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50 साल में मिली कोसी-मेची योजना को मंजूरी, डबल इंजन सरकार होने पर भी 5 साल से अटकी - central government

बिहार की पहली और देश की दूसरी बड़ी कोसी-मेची नदी जोड़ योजना (Kosi-Mechi River Project) राशि के अभाव में खटाई में पड़ती दिख रही है. राज्य सरकार (State Government) पिछले कई सालों से इसे राष्ट्रीय परियोजना में शामिल करने की मांग कर रही है. लेकिन, बिहार में डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद इस योजना के प्रति केंद्र सरकार अभी भी चुप्पी साधे हुए है. पढ़ें रिपोर्ट..

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Published : Sep 26, 2021, 4:49 PM IST

पटना: बिहार में नदी जोड़ योजना की चर्चा उसी समय से हो रही है जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) प्रधानमंत्री थे. कई बार बिहार सरकार ने भी डीपीआर बनाकर भी भेजा था, जिसके बाद कोसी-मेची नदी योजना (Kosi-Mechi River Project) की डीपीआर भी स्वीकृत हो चुकी है, लेकिन मामला राशि को लेकर अटका हुआ है. चार-पांच साल पहले जब इस योजना की स्वीकृति मिली थी उस समय 4900 करोड़ राशि खर्च होने का अनुमान लगाया गया था. अब जल संसाधन मंत्री संजय झा (Minister Sanjay Jha) भी कहते हैं कि यह राशि काफी बढ़ेगी.

ये भी पढ़ें- जातीय जनगणना: केंद्र के इंकार पर दिल्ली में बोले नीतीश, 'बिहार जाकर लूंगा आगे का निर्णय'

सबसे बड़ी बात कि बिहार में डबल इंजन की सरकार है, लेकिन बिहार की योजना को केंद्र सरकार (Central Government) ने स्वीकार नहीं किया है. वहीं, एमपी की योजना को कई साल पहले हरी झंडी दे दी गई. अब बिहार सरकार पिछले कई सालों से राष्ट्रीय परियोजना में इसे शामिल करने की मांग कर रही है.

देखिए रिपोर्ट

बिहार में कोसी-मेची नदी योजना की चर्चा पिछले दो दशक से हो रही है. नदियों को जोड़ने की चर्चा अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में खूब हुई थी, क्योंकि बिहार का बड़ा हिस्सा बाढ़ प्रभावित है, इसलिए बिहार सरकार नदियों को जोड़ने की योजना को लेकर कई बार केंद्र से गुहार लगा चुकी है. कोसी मेची नदी जोड़ योजना से बिहार के बड़े हिस्से में बाढ़ से निजात मिल सकती है और सिंचाई की सुविधा भी मिलेगी. कोसी मेची नदी योजना की स्वीकृति मिलने के बाद भी उस पर काम शुरू नहीं हुआ है, क्योंकि जब स्वीकृति मिली तो उस समय 4900 करोड़ों की राशि इस योजना पर खर्च होने वाली थी.

ये भी पढ़ें- बिहार की नदियां उफान पर, कई गावों में घुसा बाढ़ का पानी

केंद्र सरकार ने उसी समय मध्य प्रदेश की योजना को केंद्रीय योजना के रूप में स्वीकृति दे दी. केंद्रीय योजना घोषित करने के लिए केंद्र सरकार ने प्रावधान कर रखा है कि कम से कम 2,00,000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा होनी चाहिए और इसी आधार पर मध्य प्रदेश की केन बेतवा नदी जोड़ योजना को केंद्र ने अपनी योजना मान लिया और इसके तहत 90 फीसदी राशि केंद्र सरकार देगी और केवल राज्य को 10% राशि ही खर्च करना पड़ेगी.

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बिहार सरकार भी कोसी मेची नदी योजना को केंद्रीय योजना में शामिल करने की मांग करती रही है, क्योंकि इससे योजना को जमीन पर उतारने में जो राशि खर्च होगी उसका 90% हिस्सा केंद्र सरकार को देना होगा, केवल 10% राशि बिहार सरकार को खर्च करना पड़ेगा. लगभग 5 साल पहले जब योजना स्वीकृत हुई थी, तो उस समय 4900 करोड़ की राशि खर्च होने का अनुमान लगाया गया था. जल संसाधन मंत्री संजय झा का कहना है कि अब राशि और बढ़ जाएगी और इसलिए हम लोग केंद्र से राष्ट्रीय परियोजना में कोसी मेची नदी योजना को शामिल करने की मांग करते रहे हैं.

