रयोग नहीं किया जाता है. ऐसा माना जाता है यमराज के लिए तेल का दीपक जलाने से अकाल मृत्यु टल जाती है.

ये भी पढ़ें- पटना में पटाखों पर बैन फिर भी खुलेआम बिक रहे पटाखे, नियमों की उड़ी धज्जियां

छोटी दिवाली को आयु प्राप्ति के साथ-साथ सौन्दर्य प्राप्ति का दिन भी कहा जाता है. जानकारों की माने तो इस दिन सौन्दर्य के प्रतीक शुक्र की भी की जाती है. बताया जाता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था. इसलिए इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की भी उपासना की जाती है.


दंतकथाओं की माने तो हिरण्‍यगर्भ नामक एक राजा राज-पाट छोड़कर तप में विलीन हो गया. कई वर्षों तक तपस्‍या करने के बाद उसके शरीर कीड़े पड़ गए. इस बात से दुखी होकर हिरण्‍यगर्भ ने नारद मुनि को अपनी कष्ट सुनाई.जिसके बाद. नारद मुनि ने राजा को कार्तिक मास कृष्‍ण पक्ष चतुर्दशी के दिन शरीर पर लेप लगाकर सूर्योदय से पहले स्‍नान करने के बाद श्री कृष्‍ण की पूजा करने की सलाह दी. राजा ने मुनि के सलाह पर श्री कृष्‍ण की आराधना कर फिर से रूपवान हो गए और तभी से इस दिन को रूप चतुर्दशी भी कहा जाने लगा.

पटना: भारत को पारंपरिक और सांस्कृतिक उत्सव का देश कहा जाता है. यहां अलग-अलग सभ्यता, धर्म और संस्कृति से जुड़े लोग रहते हैं. इसी कारण यहां सालों भर विभिन्न तरह के त्योहार मनाए जाते हैं. विविघताओं से भरे इस धर्मनिरपेक्ष देश में लोग हमेशा मेलों और त्योहारों के उत्सव रंगे रहते हैं. विविध धर्म के लोग अपने त्योहार को अपने रीत-रिवाज और विश्वास के अनुसार अलग अंदाज में हर एक पर्व को मनाते हैं. इसी क्रम में लोग दीपों के त्योहार दीपावली के स्वागत में जुटे हुए हैं. दीपावली से एक दिन पहले छोटी दिवाली ( Chhoti Diwali 2021 ) मनाई जाती है.

छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है. बताया जाता है कि पूरे साल में सिर्फ एक दिन ऐसा होता है, जब घरों में यमराज की पूजा की जाती है. जानकारों के अनुसार, इस दिन जब सभी घर के सदस्य खाना खा लेते हैं, तो घर की बड़ी बुजुर्ग महिलाएं यम का दिया निकालती हैं. ऐसी परंपरा है कि ऐसा करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा का क्षरण होता है और सकारात्मक ऊर्जा का घर में प्रवेश होता है.

ये भी पढ़ें- विश्व रिकार्ड बनाएगा दीपोत्सव कार्यक्रम, 7.50 लाख दीयों से जगमग होगी रामनगरी


बताया जाता है कि यमदेव को प्रसन्न करने के लिए या फिर जिस घर में यम के संताप है उसे दूर करने के लिए यम का दीप नीकाला जाता है. यह पुराने दीए में तेल की बाती को जलाकर घर के मुख्य द्वार के बाहर दक्षिण की दिशा में रखा जाता है. इस दीप में घी, कपूर और किसी प्रकार के कोई नए सामान का प्रयोग नहीं किया जाता है. ऐसा माना जाता है यमराज के लिए तेल का दीपक जलाने से अकाल मृत्यु टल जाती है.

ये भी पढ़ें- पटना में पटाखों पर बैन फिर भी खुलेआम बिक रहे पटाखे, नियमों की उड़ी धज्जियां

छोटी दिवाली को आयु प्राप्ति के साथ-साथ सौन्दर्य प्राप्ति का दिन भी कहा जाता है. जानकारों की माने तो इस दिन सौन्दर्य के प्रतीक शुक्र की भी की जाती है. बताया जाता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था. इसलिए इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की भी उपासना की जाती है.


दंतकथाओं की माने तो हिरण्‍यगर्भ नामक एक राजा राज-पाट छोड़कर तप में विलीन हो गया. कई वर्षों तक तपस्‍या करने के बाद उसके शरीर कीड़े पड़ गए. इस बात से दुखी होकर हिरण्‍यगर्भ ने नारद मुनि को अपनी कष्ट सुनाई.जिसके बाद. नारद मुनि ने राजा को कार्तिक मास कृष्‍ण पक्ष चतुर्दशी के दिन शरीर पर लेप लगाकर सूर्योदय से पहले स्‍नान करने के बाद श्री कृष्‍ण की पूजा करने की सलाह दी. राजा ने मुनि के सलाह पर श्री कृष्‍ण की आराधना कर फिर से रूपवान हो गए और तभी से इस दिन को रूप चतुर्दशी भी कहा जाने लगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.