पटना: बिहार में साल 2016 से पूर्ण शराबबंदी (Complete Prohibition In Bihar From 2016) है. लेकिन शराबबंदी के कारण कहीं ना कहीं राज्य सरकार को एक ओर करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा था. वहीं, साल 2022 में बिहार में इस साल अप्रैल में शराबबंदी संशोधन कानून लागू होने के बाद से छह माह में 72 हजार से अधिक अभियुक्त पहली बार शराब पीते हुए पकड़े गए हैं. इनमें पुलिस ने 38 हजार से अधिक जबकि मद्य निषेध विभाग ने 30 हजार से अधिक शराबियों को पकड़ा है. इन शराबियों को नियमानुसार, दो से पांच हजार रुपये जुर्माना लेकर छोड़ा गया है. जिससे सरकार को 17.53 करोड़ रुपये का फायदा (Government Is Benefit From Fine) हुआ है.
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बिहार में साल 2016 से पूर्ण शराबबंदी : गौरतलब है कि अप्रैल में पहली बार शराब पीने के अपराध में 3075 अभियुक्तों को पकड़ा गया. जिनसे करीब 52 लाख 26 हजार रुपये जुर्माना वसूला गया. वहीं, मई में 5887 लोगो की गिरफ्तारी की गई है. और 1.39 करोड़ की वसूली की गई है. वहीं, जून में 8651 गिरफ्तसरी, 2.06 करोड़ वसूली, जुलाई में 11,557 गिरफ्तारी, 2.90 करोड़ वसूली, अगस्त में 18,757 गिरफ्तारी, 5.63 करोड़ वसूली, सितंबर 20,690 गिरफ्तारी, 5.03 करोड़ वसूली की गई है. इसके अलावा संशोधन कानून से पहले दर्ज मामलों में 3559 अभियुक्तों को भी धारा 37 के तहत दो से पांच हजार रुपये जुर्माना लेकर छोड़ा गया है.
शराबियों के जुर्माना राशि से सरकार को हो रहा फायदा : विभागीय अधिकारियों के अनुसार, इस दौरान 426 अभियुक्त, ऐसे भी पकड़े गए, जिन्हें दोबारा शराब पीने के अपराध में पकड़ा गया. रिपीट आफेंडर्स यानी दूसरी बार शराब पीकर पकड़े जाने पर ऐसे अभियुक्तों को एक साल की सजा दिलाई गई है. बिहार सरकार के मद्य निषेध विभाग की ओर से मद्य निषेध कानून के तहत तय किए गए संशोधन के तहत पहली बार शराब पीने के जुर्म में जुर्माना भरकर छूटने वाले लोगों के घर चेतावनी पोस्टर चिपकाए जाने के निर्देश भी दिया गया है. मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग (Bihar Excise And Registration Department) के अनुसार, हर माह शराबियों को पकड़े जाने और उनसे जुर्माना राशि की प्राप्ति में वृद्धि दर्ज की जा रही है.