ETV Bharat / city

बिहार में फ्लोटिंग सोलर प्लांट : पानी के ऊपर तैरता 'पावर हाउस', बिजली की समस्या होगी दूर

बिहार में अब बिजली की समस्या नहीं होगी, क्योंकि बिजली की समस्या से छुटकारा पाने के लिए बिहार ने 2 जिलों में अनोखा सोलर पावर प्लांट (Solar Power Plant) का काम शुरू कर दिया गया है. ये अनोखा इसलिए हैं क्योंकि पानी के ऊपर सोलर प्लांट तैरता रहेगा और बिजली का उत्पादन करता रहेगा. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

फ्लोटिंग सोलर प्लांट
फ्लोटिंग सोलर प्लांट
author img

By

Published : Nov 25, 2021, 6:00 PM IST

Updated : Nov 25, 2021, 8:40 PM IST

पटना: बिहार सोलर एनर्जी (Solar Energy in Bihar) के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा है. बिहार में बिजली की समस्या को दूर करने के लिए सोलर एनर्जी के क्षेत्र में राज्य अग्रसर है. राज्य के 2 जिलों में अनोखा सोलर पावर प्लांट का काम शुरू कर दिया गया है. यह अनोखा इसलिए है, क्योंकि बिहार में फ्लोटिंग सोलर प्लांट (Floating Solar Plant in Bihar) पानी में सोलर प्लांट तैरता रहेगा और बिजली का उत्पादन होता रहेगा. साथ ही सोलर प्लांट खुद से कूलिंग भी होते रहेगा, ज्यादा गर्म होने पर यह पानी से खुद से ठंडा होता रहेगा.

ये भी पढ़ें- बिहार में अगले साल से सौर ऊर्जा से होगा बिजली का उत्पादन, परियोजना की रणनीति तैयार

बिहार के दो जिलों दरभंगा और सुपौल में फ्लोटिंग सोलर प्लांट (Floating Solar Plants in Darbhanga and Supaul ) अभी निर्माणाधीन हैं. बिहार में इस तरह का तैरता हुआ पावर सोलर प्लांट दरभंगा और सुपौल में लगाया जा रहा है. इसमें अतिरिक्त भूमि की जरूरत नहीं पड़ती है, जहां तालाब या पोखर है उसी के ऊपर एक तैरता सोलर प्लांट का निर्माण कराया जा रहा है. कुल मिलाकर देखा जाए तो ऊर्जा के क्षेत्र में बिहार आगे बढ़ रहा है. अब कोयले को छोड़ सोलर ऊर्जा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार सोलर बिजली पर काम करके आगे बढ़ रही है.

देखें रिपोर्ट

इस तरह के सोलर प्लांट लगाने में लगभग 4 से 5 एकड़ जमीन लगती है, जबकि बिजली कंपनी 10 एकड़ के तलाब पर इसका निर्माण कर रही है. बता दें कि एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी (Energy Private Limited Company) इस परियोजना पर काम कर रही है और बिहार सरकार से एग्रीमेंट है कि 25 सालों तक बिहार सरकार को प्रति यूनिट 4.15 रुपए बिजली खरीदेगी. दरभंगा में जो सोलर पावर प्लांट लग रहा है, उसकी क्षमता 1.6 मेगावाट होगी और यह पावर प्लांट बिजली घर के ग्रिड से कनेक्ट होगा. जहां से उत्पादित बिजली ग्रिड से होते हुए सीधे उपभोक्ता के घरों तक पहुंचेगी.

ये भी पढ़ें- बिहारः सरकारी भवनों की छतों पर होगी 'सौर ऊर्जा की खेती', लगाए जा रहे हैं सोलर पैनल

''इस सोलर प्लांट को लगाने में प्रति मेगा वाट 5.30 करोड़ खर्च पड़ता है. दरभंगा शहर में जो सोलर प्लांट लग रहा है वह 1.6 मेगा वाट का प्लांट है और जो सुपौल जिले में सोलर प्लांट लग रहा है वह 525 किलो वाट का है. इससे कई लोगों को रोजगार भी मिलेगा. इस प्लांट के तैयार होने के बाद कई लोग रोजगार से जुड़ जाएंगे.''- आलोक कुमार, ब्रेडा डायरेक्टर

ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान ब्रेडा डायरेक्टर आलोक कुमार ने कहा कि सोलर पावर प्लांट इसी वित्तीय वर्ष में शुरू हो जाएगा और इससे काफी कुछ फायदा होगा. जैसे कि इसके लिए अतिरिक्त जमीन की जरूरत नहीं है, यह तालाब या पोखर के ऊपर तैरता हुआ पावर हाउस है. उन्होंने कहा कि पानी के ऊपर सोलर प्लांट लगाने से कई प्रकार के फायदे होते हैं, एक तो पानी के वाइब्रेशन से पानी की स्थिति बनी रहती है, दूसरा कभी-कभी सोलर प्लांट काफी ज्यादा हिट हो जाता है, ऐसी स्थिति में नीचे पानी होने से वह स्वतः कूलिंग हो जाता है.

