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जदयू में 2022 में गुटबाजी बनेगी बड़ी चुनौती, सीएम नीतीश कुमार के नाम पर एकजुटता दिखाने की कोशिश

जदयू में आरसीपी सिंह, ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा को लेकर गुटबाजी की बात नयी नहीं है. पिछले साल बीच-बीच में इस प्रकार की खबरें आती रही है. वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए कहा जा सकता है कि 2022 में जदयू में गुटबाजी बड़ी चुनौती (Factionalism challenge in JDU) होगी. पढ़ें इस मुद्दे पर यह विशेष रिपोर्ट.

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Published : Jan 2, 2022, 6:33 PM IST

पटना: बिहार सत्तारूढ़ गठबंधन (Bihar Ruling Coalition) में प्रमुख घटक दल जदयू 2021 में आरसीपी सिंह, ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा की गुटबाजी (Factionalism in JDU) चर्चा में रही. ललन सिंह ने आरसीपी सिंह के करीबियों को एक-एक कर सगंठन के पदों से बाहर का रास्ता दिखाया. उपेंद्र कुशवाहा और आरसीपी सिंह के बीच अभी भी दूरियां कम नहीं हुई हैं. राहत इतनी रही कि बिहार विधानसभा के उपचुनाव (Bihar Assembly by elections) के दोनों सीटों पर जदयू को जीत मिल गयी लेकिन नये साल में पार्टी के लिए चुनौतियां लगातार बढ़ रही हैं.

ये भी पढ़ें: नए साल में JDU के सभी विधायकों से मिले ललन सिंह, संगठन की मजबूती के लिए दिया टास्क

2021 में आरसीपी सिंह के बनाए सभी प्रकोष्ठों को भंग किए जाने के कारण पार्टी के अंदर असंतोष है. पिछले दिनों मुजफ्फरपुर में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में जिस प्रकार से हंगामा हुआ, वह एक बड़ा उदाहरण है. प्रदेश अध्यक्ष ने पटना कार्यालय में भी मुजफ्फरपुर के नेताओं को बुलाया था. पटना कार्यालय में हुई बैठक के दौरान भी जमकर हंगामा हुआ था. पार्टी में ललन सिंह, आरसीपी सिंह और उपेंद्र कुशवाहा अपने लोगों को अधिक से अधिक जगह दिलाना चाहते हैं.

देखें वीडियो

भंग प्रकोष्ठों का गठन जनवरी में ही होना है. ऐसे में जिस गुट के लोगों को जगह नहीं मिलेगी, उनमें असंतोष बढ़ना तय है. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार का कहना है कि पार्टी में कोई गुट नहीं है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) एकमात्र गुट हैं. किसी को संदेह है तो अपना संदेह दूर कर ले.

जदयू प्रदेश उपाध्यक्ष शंभू नाथ झा का भी कहना है कि हम लोग नीतीश कुमार के हाथों को मजबूत करने में लगे हैं. पंचायत से लेकर विधायक स्तर तक संगठन को लेकर काम हो रहा है. पार्टी में कहीं गुटबाजी नहीं है.
प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा का दावा है कि सभी विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों से मदद ली जा रही है. संगठन को अभियान चलाकर धारदार और जानदार बनाने की कोशिश हो रही है.

जदयू के भंग प्रकोष्ठों का इसी महीने गठन होना है. सभी गुट चाहते हैं कि उसके अधिक से अधिक लोग संगठन में हों. यह एक बड़ी चुनौती है. इसके साथ ही विधान परिषद के 24 सीटों पर भी चुनाव होना है. कई लोग हाल-फिलहाल जदयू में आए हैं. कई की दावेदारी पहले से है. ऐसे में इन सब से निपटना पार्टी के लिए आसान नहीं होगा लेकिन नीतीश कुमार के नाम पर जरूर पार्टी के नेता एकजुटता की बात कह रहे हैं.

ये भी पढ़ें: पटना में सोमवार से आठवीं तक के सभी स्कूल बंद

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पटना: बिहार सत्तारूढ़ गठबंधन (Bihar Ruling Coalition) में प्रमुख घटक दल जदयू 2021 में आरसीपी सिंह, ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा की गुटबाजी (Factionalism in JDU) चर्चा में रही. ललन सिंह ने आरसीपी सिंह के करीबियों को एक-एक कर सगंठन के पदों से बाहर का रास्ता दिखाया. उपेंद्र कुशवाहा और आरसीपी सिंह के बीच अभी भी दूरियां कम नहीं हुई हैं. राहत इतनी रही कि बिहार विधानसभा के उपचुनाव (Bihar Assembly by elections) के दोनों सीटों पर जदयू को जीत मिल गयी लेकिन नये साल में पार्टी के लिए चुनौतियां लगातार बढ़ रही हैं.

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2021 में आरसीपी सिंह के बनाए सभी प्रकोष्ठों को भंग किए जाने के कारण पार्टी के अंदर असंतोष है. पिछले दिनों मुजफ्फरपुर में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में जिस प्रकार से हंगामा हुआ, वह एक बड़ा उदाहरण है. प्रदेश अध्यक्ष ने पटना कार्यालय में भी मुजफ्फरपुर के नेताओं को बुलाया था. पटना कार्यालय में हुई बैठक के दौरान भी जमकर हंगामा हुआ था. पार्टी में ललन सिंह, आरसीपी सिंह और उपेंद्र कुशवाहा अपने लोगों को अधिक से अधिक जगह दिलाना चाहते हैं.

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भंग प्रकोष्ठों का गठन जनवरी में ही होना है. ऐसे में जिस गुट के लोगों को जगह नहीं मिलेगी, उनमें असंतोष बढ़ना तय है. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार का कहना है कि पार्टी में कोई गुट नहीं है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) एकमात्र गुट हैं. किसी को संदेह है तो अपना संदेह दूर कर ले.

जदयू प्रदेश उपाध्यक्ष शंभू नाथ झा का भी कहना है कि हम लोग नीतीश कुमार के हाथों को मजबूत करने में लगे हैं. पंचायत से लेकर विधायक स्तर तक संगठन को लेकर काम हो रहा है. पार्टी में कहीं गुटबाजी नहीं है.
प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा का दावा है कि सभी विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों से मदद ली जा रही है. संगठन को अभियान चलाकर धारदार और जानदार बनाने की कोशिश हो रही है.

जदयू के भंग प्रकोष्ठों का इसी महीने गठन होना है. सभी गुट चाहते हैं कि उसके अधिक से अधिक लोग संगठन में हों. यह एक बड़ी चुनौती है. इसके साथ ही विधान परिषद के 24 सीटों पर भी चुनाव होना है. कई लोग हाल-फिलहाल जदयू में आए हैं. कई की दावेदारी पहले से है. ऐसे में इन सब से निपटना पार्टी के लिए आसान नहीं होगा लेकिन नीतीश कुमार के नाम पर जरूर पार्टी के नेता एकजुटता की बात कह रहे हैं.

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