पटना: कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा असर डेंटिस्ट्स पर पड़ा है. सरकार की तरफ से जारी निर्देशों के बाद लॉकडाउन के दौरान सभी डेंटल क्लीनिक बंद रहे. लॉकडाउन में ढील के बाद भी डेंटल क्लीनिक की तस्वीरों में कुछ खास बदलाव देखने को नहीं मिल रहे.
सता रहा है संक्रमण का डर
सिर्फ इमरजेंसी केस में ही मरीज क्लीनिक पहुंच रहे हैं. उन्हें कहीं ना कहीं इस बात का डर सता रहा है कि संक्रमण हो सकता है. राजधानी पटना के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पीटल पटना डेंटल कॉलेज और अस्पताल में महज एक-दो ही मरीज चेकअप के लिए आ रहे हैं.
डेंटिस्ट्री में वायरल ट्रांसमिशन का खतरा
डेंटिस्ट्री के प्रोफेशन में वायरल ट्रांसमिशन का खतरा सबसे ज्यादा है. कोरोना वायरस मुंह और नाक से निकलने वाली बूंदों के जरिए फैलता है. इस वजह से ज्यादातर मरीज इमरजेंसी की नौबत नहीं आने पर अस्पताल आने से परहेज कर रहे हैं. सरकारी अस्पताल में भी पहले की तुलना में 10 से 20 फीसदी मरीज ही इलाज कराने पहुंच रहे हैं.
हो रहा है सरकारी निर्देशों का पालन
कोरोना वायरस के दौरान डॉक्टर खुद और पेशेंट की सुरक्षा के मद्देनजर सरकार की तरफ से दिए गए निर्देशों का बखूबी पालन भी कर रहे हैं. राजधानी पटना के निजी अपोलो डेंटल क्लीनिक की डेंटिस्ट के मरीज के क्लीनिक में आते ही थर्मल स्क्रीनिंग के साथ-साथ उनकी ट्रेवल हिस्ट्री की पूरी जानकारी लेने के बाद ही उनका इलाज करते हैं.
इलाज के दौरान पीपीई किट का इस्तेमाल
डॉक्टरों का मानना है कि सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार इमरजेंसी केस ही अस्पताल पहुंच रहे हैं. नार्मल लोग भी खुद क्लीनिक आने से परहेज कर रहे हैं. डॉक्टर खुद और मरीज की सुरक्षा के लिए इलाज के दौरान पीपीई किट का इस्तेमाल कर रहे हैं. डॉक्टर मानते हैं कि सबसे ज्यादा खतरा इस समय डेंटिस्ट पर ही हैं. इस वजह से काम करने में भी डर लगता है.
सोशल डिस्टेंस का पालन
दांतों की समस्या लेकर अस्पताल पहुंचे मरीजों का मानना है ज्यादा प्रॉब्लम होने की वजह से ही अस्पताल आना पड़ा है. सोशल डिस्टेंस मेंटेन कर रहे हैं. साथ ही कोशिश कर रहे हैं कि अस्पताल आने पर किसी भी तरह की वस्तुओं को न छुएं.
घाटे का शिकार डेंटिस्ट्री
कोरोना काल में डेंटिस्ट्री घाटे का शिकार हो रही है.भले ही बाकी व्यवसाय, दुकानें खुल भी जाएं, लेकिन यकीनन कोरोना संक्रमण का असर इस प्रोफेशन को दूर तक सताएगा.