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राजेंद्र प्रसाद के स्मारकों की दुर्दशा पर HC में सुनवाई, बिहार विद्यापीठ को जमीन के कागजात उपलब्ध कराने के आदेश - Dr Rajendra Prasad

पटना हाईकोर्ट ने प्रथम राष्ट्रपति के स्मारकों की दुर्दशा के मामले में सुनवाई (Hearing in HC case of Plight of Monuments of Rajendra Prasad) की. शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बिहार विद्यापीठ को भूमि से सम्बंधित रिकॉर्ड और कागजात पटना डीएम को उपलब्ध कराने का आदेश दिया.

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Published : Feb 25, 2022, 2:07 PM IST

पटना: भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद (Dr. Rajendra Prasad first President of India) के स्मारकों की दुर्दशा के मामले में दायर जनहित याचिका पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने विकास कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले में पटना स्थित बिहार विद्यापीठ के अतिक्रमण हटाने के सम्बन्ध में पटना डीएम ने कोर्ट को बताया कि बिहार विद्यापीठ भूमि से सम्बंधित रिकॉर्ड और कागजात उपलब्ध करवाने में सहयोग नहीं कर रही है. इस पर कोर्ट ने बिहार विद्यापीठ को भूमि से जुड़े सारे कागजात और रिकॉर्ड पटना जिला प्रशासन को उपलब्ध कराने का आदेश दिया. इस मामले पर अब अगली सुनवाई 3 मार्च 2022 को होगी.

ये भी पढ़ें- साइबर क्राइम की प्राथमिकी दर्ज नहीं करने पर थाना इंचार्ज पर होगी अवमानना की कार्रवाईः पटना हाईकोर्ट

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में पटना के डीएम को बिहार विद्यापीठ में हुए अतिक्रमण हटाने के लिए की गई कार्रवाई का ब्यौरा तलब किया था. भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद की स्मारकों की दुर्दशा के मामलें में दायर जनहित पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई हो रही है. मामले में चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ को रेलवे और राज्य सरकार की ओर से जानकारी दी गई की जीरादेई के समीप रोड ओवरब्रिज निर्माण की सहमति हो गई है. पिछली सुनवाई में रेलवे ने राज्य सरकार के समक्ष प्रस्ताव रखा था कि इस आरओबी के निर्माण में होने वाले व्यय में आधेआधे की भागीदारी करें. आज एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि रेलवे के इस प्रस्ताव को राज्य सरकार ने मानते हुए अपनी सहमति दे दी है.

इससे पूर्व कोर्ट को बताया गया था कि इस मामलें में सभी सम्बंधित पक्षों को नोटिस जारी कर दिया गया है. पिछली सुनवाई में बिहार विद्यापीठ से अतिक्रमण हटाने के मामलें में कोर्ट में बड़े तादाद में हस्तक्षेप याचिकाएं दायर की गई थी. लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि इस बड़े मुद्दे के लिए सबों का सहयोग आवश्यक है. पहले की सुनवाई में कोर्ट को जानकारी दी गई थी कि बांस घाट स्थित डॉ राजेंद्र प्रसाद के समाधि के विकास और सौंदर्यीकरण के बारे में राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा जा चुका है.

पूर्व में रेलवे की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि जीरादेई के पास रेलवे की ओर से पुल बनाने के लिए स्थल निरीक्षण किया जा चुका है. इससे पहले कोर्ट ने पटना के बांस घाट स्थित डा राजेंद्र प्रसाद की समाधि स्थल और बिहार विद्यापीठ के हालात का जायजा लेने के लिए याचिकाकर्ता अधिवक्ता विकास कुमार को पटना के जिलाधिकारी के साथ भेजा था. उन्होंने कोर्ट को वहां की वस्तुस्थिति से अवगत कराया. कोर्ट ने पटना डीएम को डॉ राजेंद्र प्रसाद के बांस घाट स्थित समाधि स्थल के सौंदर्यीकरण और विकास के लिए योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था.

ये भी पढ़ें- पटना हाईकोर्ट में बैरिया और मीठापुर बस अड्डा पर ठहराव को लेकर सुनवाई, सरकार से मांगा जवाब

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पटना: भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद (Dr. Rajendra Prasad first President of India) के स्मारकों की दुर्दशा के मामले में दायर जनहित याचिका पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने विकास कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले में पटना स्थित बिहार विद्यापीठ के अतिक्रमण हटाने के सम्बन्ध में पटना डीएम ने कोर्ट को बताया कि बिहार विद्यापीठ भूमि से सम्बंधित रिकॉर्ड और कागजात उपलब्ध करवाने में सहयोग नहीं कर रही है. इस पर कोर्ट ने बिहार विद्यापीठ को भूमि से जुड़े सारे कागजात और रिकॉर्ड पटना जिला प्रशासन को उपलब्ध कराने का आदेश दिया. इस मामले पर अब अगली सुनवाई 3 मार्च 2022 को होगी.

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कोर्ट ने पिछली सुनवाई में पटना के डीएम को बिहार विद्यापीठ में हुए अतिक्रमण हटाने के लिए की गई कार्रवाई का ब्यौरा तलब किया था. भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद की स्मारकों की दुर्दशा के मामलें में दायर जनहित पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई हो रही है. मामले में चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ को रेलवे और राज्य सरकार की ओर से जानकारी दी गई की जीरादेई के समीप रोड ओवरब्रिज निर्माण की सहमति हो गई है. पिछली सुनवाई में रेलवे ने राज्य सरकार के समक्ष प्रस्ताव रखा था कि इस आरओबी के निर्माण में होने वाले व्यय में आधेआधे की भागीदारी करें. आज एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि रेलवे के इस प्रस्ताव को राज्य सरकार ने मानते हुए अपनी सहमति दे दी है.

इससे पूर्व कोर्ट को बताया गया था कि इस मामलें में सभी सम्बंधित पक्षों को नोटिस जारी कर दिया गया है. पिछली सुनवाई में बिहार विद्यापीठ से अतिक्रमण हटाने के मामलें में कोर्ट में बड़े तादाद में हस्तक्षेप याचिकाएं दायर की गई थी. लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि इस बड़े मुद्दे के लिए सबों का सहयोग आवश्यक है. पहले की सुनवाई में कोर्ट को जानकारी दी गई थी कि बांस घाट स्थित डॉ राजेंद्र प्रसाद के समाधि के विकास और सौंदर्यीकरण के बारे में राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा जा चुका है.

पूर्व में रेलवे की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि जीरादेई के पास रेलवे की ओर से पुल बनाने के लिए स्थल निरीक्षण किया जा चुका है. इससे पहले कोर्ट ने पटना के बांस घाट स्थित डा राजेंद्र प्रसाद की समाधि स्थल और बिहार विद्यापीठ के हालात का जायजा लेने के लिए याचिकाकर्ता अधिवक्ता विकास कुमार को पटना के जिलाधिकारी के साथ भेजा था. उन्होंने कोर्ट को वहां की वस्तुस्थिति से अवगत कराया. कोर्ट ने पटना डीएम को डॉ राजेंद्र प्रसाद के बांस घाट स्थित समाधि स्थल के सौंदर्यीकरण और विकास के लिए योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था.

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