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Muzaffarpur Eye Hospital Case: HC ने अपर मुख्य सचिव को पुनः विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत करने का दिया आदेश

मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के दौरान आंखें गवाने के मामले में बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई (Muzaffarpur Eye Hospital Case) हुई. कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव को पुनः विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Jul 13, 2022, 10:52 PM IST

पटना: मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन में कई लोगों की आंखों की रौशनी चले जाने के मामले की सुनवाई (Hearing In Patna HC on Cataract Operation) बुधवार को पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) के चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) की खंडपीठ में हुई. सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने राज्य के अपर मुख्य सचिव को पुनः विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. अगली सुनवाई में मुजफ्फरपुर के एसएसपी को कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कोर्ट ने निर्देश दिया है. मुकेश कुमार ने ये जनहित याचिका दायर की है. इस मामले पर अगली सुनवाई 18 जुलाई 2022 को की जाएगी.

पढ़ें-मुजफ्फरपुर मोतियाबिंद कांड: ऑपरेशन कराकर लौटे बेतिया के 4 लोगों की आंखों की रोशनी हुई कम

ठोस कार्रवाई नहीं करने का आरोपः पिछली सुनवाई में कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वी के सिंह ने कोर्ट को बताया था कि इस मामलें में दर्ज प्राथमिकी पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है. पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने इस मामलें में गठित डॉक्टरों की कमिटी को चार सप्ताह में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था. पहले की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि वे इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए पीएमसीएच या एम्स पटना के डॉक्टरों की कमिटी गठित करें. इनमें नेत्र रोग विशेषज्ञ भी शामिल हो.


अधिकारियों पर अनियमितता बरतने का आरोपः इसमें कोर्ट को बताया गया था कि आंखों की रोशनी गवांने वाले पीडितों को बतौर क्षतिपूर्ति एक एक लाख रुपए दिए गए हैं. साथ ही मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल को बंद करके एफआईआर दर्ज कराया गया था, लेकिन अब तक दर्ज प्राथमिकी पर ठोस कार्रवाई नहीं की गई. इस याचिका में हाई लेवल कमेटी से जांच करवाने को लेकर आदेश देने अनुरोध किया गया है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विजय कुमार सिंह ने आरोप लगाया गया है कि कथित तौर पर आई हॉस्पिटल के प्रबंधन और राज्य सरकार के अधिकारियों की ओर से बरती गई अनियमितता और गैर कानूनी कार्यों की वजह से कई व्यक्तियों को अपनी आँखें की रोशनी खोनी पड़ी.


अधिकारियों व अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर की मांगः उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों को भी एक नियमित अंतराल पर अस्पताल का निरीक्षण करना चाहिए था. याचिका में आगे यह भी कहा गया है कि जिम्मेदार अधिकारियों व अस्पताल प्रबंधन के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज करनी चाहिए, क्योंकि इन्हीं की लापरवाही की वजह से सैकड़ों लोगों को अपनी आंखें गंवानी पड़ी. मुजफ्फरपुर आई अस्पताल प्रबंधन और जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही की वजह से आंख खोए व्यक्तियों को मुआवजा देने का भी आग्रह किया गया था. पीड़ितों को सरकारी अस्पताल में उचित इलाज करवाने को लेकर आदेश देने का भी अनुरोध किया गया था.


पढ़ें-आई हॉस्पिटल मोतियाबिंद मामले में HC में सुनवाई, मुजफ्फरपुर SSP को कार्रवाई रिपोर्ट सौंपने का निर्देश

पटना: मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन में कई लोगों की आंखों की रौशनी चले जाने के मामले की सुनवाई (Hearing In Patna HC on Cataract Operation) बुधवार को पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) के चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) की खंडपीठ में हुई. सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने राज्य के अपर मुख्य सचिव को पुनः विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. अगली सुनवाई में मुजफ्फरपुर के एसएसपी को कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कोर्ट ने निर्देश दिया है. मुकेश कुमार ने ये जनहित याचिका दायर की है. इस मामले पर अगली सुनवाई 18 जुलाई 2022 को की जाएगी.

पढ़ें-मुजफ्फरपुर मोतियाबिंद कांड: ऑपरेशन कराकर लौटे बेतिया के 4 लोगों की आंखों की रोशनी हुई कम

ठोस कार्रवाई नहीं करने का आरोपः पिछली सुनवाई में कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता के अधिवक्ता वी के सिंह ने कोर्ट को बताया था कि इस मामलें में दर्ज प्राथमिकी पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है. पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने इस मामलें में गठित डॉक्टरों की कमिटी को चार सप्ताह में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था. पहले की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि वे इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए पीएमसीएच या एम्स पटना के डॉक्टरों की कमिटी गठित करें. इनमें नेत्र रोग विशेषज्ञ भी शामिल हो.


अधिकारियों पर अनियमितता बरतने का आरोपः इसमें कोर्ट को बताया गया था कि आंखों की रोशनी गवांने वाले पीडितों को बतौर क्षतिपूर्ति एक एक लाख रुपए दिए गए हैं. साथ ही मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल को बंद करके एफआईआर दर्ज कराया गया था, लेकिन अब तक दर्ज प्राथमिकी पर ठोस कार्रवाई नहीं की गई. इस याचिका में हाई लेवल कमेटी से जांच करवाने को लेकर आदेश देने अनुरोध किया गया है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विजय कुमार सिंह ने आरोप लगाया गया है कि कथित तौर पर आई हॉस्पिटल के प्रबंधन और राज्य सरकार के अधिकारियों की ओर से बरती गई अनियमितता और गैर कानूनी कार्यों की वजह से कई व्यक्तियों को अपनी आँखें की रोशनी खोनी पड़ी.


अधिकारियों व अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर की मांगः उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों को भी एक नियमित अंतराल पर अस्पताल का निरीक्षण करना चाहिए था. याचिका में आगे यह भी कहा गया है कि जिम्मेदार अधिकारियों व अस्पताल प्रबंधन के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज करनी चाहिए, क्योंकि इन्हीं की लापरवाही की वजह से सैकड़ों लोगों को अपनी आंखें गंवानी पड़ी. मुजफ्फरपुर आई अस्पताल प्रबंधन और जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही की वजह से आंख खोए व्यक्तियों को मुआवजा देने का भी आग्रह किया गया था. पीड़ितों को सरकारी अस्पताल में उचित इलाज करवाने को लेकर आदेश देने का भी अनुरोध किया गया था.


पढ़ें-आई हॉस्पिटल मोतियाबिंद मामले में HC में सुनवाई, मुजफ्फरपुर SSP को कार्रवाई रिपोर्ट सौंपने का निर्देश

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