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शिक्षा का बजट 39 हजार करोड़, पर मंदिर में पढ़ने को मजबूर बच्चे, जमीन के अभाव में बंद हुए 1885 प्राइमरी स्कूल - etv bihar

बिहार का शिक्षा विभाग (Education Department of Bihar) भले ही दावा करता है कि सभी सरकारी विद्यालय के अपना भवन होंगे, अगर नही हैं तो दूसरे भवन में शिफ्ट होंगे. लेकिन ये सभी दावे खोखले साबित हो रहे हैं. पटनासिटी में मालसलामी अंचल का राजकीय मध्य विद्यालय अव्यवस्थाओं का आलम है. यहां बच्चे मंदिर में पढ़ने को मजबूर हैं. आखिर क्या है इसका कारण पढ़ें पूरी खबर..

पटनासिटी में मंदिर में पढ़ने को मजबूर स्कूली बच्चे
पटनासिटी में मंदिर में पढ़ने को मजबूर स्कूली बच्चे
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Published : Apr 27, 2022, 10:58 PM IST

Updated : Apr 28, 2022, 10:27 AM IST

पटना: देश में बिहार में बजट का 20 फीसदी हिस्सा सिर्फ शिक्षा पर खर्च होता है. शिक्षा के लिए 39 हजार 191 करोड़ की राशि दी गयी है. शिक्षा मंत्री विजय चौधरी (Education Minister Vijay Choudhary) शिक्षा को हाईटेक और आधुनिक सिस्टम से सरकारी स्कूल को लैस करने में जुटे हैं. प्रतिदिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और शिक्षामंत्री विजय चौधरी बड़े-बड़े दावे करते हैं कि सभी सरकारी विद्यालयों का अपना जमीन और भवन होगा, उसमें सारी सुविधाएं मौजूद रहेगी, ताकि छात्र अपनी जिंदगी संवार सके. इन सबके बीच बिहार से कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आती हैं, जिनको देखकर नए सवाल खड़े होते हैं.

ये भी पढ़ें- लापरवाही : रोहतास के एक स्कूल में एक ही विषय के 14 टीचर तैनात.. 9 साल से चल रहा खेल

पटनासिटी में मन्दिर प्रांगण में चल रहा स्कूल: दरअसल, पटनासिटी में मालसलामी अंचल के राजकीय मध्य विद्यालय (Government Middle School in Patnacity) जो एक से आठ तक हैं, जो मन्दिर प्रांगण में बने सामुदायिक भवन में चलते हैं. 1975 से निरंतर चलने वाले स्कूल में ना तो अपना कोई भवन है और ना ही बैठने के लिए जगह है. यहां सैकड़ों छात्र दरी में ही अपना भविष्य ढूंढ रहे हैं. शिक्षक और छात्र असमाजिक लोगों के दहशत के साये में जी रहे हैं. पत्राचार के माध्यम से शिक्षा विभाग के सारे अधिकारियों को अवगत करा चुके हैं, लेकिन अभी तक स्कूल का भवन नहीं हो सका है. शिक्षिका चंदा करके मन्दिर का किराया 3000 रुपए देते हैं. यानी हाईटेक शिक्षा के नाम पर लूट मची है.

बिहार में शिक्षा का हाल बेहाल

''एक तरफ आस्था का मन्दिर है तो दूसरी तरह शिक्षा का मन्दिर है. लेकिन, समय आने पर किरारा देने के बावजूद शिक्षा के मन्दिर स्कूल को बन्द करना पड़ता है. मन्दिर में पूजा और सामुदायिक भवन में शादी-विवाह होने के कारण पढ़ाई बाधित होती है, जबकि सरकार कहती है कि सरकारी स्कूल के अपने भवन होने चाहिए, लेकिन इस जगह स्कूल मन्दिर परिसर में चलने को मजबूर है.''- अरविंद कुमार, प्रभारी प्रचार्य

शिक्षा मंत्री ने कबूली खामी: बता दें कि बिहार में शिक्षा के लिए 39 हजार करोड़ रुपये का मोटा बजट है. 39 हजार करोड़ का बजट सुनने में अच्छा लगता है. लेकिन, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि राज्य के 1885 स्कूलों को सिर्फ इसलिए बंद कर दिया गया क्योंकि उनके पास जमीन नहीं थी. हालांकि, शिक्षा विभाग का तर्क है कि स्कूलों को बंद नहीं किया गया है बल्कि जमीन के अभाव में ऐसे स्कूलों को दूसरे स्कूलों के साथ अटैच कर दिया गया है. दूसरे शब्दों में भूमिहीन वाले स्कूलों को बगल वाले स्कूलों में अटैच कर दिया गया है. पूरे मामले को लेकर शिक्षा विभाग के मंत्री विजय कुमार चौधरी का कहना है कि स्कूलों को बंद नहीं किया गया है, बल्कि जिनके पास जमीन नहीं है, उन्हें नजदीक वाले स्कूलों में अटैच किया गया है. इसे लेकर जल्द ही ठोस निर्णय लिया जाएगा.