ऐसी ही विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

पटना: बिहार सोलर एनर्जी (Solar Energy in Bihar) के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा है. बिहार में बिजली की समस्या को दूर करने के लिए सोलर एनर्जी के क्षेत्र में राज्य अग्रसर है. राज्य के 2 जिलों में अनोखा सोलर पावर प्लांट का काम शुरू कर दिया गया है. यह अनोखा इसलिए है, क्योंकि बिहार में फ्लोटिंग सोलर प्लांट (Floating Solar Plant in Bihar) पानी में सोलर प्लांट तैरता रहेगा और बिजली का उत्पादन होता रहेगा. साथ ही सोलर प्लांट खुद से कूलिंग भी होते रहेगा, ज्यादा गर्म होने पर यह पानी से खुद से ठंडा होता रहेगा.

ये भी पढ़ें- बिहार में अगले साल से सौर ऊर्जा से होगा बिजली का उत्पादन, परियोजना की रणनीति तैयार

बिहार के दो जिलों दरभंगा और सुपौल में फ्लोटिंग सोलर प्लांट (Floating Solar Plants in Darbhanga and Supaul ) अभी निर्माणाधीन हैं. बिहार में इस तरह का तैरता हुआ पावर सोलर प्लांट दरभंगा और सुपौल में लगाया जा रहा है. इसमें अतिरिक्त भूमि की जरूरत नहीं पड़ती है, जहां तालाब या पोखर है उसी के ऊपर एक तैरता सोलर प्लांट का निर्माण कराया जा रहा है. कुल मिलाकर देखा जाए तो ऊर्जा के क्षेत्र में बिहार आगे बढ़ रहा है. अब कोयले को छोड़ सोलर ऊर्जा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार सोलर बिजली पर काम करके आगे बढ़ रही है.

देखें रिपोर्ट

इस तरह के सोलर प्लांट लगाने में लगभग 4 से 5 एकड़ जमीन लगती है, जबकि बिजली कंपनी 10 एकड़ के तलाब पर इसका निर्माण कर रही है. बता दें कि एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी (Energy Private Limited Company) इस परियोजना पर काम कर रही है और बिहार सरकार से एग्रीमेंट है कि 25 सालों तक बिहार सरकार को प्रति यूनिट 4.15 रुपए बिजली खरीदेगी. दरभंगा में जो सोलर पावर प्लांट लग रहा है, उसकी क्षमता 1.6 मेगावाट होगी और यह पावर प्लांट बिजली घर के ग्रिड से कनेक्ट होगा. जहां से उत्पादित बिजली ग्रिड से होते हुए सीधे उपभोक्ता के घरों तक पहुंचेगी.

ये भी पढ़ें- बिहारः सरकारी भवनों की छतों पर होगी 'सौर ऊर्जा की खेती', लगाए जा रहे हैं सोलर पैनल

''इस सोलर प्लांट को लगाने में प्रति मेगा वाट 5.30 करोड़ खर्च पड़ता है. दरभंगा शहर में जो सोलर प्लांट लग रहा है वह 1.6 मेगा वाट का प्लांट है और जो सुपौल जिले में सोलर प्लांट लग रहा है वह 525 किलो वाट का है. इससे कई लोगों को रोजगार भी मिलेगा. इस प्लांट के तैयार होने के बाद कई लोग रोजगार से जुड़ जाएंगे.''- आलोक कुमार, ब्रेडा डायरेक्टर

ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान ब्रेडा डायरेक्टर आलोक कुमार ने कहा कि सोलर पावर प्लांट इसी वित्तीय वर्ष में शुरू हो जाएगा और इससे काफी कुछ फायदा होगा. जैसे कि इसके लिए अतिरिक्त जमीन की जरूरत नहीं है, यह तालाब या पोखर के ऊपर तैरता हुआ पावर हाउस है. उन्होंने कहा कि पानी के ऊपर सोलर प्लांट लगाने से कई प्रकार के फायदे होते हैं, एक तो पानी के वाइब्रेशन से पानी की स्थिति बनी रहती है, दूसरा कभी-कभी सोलर प्लांट काफी ज्यादा हिट हो जाता है, ऐसी स्थिति में नीचे पानी होने से वह स्वतः कूलिंग हो जाता है.

ऐसी ही विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

Last Updated : Nov 25, 2021, 8:40 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.