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सावन की पूर्णिमा को लेकर गंगा घाटों पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, उमानाथ मंदिर में भी भक्तों का तांता

उमानाथ मंदिर में दूर-दूर से हजारों की तादाद में श्रद्धालु आते हैं. भगवान शंकर का जलाभिषेक करते हैं. शादी-विवाह के प्रयोजन से मनोकामनाएं रखने के लिए यहां कई जिलों से श्रद्धालु आते रहते हैं.

सावन की पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं की भीड़
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Published : Aug 15, 2019, 10:59 AM IST

पटना: बाढ़ अनुमंडल के विभिन्न गंगा घाटों पर सावन की पूर्णिमा को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. श्रद्धालु दूर-दूर से गंगा स्नान के लिए घाटों पर पहुंचे.

सावन की पूर्णिमा के अवसर पर गंगा में स्नान करने के लिए पटना के अलग-अलग घाटों पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. बिहार का काशी कहे जाने वाली उमानाथ मंदिर में हजारों भक्तों ने भगवान शिव पर जलाभिषेक किया. शिवालयों में भगवान शंकर की जय का नारा लगता रहा.

सावन की पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं की भीड़

उमानाथ मंदिर को कहते हैं बिहार का काशी
उमानाथ मंदिर की पहचान बिहार के काशी के तौर पर की जाती है. उत्तरायण गंगा के तट पर देश में गिने चुने ही शिव मंदिर हैं. उमानाथ मंदिर उनमें से एक है. माना जाता है कि गोमुख से निकलने के बाद गंगा नदी पूरे देश में कुछ ही स्थलों पर उत्तरायण यानी उत्तरागामी है. इनमें हरिद्वार, बनारस, उमानाथ और सुल्तानगंज शामिल है. इसी कारण इसे बिहार का काशी भी कहा जाता है.

उत्तरायण गंगा का जल होता है पवित्र
उत्तरागामी गंगा का हिंदू धर्म में बहुत ही महत्व है. उत्तरागामी गंगा में स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं. उत्तरागामी गंगा का जल काफी पवित्र होता है. श्रद्धालु यहां से जल भरकर अपने घर ले जाते हैं. पूजा-अर्चना में इस जल का काफी महत्व है.

पटना: बाढ़ अनुमंडल के विभिन्न गंगा घाटों पर सावन की पूर्णिमा को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. श्रद्धालु दूर-दूर से गंगा स्नान के लिए घाटों पर पहुंचे.

सावन की पूर्णिमा के अवसर पर गंगा में स्नान करने के लिए पटना के अलग-अलग घाटों पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. बिहार का काशी कहे जाने वाली उमानाथ मंदिर में हजारों भक्तों ने भगवान शिव पर जलाभिषेक किया. शिवालयों में भगवान शंकर की जय का नारा लगता रहा.

सावन की पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं की भीड़

उमानाथ मंदिर को कहते हैं बिहार का काशी
उमानाथ मंदिर की पहचान बिहार के काशी के तौर पर की जाती है. उत्तरायण गंगा के तट पर देश में गिने चुने ही शिव मंदिर हैं. उमानाथ मंदिर उनमें से एक है. माना जाता है कि गोमुख से निकलने के बाद गंगा नदी पूरे देश में कुछ ही स्थलों पर उत्तरायण यानी उत्तरागामी है. इनमें हरिद्वार, बनारस, उमानाथ और सुल्तानगंज शामिल है. इसी कारण इसे बिहार का काशी भी कहा जाता है.

उत्तरायण गंगा का जल होता है पवित्र
उत्तरागामी गंगा का हिंदू धर्म में बहुत ही महत्व है. उत्तरागामी गंगा में स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं. उत्तरागामी गंगा का जल काफी पवित्र होता है. श्रद्धालु यहां से जल भरकर अपने घर ले जाते हैं. पूजा-अर्चना में इस जल का काफी महत्व है.

Intro:बाढ़:सावन की पूर्णिमा को लेकर श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, दूर-दूर से गंगा स्नान करने पहुंचे श्रद्धालु, गंगा स्नान कर भगवान शिव का किया उद्घोष


Body:बाढ़:सावन की पूर्णिमा को लेकर अनुमंडल के विभिन्न गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।वही उत्तरायण गंगा होने के कारण और बिहार की काशी कहे जाने वाली उमानाथ मंदिर में हजारों भक्तों ने भगवान शिव पर जलाभिषेक किया। गंगा नदी में स्नान करने के बाद पवित्र जल के साथ बेलपत्र, धतूरा, भांग एवं चंदन के साथ पूजा अर्चना की और मंतिया मांगी। शिवालयों में भोले शंकर सुबह से ही उद्घोष होता रहा और मंदिरों में घंटियां बजती रही। उत्तरायण गंगा में स्नान करने पर मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं ऐसा बताया जाता है।

बाढ़ सभी घाटों से दूर दूर से हजारों की संख्या में लोग गंगा तट के किनारे बने घाट पहुंचे।शिवलिंग का जलाभिषेक किया। सभी ने शिवालय में शिव के का जय कार किया। वहीं महिला पूजा करने के बाद कई सिंगार के सामग्रियां भी खरीदी। वहीं मंदिर प्रशासन की तरफ से भक्तों के लिए लाइट सहित कई सुविधाओं की व्यवस्था की गई।



Conclusion: बाढ़ अनुमंडल के सबसे पुराने मंदिरों में से एक उमानाथ मंदिर जहां उत्तरायण गंगा होने के कारण दूर-दूर से लोग यहां पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं।पूरे भारतवर्ष में चार जगह उत्तरायण गंगा है । हरिद्वार वाराणसी बाढ़ और सुल्तानगंज। बताया जाता है कि उमानाथ मंदिर त्रेता युग से है। यहां उत्तरायण गंगा बाढ़ लगभग 3 किलोमीटर है।इसे बिहार का काशी कहा जाता है। यहां पर रखी मूर्ति लगभग 700 से 800 साल पुरानी बताई जाती है। उत्तरायण गंगा का हिंदू धर्म में बहुत ही महत्व है उत्तरण गंगा में स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं वही उत्तरायण गंगा का जल काफी पवित्र होता है।श्रद्धालु यहां से जल भरकर अपने घर ले जाते हैं और पूजा अर्चना में इस जल का काफी महत्व है।
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