पटना: बीजेपी से गठबंधन तोड़ने के बाद राजद के साथ सत्ता संभालने के बाद जदयू के सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इसके लिए कोई और नहीं बल्कि महागठबंधन का प्रमुख सहयोगी राजद जिम्मेवार है. राजद की तरफ से ही ऐसे हालात पैदा किये जा रहे हैं, जिससे जदयू के लिए असहज स्थिति पैदा हो जा रही है. सरकार बने अभी मुश्किल से दो माह हुए हैं, लेकिन इतने दिनों में एक या दो नहीं बल्कि कई बार ऐसे बयान सामने आ चुके हैं, जिसे डिफेंड करना जदयू के लिए काफी मुश्किल हो जा रहा है. एकाध मौके को छोड़ दें, तो बाकी सब मौकों पर जदयू के नेता राजद की तरफ से दिए जाने वालों बयान से बचते नजर आ रहे हैं (JDU uncomfortable with RJDs statement).
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पहले सुधाकर ने खोला मोर्चाः पटकथा का आगाज राज्य में राजद कोटे से कृषि मंत्री बने सुधाकर सिंह के बयान से होता है (Sudhakar Singhs statement). राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह ने कुछ दिन पहले जब ये कहा था कि उनका विभाग चोर है और मैं उनका सरदार हूं तो राज्य के राजनीतिक गलियारों में सनसनी फैल गई थी. सुधाकर इतने तक ही नहीं रुके बल्कि उन्होंने बिहार के उस कृषि रोड मैप पर ही सवाल उठा दिया, जिसपर खुद नीतीश कुमार गर्व करते हैं. हालांकि कृषि मंत्री सुधाकर सिंह के इस बयान से जेडीयू हरकत में आई और जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने मंत्री सुधाकर सिंह को काम पर फोकस करने की नसीहत दे डाली.
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शिवानंद ने दी आश्रम खोलने की सलाहः सुधाकर सिंह के इस बयान से जेडीयू अभी राहत की सांस ले ही रही थी कि राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने राजद के राज्य परिषद की मीटिंग में सीएम नीतीश कुमार के आश्रम चले जाने संबंधी बयान (Shivanand tiwari statement)देकर जदयू को असहज कर दिया. बल्कि उन्होंने यहां तक कह दिया कि सीएम नीतीश कुमार विपक्ष की जिस एकता को बनाने में लगे हुए हैं, वो तराजू में मेढ़क को तौलने जैसा कार्य है. जिसके बाद जदयू के नेताओं ने पलटवार किया.
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अधिकारी काे पीटने की सलाह दी सुधाकर नेः इन दिनों ही बयानों से जेडीयू अभी संभली ही थी कि कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने फिर एक अजीबोगरीब बयान देकर सरकार और गठबंधन को असहज हालात में डाल दिया. अपने तल्ख तेवर को बरकरार रखते हुए अबकी बार सुधाकर सिंह ने यहां तक कह दिया कि उनके विभाग के अधिकारी चोर हैं. दरअसल सुधाकर सिंह ने कैमूर के भगवानपुर में किसानों की सभा को संबोधित करने के दौरान कहा कि उनके विभाग के अधिकारी चोर हैं और 25 से 50 हजार रुपये वसूलते हैं. उन्होंने यहां तक कह डाला कि माप तौल अधिकारी दिख जाए तो उसे जूता से पीटिएगा. सुधाकर सिंह ने अपना मोबाइल नंबर तक लोगों को दे दिया और कहा कि इसे नोट कर लें और अगर अधिकारी उन्हें परेशान करते हैं तो फोन कर बताएं. जांच कराने के बाद कार्रवाई की जाएगी.
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पाकिस्तान पर आया शिवानंद का बयानः सुधाकर के इस दूसरे बयान के बाद ही वरिष्ठ राजद नेता शिवानंद तिवारी का भी वो कथित ऑडियो वायरल हो गया, जिसमें उन्होंने यह कहा था कि पाकिस्तान जिंदाबाद कहना विरोध करने का तरीका है. इस मसले पर भी जदयू की तरफ से कोई संतोषजनक बयान सामने नहीं आया. इन सभी बयानों पर जब राजद की तरफ से उसके पक्ष को लेने की कोशिश की गई तो राजद का कोई भी नेता इस सवाल पर जवाब देता हुआ नजर नहीं आया. राजद के इन नेताओं ने ऑफबीट लेवल पर यह बात जरूर कही कि गठबंधन का पालन दोनों तरफ से होना चाहिए. ऐसे बयान नहीं दिए जाने चाहिए.
