पटना: बीजेपी राज्यसभा सांसद सुशील मोदी (BJP Rajya Sabha MP Sushil Modi) के बयान पर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने पलटवार (Lalan Singh On Sushil Modi Statement) किया है. उन्होंने कहा कि पूरे बिहार में बीजेपी एक्सपोज हो गई है. भारतीय जनता पार्टी आरक्षण विरोधी है. वो लेग आरक्षण खत्म कराने की साजिश कर रहे हैं. ललन सिंह ने कहा कि सुशील मोदी का प्रेस कॉन्फ्रेंस हमने देखा है, उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री के साथ बिहार का अति पिछड़ा वर्ग है. काहे का बिहार का पिछड़ा वर्ग प्रधानमंत्री के साथ रहेगा. बिहार के अति पिछड़ों की शक्ति सीएम नीतीश कुमार हैं. बिहार के अति पिछड़े वर्गों की पहचान नीतीश कुमार हैं.
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'नीतीश कुमार ने अति पिछड़े वर्ग के लोगों को सम्मान दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात में जिस वर्ग से आते हैं, गुजरात में वह पिछड़ा वर्ग में शामिल था क्या?, नहीं था. जब नरेंद्र मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अपने समाज को पिछड़े वर्ग में शामिल किया और भारतीय जनता पार्टी का चरित्र, चेहरा और सोच आरक्षण विरोधी है. बीजेपी रिजर्वेशन समाप्त करना चाहती है, गुजरात में समाप्त करा दिया. साहस है तो बोलिए अक्टूबर 2021 में जो चुनाव हुआ, उस में आरक्षण लागू था, यदि आरक्षण लागू नहीं था तो भारतीय जनता पार्टी आरक्षण विरोधी है. इससे ये साबित हो जाता है कि बीजेपी आरक्षण विरोधी है. सीएम नीतीश कुमार अति पिछड़े वर्ग की ताकत हैं, और जब तक रहेंगे, अति पिछड़ा के हित का नुकसान नहीं होगा.' - ललन सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जदयू
सुशील मोदी के बयान पर ललन सिंह का पलटवार : गौरतलब है कि बिहार नगर निकाय चुनाव को लेकर बीजेपी राज्य सभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने बीजेपी कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस कर नीतीश सरकार पर जमकर निशाना (Sushil Kumar Modi Target CM Nitish Kumar) साधा. उन्होंने साफ-साफ कहा कि नगर निकाय का चुनाव स्थगित हुआ है. उसके जिम्मेदार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) हैं. आजकल मुख्यमंत्री कहते फिर रहे हैं कि वर्ष 2007 में 2012 में और 17 में भी चुनाव हुए, लेकिन भाजपा उस समय में साथ में थी. और कभी भी विरोध नहीं किया. तो उन्हें यह पता होना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया. ट्रिपल टेस्ट कमेटी बनाने का वह वर्ष 2021 में दिया है. यानी मई 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने निकाय चुनाव को लेकर जो बातें कही, उसको बिहार सरकार ने पालन नहीं किया. और यही कारण रहा कि अंत में नगर निकाय चुनाव जो होने वाले थे. उन्हें हाईकोर्ट ने स्थगित कर दिया. जिसके जिम्मेदार मुख्यमंत्री हैं.
नगर पालिका चुनाव 2022 स्थगित : गौरतलब है कि बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने अगले आदेश तक के लिए नगर पालिका चुनाव 2022 को स्थगित कर दिया (Bihar Municipal Election Postponed) है. पटना हाई कोर्ट के निर्देश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने यह फैसला लिया है. नगर पालिका आम निर्वाचन 2022 के पहले और दूसरे चरण के लिए 10 अक्टूबर और 20 अक्टूबर को होने वाले मतदान की तिथि को तत्काल स्थगित कर दिया है. जानकारी दी गयी है कि स्थगित निर्वाचन की अगली तिथि जल्द ही सूचित की जाएगी.
तीन जांच की अर्हता पूरी होने के बाद फैसला : बता दें कि दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि स्थानीय निकायों में ईबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती, जब तक कि सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेती. तीन जांच के प्रावधानों के तहत ईबीसी के पिछड़ापन पर आंकड़े जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग के सिफरिशों के मद्देनजर प्रत्येक स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत है. साथ ही ये भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि एससी/एसटी/ईबीसी के लिए आरक्षण की सीमा कुल उपलब्ध सीटों का पचास प्रतिशत की सीमा को नहीं पार करे.