ये भी पढ़ें- नेपाल में भारी बारिश से उफनाईं कई नदियां, बढ़ते जलस्तर से पटना के घाटों पर खतरे की घंटी

''योजना को लेकर सभी तरह की स्वीकृति मिल चुकी है यहां तक की वन पर्यावरण विभाग से भी स्वीकृति मिल चुकी है. इस परियोजना से 2,00,000 हेक्टेयर से अधिक सिंचाई की सुविधा भी मिलेगी. जो राष्ट्रीय परियोजना में शामिल करने के लिए केंद्र की शर्त भी है. इसके लिए हम लोग लगातार प्रयास कर रहे हैं.''- संजय झा, मंत्री, जल संसाधन विभाग

कोसी मेची नदी योजना से अररिया जिले में 59,000 हेक्टेयर, पूर्णिया जिले में 60,000 हेक्टेयर, किशनगंज जिले में 40,000 हेक्टेयर और कटिहार जिले में 35,000 हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी.

ये भी पढ़ें- उफनाईं बिहार की नदियां, फसलें डूबीं, पुल टूटे... और बह गईं सड़कें

''बिहार में डबल इंजन की सरकार में भी जब इस तरह की बड़ी परियोजना धरातल पर नहीं उतर रही है, तो यह बिहार के लिए बड़ा ही दुर्भाग्यपूर्ण है. जब डबल इंजन की सरकार में योजना जमीन पर नहीं उतर रही है, तो भविष्य में योजना जमीन पर उतरेगी इसकी संभावना कम ही है.''- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

बिहार सरकार की ओर से 2008 में 6 नदियों को जोड़ने पर केंद्र सरकार से अनुरोध किया था और उसी समय से कोसी मेची नदी योजना चर्चा में है. 2013-14 में बिहार सरकार ने जो आकलन किया था, उस समय 3000 करोड़ की राशि खर्च होना थी, लेकिन 2019 में जब हर तरह की स्वीकृति कोसी मेची नदी योजना के लिए केंद्र से मिल गई है, तब यह राशि बढ़कर 4900 करोड़ से अधिक पहुंच गया और अब इसकी राशि में और बढ़ोतरी होना तय है.

बिहार सरकार अब छोटी नदियों को अपने संसाधनों से जोड़ने की योजना पर काम कर रही है. कई तरह के विशेषज्ञों की कमेटी का गठन किया गया है और विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर आगे काम किया जाएगा. दक्षिण बिहार और उत्तर बिहार की जो प्रमुख छोटी नदियां हैं, पहले उन्हें जोड़ा जाएगा, लेकिन सबसे बड़ा सवाल कोसी मेची नदी योजना वर्षों से चर्चा में होने के बावजूद अब तक केंद्र सरकार का रुख सकारात्मक नहीं रहा है.

यह स्थिति तब है जब उत्तर बिहार 4 दशक में ही 10 जल प्रलय झेल चुका है. 76% आबादी उत्तर बिहार की बाढ़ से प्रभावित है और हर साल बाढ़ से तबाही होती है. हजारों करोड़ का नुकसान उठाना पड़ता है. बिहार में डबल इंजन की सरकार है, लेकिन इस योजना के प्रति केंद्र सरकार अभी भी चुप्पी साधे हुए है.

पटना: बिहार में नदी जोड़ योजना की चर्चा उसी समय से हो रही है जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) प्रधानमंत्री थे. कई बार बिहार सरकार ने भी डीपीआर बनाकर भी भेजा था, जिसके बाद कोसी-मेची नदी योजना (Kosi-Mechi River Project) की डीपीआर भी स्वीकृत हो चुकी है, लेकिन मामला राशि को लेकर अटका हुआ है. चार-पांच साल पहले जब इस योजना की स्वीकृति मिली थी उस समय 4900 करोड़ राशि खर्च होने का अनुमान लगाया गया था. अब जल संसाधन मंत्री संजय झा (Minister Sanjay Jha) भी कहते हैं कि यह राशि काफी बढ़ेगी.

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सबसे बड़ी बात कि बिहार में डबल इंजन की सरकार है, लेकिन बिहार की योजना को केंद्र सरकार (Central Government) ने स्वीकार नहीं किया है. वहीं, एमपी की योजना को कई साल पहले हरी झंडी दे दी गई. अब बिहार सरकार पिछले कई सालों से राष्ट्रीय परियोजना में इसे शामिल करने की मांग कर रही है.

देखिए रिपोर्ट

बिहार में कोसी-मेची नदी योजना की चर्चा पिछले दो दशक से हो रही है. नदियों को जोड़ने की चर्चा अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में खूब हुई थी, क्योंकि बिहार का बड़ा हिस्सा बाढ़ प्रभावित है, इसलिए बिहार सरकार नदियों को जोड़ने की योजना को लेकर कई बार केंद्र से गुहार लगा चुकी है. कोसी मेची नदी जोड़ योजना से बिहार के बड़े हिस्से में बाढ़ से निजात मिल सकती है और सिंचाई की सुविधा भी मिलेगी. कोसी मेची नदी योजना की स्वीकृति मिलने के बाद भी उस पर काम शुरू नहीं हुआ है, क्योंकि जब स्वीकृति मिली तो उस समय 4900 करोड़ों की राशि इस योजना पर खर्च होने वाली थी.

