पटना: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है. किसानों ने आज दोपहर 12 से 3 बजे तक देशभर में चक्का जाम का ऐलान किया है. बिहार में भी महागठबंधन के तमाम दल प्रदेश में कई जगहों पर उतरकर सड़क जाम कर रहे हैं.
महागठबंधन के सभी दल राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस और वाम दलों ने किसानों के चक्का जाम का समर्थन किया है. हालांकि बिहार में ये चक्का जाम 1 घंटे का ही है.
दरअसल इंटरमीडिएट एग्जाम को देखते हुए महागठबंधन के दलों ने बिहार में सिर्फ 1 घंटा तक ही चक्का जाम करने का फैसला लिया है, जिससे परीक्षार्थियों और अभिभावकों को कोई दिक्कत नहीं हो.
किसान आंदोलन के समर्थम में विपक्षी दलों का कहना है कि इस 'अहिंसक आंदोलन' में हाड़ कंपाती ठंड में ठिठुरकर 150 से ज्यादा किसानों ने अपने वाजिब हक के लिए शहादत दी है. लेकिन शासकों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही.
किसान अर्थव्यवस्था के मेरूदंड
महागठबंधन नेताओं ने कहा कि किसान अर्थव्यवस्था के मेरूदंड हैं. देश की 80% आबादी किसानी पर आधारित है. यदि खेती खत्म होगी तो छोटे व्यापार, मझौले उद्योग और मजदूर भी समाप्त हो जाएंगे.
उन्होंने केंद्र से हठधर्मिता त्यागकर बिना समय गंवाए इस काला कानून को वापस लेने की मांग की है. साथ ही लोगों से अपील की है कि 'खेती और रोटी' से जुड़े हर व्यक्ति को इस आंदोलन का समर्थन करना चाहिए. क्योंकि किसान अपनी फसलों और भावी नस्लों की लड़ाई लड़ रहे हैं.
बदनाम करने के अपनाए गए हथकंडे
आरजेडी ने कहा कि दुनिया का इतिहास गवाह है कि जहां कहीं भी कोई व्यापक आंदोलन सत्ता की चूलें हिलाने में कामयाब रहा है, उसे शासकों के माध्यम से तोड़ने और बदनाम करने के हर हथकंडे अपनाए गए हैं.
नया कृषि कानून हमारे खेतों और खलिहानों को चुनाव में फंडिंग करने वाले चंद कॉरपोरेट घरानों के हाथ नीलाम करने वाला कानून है. यह उसी 'कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग' की वकालत करता है, जिसके खिलाफ कभी महात्मा गांधी ने चर्चित 'चंपारण आंदोलन' की शुरुआत की थी.