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दिल्ली में अकेले विधानसभा चुनाव लड़ेगी JDU, प्रचार में उतरेंगे नीतीश कुमार

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Published : Jan 8, 2020, 8:53 AM IST

दिल्ली में बड़ी संख्या में पूर्वांचल के लोग रहते हैं और जेडीयू की नजर इन्हीं वोटों पर है. सूत्रों के मुताबिक, इस चुनाव में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी प्रचार करने आएंगे.

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पटना: दिल्ली विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. राष्ट्रीय राजधानी में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला है. इस बीच जेडीयू भी चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है. पार्टी ने फैसला किया है कि आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव वो अपने बलबूते लड़ेगी.

बिहार में जेडीयू के वरिष्ठ नेता और बिहार सरकार में मंत्री संजय झा ने बताया है कि पार्टी नेतृत्व ने दिल्ली विधानसभा चुनाव पूरे दमखम से लड़ने का फैसला किया है. इस बाबत पार्टी ने रणनीति बना ली है. बता दें कि चुनाव आयोग ने दिल्ली में आठ फरवरी को विधानसभा चुनाव कराने की घोषणा की है, जिसके नतीजे 11 फरवरी को आएंगे.

दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ेगी जेडीयू
जेडीयू के दिल्ली प्रभारी संजय झा ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिल्ली प्रदेश इकाई के अनुरोध पर राज्य में अपने बलबूते चुनाव लड़ने पर सहमति जताई है. सूत्रों के मुताबिक, फिलहाल यह तय नहीं किया गया है कि पार्टी विधानसभा की 70 में से कितनी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी.

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दिल्ली में अकेले विधानसभा चुनाव लड़ेगी JDU

पूर्वाचली वोटों पर नजर
दिल्ली में बड़ी संख्या में पूर्वाचल के लोग रहते हैं और जेडीयू की नजर इन्हीं वोटों पर है. सूत्रों के मुताबिक, इस चुनाव में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी प्रचार करने आएंगे. यह भी बताया गया है कि नीतीश का चुनाव प्रचार का कार्यक्रम तय किया जा रहा है. नीतीश चार-पांच सभाओं को संबोधित कर सकते हैं. जेडीयू पूर्वाचल के मतदाताओं की अनदेखी का मुद्दा उठाकर मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश करेगी.

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पूर्वाचल के लोगों पर जेडीयू की नजर

झारखंड में अकेले मैदान में उतरी थी जेडीयू
सूत्रों के अनुसार, नीतीश कुमार शुक्रवार को दिल्ली आ रहे हैं और इस दौरान वह सीटों के निर्धारण और उम्मीदवारों के चयन के लिए दिल्ली प्रदेश इकाई के साथ बैठक करेंगे. बता दें कि बिहार में बीजेपी और जेडीयू मिलकर सरकार चला रही है. लेकिन पार्टी झारखंड विधानसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरी थी. अब उसने दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी अकेले उतरने का निर्णय लिया है.

2015 : हर विधानसभा क्षेत्र में 10 से 12 हजार वोट मिले थे
साल 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने तीन विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. लेकिन पार्टी को जीत नसीब नही हुई. जेडीयू को इस चुनाव में हर विधानसभा क्षेत्र में 10 से 12 हजार वोट मिले थे. वहीं 2017 के नगर निगम चुनाव में पार्टी ने 98 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए. लेकिन उसे एक भी सीट नहीं मिली. 94 सीटों पर जेडीयू की जमानत तक जब्त हो गई थी.

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शुक्रवार दिल्ली जा सकते हैं सीएम नीतीश कुमार

किसी भी दल का खेल बिगाड़ सकती है जेडीयू
दरअसल, दिल्ली की 15 विधानसभा सीटों पर पूर्वांचली मतदाता अच्छी तादाद में हैं. इन सीटों पर इनकी मौजूदगी 30 फीसदी तक है, जो किसी भी दल का खेल बिगाड़ सकती है.

2015 में आप ने 67 सीटों पर जीत दर्ज की थी
2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 54.3 प्रतिशत मतों के साथ 67 सीटों पर रिकॉर्ड जीत दर्ज की थी. आप ने मतों में 2013 के मुकाबले 24.8 प्रतिशत मतों का इजाफा दर्ज किया गया था। वहीं, 32.3 प्रतिशत मतों के साथ भाजपा दूसरे नंबर पर रही थी.

बता दें कि 2013 की तुलना में बीजेपी के मतों में 0.8 प्रतिशत मतों की कमी आई. लेकिन 29 सीटे घट गईं. हालांकि, वोट प्रतिशत 32.3 रहा था. कांग्रेस पार्टी की बात करें तो 9.7 प्रतिशत मतों के वह साथ तीसरे नंबर पर रही थी. हालांकि, एक भी सीट जीतने में सफल नहीं रही थी. कांग्रेस के मतों में 14.9 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई थी. जबकि बहुजन समाज पार्टी को 5.3 फीसदी वोट मिले थे.