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केंद्र सरकार ने उसी समय मध्य प्रदेश की योजना को केंद्रीय योजना के रूप में स्वीकृति दे दी. केंद्रीय योजना घोषित करने के लिए केंद्र सरकार ने प्रावधान कर रखा है कि कम से कम 2,00,000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा होनी चाहिए और इसी आधार पर मध्य प्रदेश की केन बेतवा नदी जोड़ योजना को केंद्र ने अपनी योजना मान लिया और इसके तहत 90 फीसदी राशि केंद्र सरकार देगी और केवल राज्य को 10% राशि ही खर्च करना पड़ेगी.

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बिहार सरकार भी कोसी मेची नदी योजना को केंद्रीय योजना में शामिल करने की मांग करती रही है, क्योंकि इससे योजना को जमीन पर उतारने में जो राशि खर्च होगी उसका 90% हिस्सा केंद्र सरकार को देना होगा, केवल 10% राशि बिहार सरकार को खर्च करना पड़ेगा. लगभग 5 साल पहले जब योजना स्वीकृत हुई थी, तो उस समय 4900 करोड़ की राशि खर्च होने का अनुमान लगाया गया था. जल संसाधन मंत्री संजय झा का कहना है कि अब राशि और बढ़ जाएगी और इसलिए हम लोग केंद्र से राष्ट्रीय परियोजना में कोसी मेची नदी योजना को शामिल करने की मांग करते रहे हैं.

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''योजना को लेकर सभी तरह की स्वीकृति मिल चुकी है यहां तक की वन पर्यावरण विभाग से भी स्वीकृति मिल चुकी है. इस परियोजना से 2,00,000 हेक्टेयर से अधिक सिंचाई की सुविधा भी मिलेगी. जो राष्ट्रीय परियोजना में शामिल करने के लिए केंद्र की शर्त भी है. इसके लिए हम लोग लगातार प्रयास कर रहे हैं.''- संजय झा, मंत्री, जल संसाधन विभाग

कोसी मेची नदी योजना से अररिया जिले में 59,000 हेक्टेयर, पूर्णिया जिले में 60,000 हेक्टेयर, किशनगंज जिले में 40,000 हेक्टेयर और कटिहार जिले में 35,000 हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी.

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''बिहार में डबल इंजन की सरकार में भी जब इस तरह की बड़ी परियोजना धरातल पर नहीं उतर रही है, तो यह बिहार के लिए बड़ा ही दुर्भाग्यपूर्ण है. जब डबल इंजन की सरकार में योजना जमीन पर नहीं उतर रही है, तो भविष्य में योजना जमीन पर उतरेगी इसकी संभावना कम ही है.''- रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

बिहार सरकार की ओर से 2008 में 6 नदियों को जोड़ने पर केंद्र सरकार से अनुरोध किया था और उसी समय से कोसी मेची नदी योजना चर्चा में है. 2013-14 में बिहार सरकार ने जो आकलन किया था, उस समय 3000 करोड़ की राशि खर्च होना थी, लेकिन 2019 में जब हर तरह की स्वीकृति कोसी मेची नदी योजना के लिए केंद्र से मिल गई है, तब यह राशि बढ़कर 4900 करोड़ से अधिक पहुंच गया और अब इसकी राशि में और बढ़ोतरी होना तय है.

बिहार सरकार अब छोटी नदियों को अपने संसाधनों से जोड़ने की योजना पर काम कर रही है. कई तरह के विशेषज्ञों की कमेटी का गठन किया गया है और विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर आगे काम किया जाएगा. दक्षिण बिहार और उत्तर बिहार की जो प्रमुख छोटी नदियां हैं, पहले उन्हें जोड़ा जाएगा, लेकिन सबसे बड़ा सवाल कोसी मेची नदी योजना वर्षों से चर्चा में होने के बावजूद अब तक केंद्र सरकार का रुख सकारात्मक नहीं रहा है.

यह स्थिति तब है जब उत्तर बिहार 4 दशक में ही 10 जल प्रलय झेल चुका है. 76% आबादी उत्तर बिहार की बाढ़ से प्रभावित है और हर साल बाढ़ से तबाही होती है. हजारों करोड़ का नुकसान उठाना पड़ता है. बिहार में डबल इंजन की सरकार है, लेकिन इस योजना के प्रति केंद्र सरकार अभी भी चुप्पी साधे हुए है.

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