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पटना: देश में बिहार में बजट का 20 फीसदी हिस्सा सिर्फ शिक्षा पर खर्च होता है. शिक्षा के लिए 39 हजार 191 करोड़ की राशि दी गयी है. शिक्षा मंत्री विजय चौधरी (Education Minister Vijay Choudhary) शिक्षा को हाईटेक और आधुनिक सिस्टम से सरकारी स्कूल को लैस करने में जुटे हैं. प्रतिदिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और शिक्षामंत्री विजय चौधरी बड़े-बड़े दावे करते हैं कि सभी सरकारी विद्यालयों का अपना जमीन और भवन होगा, उसमें सारी सुविधाएं मौजूद रहेगी, ताकि छात्र अपनी जिंदगी संवार सके. इन सबके बीच बिहार से कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आती हैं, जिनको देखकर नए सवाल खड़े होते हैं.

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पटनासिटी में मन्दिर प्रांगण में चल रहा स्कूल: दरअसल, पटनासिटी में मालसलामी अंचल के राजकीय मध्य विद्यालय (Government Middle School in Patnacity) जो एक से आठ तक हैं, जो मन्दिर प्रांगण में बने सामुदायिक भवन में चलते हैं. 1975 से निरंतर चलने वाले स्कूल में ना तो अपना कोई भवन है और ना ही बैठने के लिए जगह है. यहां सैकड़ों छात्र दरी में ही अपना भविष्य ढूंढ रहे हैं. शिक्षक और छात्र असमाजिक लोगों के दहशत के साये में जी रहे हैं. पत्राचार के माध्यम से शिक्षा विभाग के सारे अधिकारियों को अवगत करा चुके हैं, लेकिन अभी तक स्कूल का भवन नहीं हो सका है. शिक्षिका चंदा करके मन्दिर का किराया 3000 रुपए देते हैं. यानी हाईटेक शिक्षा के नाम पर लूट मची है.

बिहार में शिक्षा का हाल बेहाल

''एक तरफ आस्था का मन्दिर है तो दूसरी तरह शिक्षा का मन्दिर है. लेकिन, समय आने पर किरारा देने के बावजूद शिक्षा के मन्दिर स्कूल को बन्द करना पड़ता है. मन्दिर में पूजा और सामुदायिक भवन में शादी-विवाह होने के कारण पढ़ाई बाधित होती है, जबकि सरकार कहती है कि सरकारी स्कूल के अपने भवन होने चाहिए, लेकिन इस जगह स्कूल मन्दिर परिसर में चलने को मजबूर है.''- अरविंद कुमार, प्रभारी प्रचार्य

शिक्षा मंत्री ने कबूली खामी: बता दें कि बिहार में शिक्षा के लिए 39 हजार करोड़ रुपये का मोटा बजट है. 39 हजार करोड़ का बजट सुनने में अच्छा लगता है. लेकिन, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि राज्य के 1885 स्कूलों को सिर्फ इसलिए बंद कर दिया गया क्योंकि उनके पास जमीन नहीं थी. हालांकि, शिक्षा विभाग का तर्क है कि स्कूलों को बंद नहीं किया गया है बल्कि जमीन के अभाव में ऐसे स्कूलों को दूसरे स्कूलों के साथ अटैच कर दिया गया है. दूसरे शब्दों में भूमिहीन वाले स्कूलों को बगल वाले स्कूलों में अटैच कर दिया गया है. पूरे मामले को लेकर शिक्षा विभाग के मंत्री विजय कुमार चौधरी का कहना है कि स्कूलों को बंद नहीं किया गया है, बल्कि जिनके पास जमीन नहीं है, उन्हें नजदीक वाले स्कूलों में अटैच किया गया है. इसे लेकर जल्द ही ठोस निर्णय लिया जाएगा.

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Last Updated : Apr 28, 2022, 10:27 AM IST
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