पटना: कोरोना के दूसरे लहर में महंगाई रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. इससे लोगों की मुश्किलें बढ़ी हुईं हैं. थोक महंगाई 11 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. पेट्रोल, डीजल और खाने-पीने की वस्तुओं की कीमत में काफी वृद्धि हुई है.
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2010 के बाद उच्चतम स्तर पर महंगाई
केंद्र सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय भी मान रहा है कि थोक महंगाई 2010 के बाद सबसे उच्च स्तर पर है. बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स के वाइस प्रेसिडेंट मुकेश जैन ने कहा "महंगाई अभी 11.6 प्रतिशत तक पहुंच गई है. इसका सबसे बड़ा कारण पेट्रोल-डीजल की कीमत में लगातार वृद्धि है. पिछले 1 साल में 43% से अधिक की वृद्धि हुई है."
महंगाई से लोग परेशान
कोरोना काल में महंगाई से बिहार के लोग परेशान हैं. खासकर खाद्य तेल, दाल, फल, पेट्रोल और एलपीजी की कीमत काफी बढ़ी है. इस दौरान सब्जियां सस्ती भी हो गई हैं. फल 27.43% दालें 10.74% पेट्रोल 42.37% और एलपीजी 20.34% महंगा हो गया है.
महंगाई दर में वृद्धि
- फरवरी- 4.83%
- मार्च- 7.39%
- अप्रैल- 10.49%
- मई-11.6%
घट गई है बिक्री
खुदरा महंगाई का दर भी नया रिकॉर्ड बना रहा है. कोरोना के कारण बिहार में भी दुकानें कुछ घंटे के लिए ही खुल रही हैं. ऐसे में बिक्री घटी है. बाहर से सामान पहले की तरह नहीं आने के कारण भी खुदरा महंगाई पर और असर पड़ रहा है.
महंगा हुआ तेल
खाद्य तेल में सबसे ज्यादा महंगाई बढ़ी है. सरसों तेल की कीमत 1 साल में 80 से 100 रुपए तक बढ़ गया है. ड्राई फ्रूट्स में भी काफी तेजी है. कोरोना के कारण ड्राई फ्रूट की खपत बढ़ी है. सरसो तेल का दाम दो महीने में 50 से 85 रुपए तक बढ़ा है.
सरसो तेल के दाम में वृद्धि
ब्रांड | फरवरी | मई |
पंतजलि | 135 | 185 |
स्कूटर | 130 | 170 |
इंजन | 135 | 220 |
बढ़ गए फलों के दाम
फलों के दाम में भी काफी तेजी है. लॉकडाउन के कारण फलों की बिक्री 50 से 60% तक घट गई है. पटना फ्रूट वेजिटेबल एसोसिएशन के लोगों के अनुसार थोक और खुदरा मंडी में 4 घंटे का समय होने के कारण बिक्री पर असर पड़ रहा है. इसके कारण बाहर से सामान भी अब कम मंगाए जा रहे हैं. दाम बढ़ने का यह बहुत एक बड़ा कारण है. सेब और अनार की कीमत में सबसे ज्यादा इजाफा हुआ है. मंगाई बढ़ने से जहां आम लोग परेशान हैं वहीं छोटे व्यापारी भी कम बिक्री होने के कारण अपना खर्च नहीं निकाल पा रहे हैं. किराया और बिजली बिल तक निकालना मुश्किल हो रहा है.
कृषि क्षेत्र पर भी महंगाई की मार
किसानों पर भी महंगाई की मार पड़ी है. 50 किलो डाई अमोनिया फास्फेट यानी डीएपी की कीमत 1200 से बढ़कर 1900 रुपए हो गई है. 925 रुपए में मिलने वाला एनपीकेएस का बोरा अब 1350 रुपए में मिल रहा है. हालांकि केंद्र सरकार ने फास्फेटिक खादों पर अनुदान 140% बढ़ाकर किसानों को राहत जरूर दिया है. अनुदान 510 रुपए से बढ़ाकर 1200 रुपए कर दिया गया है.
पेट्रोल-डीजल की कीमत नियंत्रित करे सरकार
"महंगाई बढ़ने का सबसे बड़ा कारण पेट्रोल और डीजल की कीमत में वृद्धि है. पिछले 1 साल के दौरान इसमें काफी उछाल आया है. सरकार को पेट्रोल व डीजल की कीमत पर नियंत्रण करना चाहिए तभी महंगाई भी नियंत्रित होगी."- मुकेश जैन, वाइस प्रेसिडेंट, बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स
"सब्जियों की कीमत में जरूर थोड़ी कमी हुई है. सब्जी को छोड़कर अन्य सभी चीजों के दाम काफी बढ़े हुए हैं."- झलक यादव, दूध उत्पाद विक्रेता
"पेट्रोल की कीमत बढ़ने से मुश्किलें बढ़ी हुई हैं. पेट्रोल 100 रुपए के आसपास पहुंच गया है. पहले 200 में काम चल जाता था, लेकिन अब 300 से 400 रुपए का पेट्रोल भरवाना पड़ता है."- राजेश
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