पटना: दिल्ली विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. राष्ट्रीय राजधानी में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला है. इस बीच जेडीयू भी चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है. पार्टी ने फैसला किया है कि आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव वो अपने बलबूते लड़ेगी.

बिहार में जेडीयू के वरिष्ठ नेता और बिहार सरकार में मंत्री संजय झा ने बताया है कि पार्टी नेतृत्व ने दिल्ली विधानसभा चुनाव पूरे दमखम से लड़ने का फैसला किया है. इस बाबत पार्टी ने रणनीति बना ली है. बता दें कि चुनाव आयोग ने दिल्ली में आठ फरवरी को विधानसभा चुनाव कराने की घोषणा की है, जिसके नतीजे 11 फरवरी को आएंगे.

दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ेगी जेडीयू
जेडीयू के दिल्ली प्रभारी संजय झा ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिल्ली प्रदेश इकाई के अनुरोध पर राज्य में अपने बलबूते चुनाव लड़ने पर सहमति जताई है. सूत्रों के मुताबिक, फिलहाल यह तय नहीं किया गया है कि पार्टी विधानसभा की 70 में से कितनी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी.

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दिल्ली में अकेले विधानसभा चुनाव लड़ेगी JDU

पूर्वाचली वोटों पर नजर
दिल्ली में बड़ी संख्या में पूर्वाचल के लोग रहते हैं और जेडीयू की नजर इन्हीं वोटों पर है. सूत्रों के मुताबिक, इस चुनाव में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी प्रचार करने आएंगे. यह भी बताया गया है कि नीतीश का चुनाव प्रचार का कार्यक्रम तय किया जा रहा है. नीतीश चार-पांच सभाओं को संबोधित कर सकते हैं. जेडीयू पूर्वाचल के मतदाताओं की अनदेखी का मुद्दा उठाकर मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश करेगी.

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पूर्वाचल के लोगों पर जेडीयू की नजर

झारखंड में अकेले मैदान में उतरी थी जेडीयू
सूत्रों के अनुसार, नीतीश कुमार शुक्रवार को दिल्ली आ रहे हैं और इस दौरान वह सीटों के निर्धारण और उम्मीदवारों के चयन के लिए दिल्ली प्रदेश इकाई के साथ बैठक करेंगे. बता दें कि बिहार में बीजेपी और जेडीयू मिलकर सरकार चला रही है. लेकिन पार्टी झारखंड विधानसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरी थी. अब उसने दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी अकेले उतरने का निर्णय लिया है.

2015 : हर विधानसभा क्षेत्र में 10 से 12 हजार वोट मिले थे
साल 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने तीन विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. लेकिन पार्टी को जीत नसीब नही हुई. जेडीयू को इस चुनाव में हर विधानसभा क्षेत्र में 10 से 12 हजार वोट मिले थे. वहीं 2017 के नगर निगम चुनाव में पार्टी ने 98 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए. लेकिन उसे एक भी सीट नहीं मिली. 94 सीटों पर जेडीयू की जमानत तक जब्त हो गई थी.

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शुक्रवार दिल्ली जा सकते हैं सीएम नीतीश कुमार

किसी भी दल का खेल बिगाड़ सकती है जेडीयू
दरअसल, दिल्ली की 15 विधानसभा सीटों पर पूर्वांचली मतदाता अच्छी तादाद में हैं. इन सीटों पर इनकी मौजूदगी 30 फीसदी तक है, जो किसी भी दल का खेल बिगाड़ सकती है.

2015 में आप ने 67 सीटों पर जीत दर्ज की थी
2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 54.3 प्रतिशत मतों के साथ 67 सीटों पर रिकॉर्ड जीत दर्ज की थी. आप ने मतों में 2013 के मुकाबले 24.8 प्रतिशत मतों का इजाफा दर्ज किया गया था। वहीं, 32.3 प्रतिशत मतों के साथ भाजपा दूसरे नंबर पर रही थी.

बता दें कि 2013 की तुलना में बीजेपी के मतों में 0.8 प्रतिशत मतों की कमी आई. लेकिन 29 सीटे घट गईं. हालांकि, वोट प्रतिशत 32.3 रहा था. कांग्रेस पार्टी की बात करें तो 9.7 प्रतिशत मतों के वह साथ तीसरे नंबर पर रही थी. हालांकि, एक भी सीट जीतने में सफल नहीं रही थी. कांग्रेस के मतों में 14.9 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई थी. जबकि बहुजन समाज पार्टी को 5.3 फीसदी वोट मिले थे.

