पटना: बिहार की सत्ताधारी पार्टी जेडीयू ने एक साल में ही बिहार इकाई को भंग कर दिया. जेडीयू के सभी प्रकोष्ठ भंग (All Cells Dissolved in JDU) हैं, वहीं लोकसभा प्रभारी और विधानसभा प्रभारी को भी भंग कर दिया गया है. दो सप्ताह से अधिक हो गए हैं, लेकिन जेडीयू प्रकोष्ठ के गठन पर सहमति नहीं (Formation of New Committee of JDU) बन पाई है. अब चर्चा यह भी है कि प्रदेश के महत्वपूर्ण पदों में भी उलटफेर किया जाएगा. पार्टी के अंदर शीर्ष नेताओं का गुट संगठन पर अपनी पकड़ चाहता है और इसी कारण नई कमेटी में विलंब हो रहा है.
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राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद आरसीपी सिंह (RCP Singh) ने जेडीयू बिहार इकाई का गठन (Formation of JDU Bihar Unit) किया था, लेकिन केंद्र में मंत्री बनने के बाद ललन सिंह (Lalan Singh) को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की जिम्मेवारी दी गई. ललन सिंह के जिम्मेवारी संभालने के बाद प्रदेश के सभी प्रकोष्ठ, सभी लोकसभा प्रभारी, सभी विधानसभा प्रभारी के पद को भंग कर दिया गया. अब 2 सप्ताह से अधिक हो चुका है, लेकिन अब तक नई कमेटी के लिए सहमति नहीं बन पा रही है.
''विलंब तो हो रहा है, लेकिन हम सबके नेता नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ही हैं. आरसीपी सिंह ने भी राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में अच्छा काम किया था. अब ललन सिंह अपनी भूमिका निभा रहे हैं और जल्द ही कमेटी की घोषणा हो जाएगी, कहीं कोई विवाद नहीं है.''- मुन्ना चौधरी, जेडीयू कार्यकर्ता
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''पार्टी में सभी स्तरों पर बातचीत कर शीर्ष नेतृत्व अंतिम फैसला लेंगे और फिर इसको जारी कर दिया जाएगा. जब पार्टी में कमेटी का गठन होना है तो पार्टी के शीर्ष नेतृत्व और सबकी सहमति से ही करेंगे. कहीं से कोई विवाद नहीं है.''- अरविंद निषाद, प्रवक्ता जेडीयू
''अक्सर देखने को मिलता रहा है कि जेडीयू में गुटबाजी है. जबसे आरसीपी सिंह केंद्रीय मंत्री बने हैं, उसके बाद नीतीश कुमार ने पेचअप करने की कोशिश की. ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया. कार्यकर्ताओं में गुस्सा है और आने वाले दिनों में जदयू में बवंडर उठना तय है.''- मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता, आरजेडी
राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद ललन सिंह के नेतृत्व में विधानसभा उपचुनाव में तारापुर और कुशेश्वरस्थान दोनों जगह पर पार्टी को जीत मिली है और नए सिरे से अब पार्टी को तैयार करने में लगे हैं. पार्टी की नजर 2024 और 2025 पर है. उससे पहले उत्तर प्रदेश चुनाव के साथ कई राज्यों में चुनाव होना है, लेकिन पार्टी का संगठन बिहार में सबसे मजबूत है, इसलिए बिहार पर सबसे ज्यादा जोर है.
लेकिन, संगठन में आरसीपी सिंह, उपेंद्र कुशवाहा और ललन सिंह अपने-अपने पसंदीदा को अधिक से अधिक जगह दिलाना चाहते हैं और दिक्कत इसी में है. इसके कारण ही सहमति नहीं बन पा रही है. ऐसे में फैसला अंत में नीतीश कुमार को ही करना है और ये फैसला कब होता है, यह देखने वाली बात होगी.
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