पटना : बिहार में एनडीए की सरकार गिर चुकी है. नई सरकार बनने जा रही है. इसी बीच कभी नीतीश के राइट हैंड रहे पूर्व केन्द्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (Former Union Minister RCP Singh) ने बड़ा हमला किया है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ''बिहार की जनता के द्वारा NDA के पक्ष में दिए गए 2020 के जनादेश के साथ विश्वासघात !''
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'नीतीश कुमार ने धोखा दिया' : इससे पहले बिहार बीजेपी के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा था कि 2020 विधानसभा चुनाव में बिहार में बीजेपी और जेडीयू को मैनडेट मिला था. प्रधानमंत्री ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया. जनता के जनादेश के साथ नीतीश कुमार ने धोखा किया. जनता माफ नहीं करेगी.
महगठबंधन के साथ चलेगी नीतीश सरकार : दरअसल, बिहार में जेडीयू और बीजेपी के बीच गठबंधन टूट गया (JDU BJP Alliance in Bihar) है. सभी अटकलबाजियों पर विराम लगाते हुए नीतीश कुमार ने राज्यपाल फागू चौहान को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. उन्होंने इसी बीच 160 विधायकों के समर्थन का पत्र सौंपकर सरकार बनाने का भी दावा पेश किया है. संभव है कि कल ही शपथ ग्रहण समारोह होगा. राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि- 'हमारे पार्टी के एमपी एमएलए के विचार विमर्श से ये इच्छा हुई है कि हम लोगों को NDA छोड़ देना चाहिए. इसलिए हमने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया'
RCP-JDU की राहें अलग : बता दें कि कुछ दिनों पहले ही आरसीपी सिंह ने जेडीयू से इस्तीफा दिया है. इसके बाद उन्होंने कहा था कि जेडीयू डूबता हुआ जहाज है. साथ ही उन्होंने नीतीश कुमार के साथ-साथ बिना नाम लिए ललन सिंह और उपेन्द्र कुशवाहा पर हमला किया था. उन्होंने कहा था कि जिन्होंने चुनाव के दौरान नीतीश कुमार को कमजोर किया, वो आज महिमा मंडित हो रहे हैं.
जेडीयू ने आरसीपी सिंह से मांगा था जवाब : दरअसल, जब जेडीयू कार्यकर्ता की ओर आरसीपी के संपत्ति विवाद को लेकर शिकायत दर्ज कराई गई तो आरोपों पर प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने पत्र के माध्यम से आरसीपी सिंह से जवाब मांगा था. आरसीपी की ओर से पार्टी को जवाब नहीं दिया गया था. चर्चा यह भी थी कि सब कुछ ललन सिंह के इशारे पर हो रहा है. आपको बता दें कि आरसीपी सिंह राज्यसभा नहीं जा पाए, इसकी वजह भी ललन सिंह से मनमुटाव को माना जा रहा है. यही कारण था कि आरसीपी सिंह को केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. ललन और आरसीपी सिंह का टकराव मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार के वक्त से ही दिखने लगा था. नतीजा ये हुआ कि तमाम दबाव और आरोपों के चलते आरसीपी को पार्टी से इस्तीफा देना पड़ा.