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दिल्ली में अकेले विधानसभा चुनाव लड़ेगी JDU, प्रचार में उतरेंगे नीतीश कुमार





दिल्ली में बड़ी संख्या में पूर्वांचल के लोग रहते हैं और जेडीयू की नजर इन्हीं वोटों पर है. सूत्रों के मुताबिक, इस चुनाव में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी प्रचार करने आएंगे. 

पटना: दिल्ली विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. राष्ट्रीय राजधानी में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला है. इस बीच जेडीयू भी चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है. पार्टी ने फैसला किया है कि आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव वह अपने बलबूते लड़ेगी. 

बिहार में जेडीयू के वरिष्ठ नेता और बिहार सरकार में मंत्री संजय झा ने बताया है कि पार्टी नेतृत्व ने दिल्ली विधानसभा चुनाव पूरे दमखम से लड़ने का फैसला किया है. इस बाबत पार्टी ने रणनीति बना ली है. बता दें कि चुनाव आयोग ने दिल्ली में आठ फरवरी को विधानसभा चुनाव कराने की घोषणा की है, जिसके नतीजे 11 फरवरी को आएंगे.

दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ेगा जेडीयू

जेडीयू के दिल्ली प्रभारी संजय झा ने कहा, 'पार्टी अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिल्ली प्रदेश इकाई के अनुरोध पर राज्य में अपने बलबूते चुनाव लड़ने पर सहमति जताई है.' सूत्रों के मुताबिक, फिलहाल यह तय नहीं किया गया है कि पार्टी विधानसभा की 70 में से कितनी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. 

पूर्वाचली वोटों पर नजर

दिल्ली में बड़ी संख्या में पूर्वाचल के लोग रहते हैं और जेडीयू की नजर इन्हीं वोटों पर है. सूत्रों के मुताबिक, इस चुनाव में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी प्रचार करने आएंगे. यह भी बताया गया है कि नीतीश का चुनाव प्रचार का कार्यक्रम तय किया जा रहा है. नीतीश चार-पांच सभाओं को संबोधित कर सकते हैं. जेडीयू पूर्वाचल के मतदाताओं की अनदेखी का मुद्दा उठाकर मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश करेगी.

झारखंड में अकेले मैदान में उतरी थी जेडीयू

सूत्रों के अनुसार, नीतीश कुमार शुक्रवार को दिल्ली आ रहे हैं और इस दौरान वह सीटों के निर्धारण और उम्मीदवारों के चयन के लिए दिल्ली प्रदेश इकाई के साथ बैठक करेंगे. बता दें कि बिहार में बीजेपी और जेडीयू मिलकर सरकार चला रही है. लेकिन पार्टी झारखंड विधानसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरी थी. अब उसने दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी अकेले उतरने का निर्णय लिया है.

2015 : हर विधानसभा क्षेत्र में 10 से 12 हजार वोट मिले थे

साल 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने तीन विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. लेकिन पार्टी को जीत नसीब नही हुई. जेडीयू को इस चुनाव में हर विधानसभा क्षेत्र में 10 से 12 हजार वोट मिले थे. वहीं 2017 के नगर निगम चुनाव में पार्टी ने 98 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए. लेकिन उसे एक भी सीट नहीं मिली. 94 सीटों पर जेडीयू की जमानत तक जब्त हो गई थी.

किसी भी दल का खेल बिगाड़ सकती है जेडीयू

दरअसल, दिल्ली की 15 विधानसभा सीटों पर पूर्वाचली मतदाता अच्छी तादाद में हैं. इन सीटों पर इनकी मौजूदगी 30 फीसदी तक है, जो किसी भी दल का खेल बिगाड़ सकती है. 

2015 में आप ने 67 सीटों पर जीत दर्ज की थी

2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 54.3 प्रतिशत मतों के साथ 67 सीटों पर रिकॉर्ड जीत दर्ज की थी. आप ने मतों में 2013 के मुकाबले 24.8 प्रतिशत मतों का इजाफा दर्ज किया गया था। वहीं, 32.3 प्रतिशत मतों के साथ भाजपा दूसरे नंबर पर रही थी.

बता दें कि 2013 की तुलना में बीजेपी के मतों में 0.8 प्रतिशत मतों की कमी आई. लेकिन 29 सीटे घट गईं. हालांकि, वोट प्रतिशत 32.3 रहा था. कांग्रेस पार्टी की बात करें तो 9.7 प्रतिशत मतों के वह साथ तीसरे नंबर पर रही थी. हालांकि, एक भी सीट जीतने में सफल नहीं रही थी. कांग्रेस के मतों में 14.9 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई थी. जबकि बहुजन समाज पार्टी को 5.3 फीसदी वोट मिले थे.

 


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