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समन्वय समिति की मांगः इस पूरे मामले पर जदयू के प्रदेश महासचिव डॉ धर्मेंद्र कुमार कहते हैं, जदयू कभी भी डिफेंसिव मोड में नहीं रहा है. यह गलत बात है कि हम लोग डिफेंसिव मूड में है. गठबंधन में कोई भी अगर हमारे सीएम के ऊपर अवांछित बयान देते हैं तो उसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे. हम उनको भी यह चेतावनी देते हैं कि वह संयम बरतें अपनी भाषा पर लगाम लगाएं और ऐसा कुछ भी नहीं बोले जिससे समाज में जो सौहार्द्र का वातावरण है वह खराब हो, चूंकि आप जब गठबंधन में है तो सब सीएम नीतीश कुमार के लिए काम कर रहे हैं. उनका विकास का आईडियोलॉजी रहा है. उनके बोलने का तरीका भी शालीनता से भरा रहा है. उनको फॉलो कीजिए और जो उदाहरण उन्होंने बिहार के लिए पेश किया है, उसी के अनुसार गठबंधन के इन नेताओं से मेरी अपील रहेगी कि उसी के अनुसार अपना स्टेटमेंट दें. एक बात और जब इतनी सारी पार्टियां एक साथ है तो एक समन्वय समिति का गठन होना चाहिए.
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बीजेपी है आक्रामकः वहीं इस पूरे मसले पर बीजेपी पूरी तरीके से आक्रामक है. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता संतोष पाठक कहते हैं, नीतीश कुमार बेहद खूबसूरत महत्वाकांक्षा के साथ बीजेपी से अलग हुए, तो उसके लिए कुछ न कुछ सैक्रिफाइस तो करना तो पड़ेगा ही. देश की राजनीति में नीतीश कुमार की जो सम्मान बीजेपी के वजह से बना, उसे वो खो रहे हैं. जनता के बीच में वैसे भी उनकी स्वीकार्यता खत्म हो चुकी है. उनके पास ना अब कुछ पाने के लिए है और ना ही कुछ खोने के लिए. सुधाकर सिंह ने कैबिनेट के अंदर भी कई ऐसी बातें कई जगहों पर कहीं. स्वयं शिवानंद तिवारी उनको आश्रम भेजने की जब बात कह रहे हैं. इसका मतलब यह है कि अपनी महत्वाकांक्षाओं के दबाव में नीतीश कुमार इन सारे विषयों को सह रहे हैं और सहना भी पड़ेगा. क्योंकि जब आप किसी चीज के लिए भागते हैं जो आप के बस की बात नहीं है प्रधानमंत्री होने के लिए जेडीयू जैसे दल को, जिसका अपने दम पर एक भी सांसद पार्टी नहीं जीता सकती, वो पीएम बनने का सपना देख रहे हैं. ऐसे हालात में सम्मान से समझौता करना होगा, तभी तो लालू प्रसाद के समाने आप खड़े हो सकेंगे या टिक सकेंगे.
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दवाब में हैं नीतीशः वरिष्ठ पत्रकार मनोज पाठक कहते हैं गौर से देखिए तो विधानसभा संख्या बल में जेडीयू तीसरे नंबर की पार्टी है. स्वभाविक है अब सब कोई करीब-करीब मान रहा है कि नीतीश जी को कुर्सी प्रेम थोड़ा है. लाख कह लें, प्रधानमंत्री बनने का शौक नहीं है. सीएम पद पर जबरदस्ती बैठाया गया. लेकिन लोग मानते हैं की नीतीश कुमार को कुर्सी प्रेम है. अमित शाह ने भी कहा कि बीजेपी इन से समझौता नहीं करेगी. इनके लिए कुर्सी का एकमात्र साधन आरजेडी बना हुआ है. संख्या बल में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी है. देखा जाए तो आरजेडी को अभी सत्ता प्रेम ज्यादा नजर नहीं आ रहा है जबकि सीएम सत्ता प्रेम में लगे हुए हैं. ऐसे में अगर जदयू अटैक करेगा तो राजद बिदक जाएगा और जब आरजेडी बिदक जाएगा तो स्वभाविक है सरकार गिर जाएगी और यदि जेडीयू कभी नहीं चाहता है कि यहां सरकार गिरे. नीतीश कुमार बीजेपी के साथ थे तो बहुत ज्यादा अटैकिंग थे. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने जब अपराध, शराब से मौत का मुद्दा उठाया था तब जदयू ने तुरंत पलटवार किया था कि आप सहयोगी हैं ऐसा नहीं करना चाहिए था लेकिन आज यह स्थिति नहीं है. क्योंकि जदयू कहीं न कहीं सत्ता में रहना चाह रहा है.