नई दिल्ली: कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं वरिष्ठ नेता तारिक अनवर ( Tariq Anwar ) ने कहा कि बीजेपी ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव ( Bihar Assembly Election ) में चिराग पासवान का जमकर इस्तेमाल किया. चिराग के जरिए बीजेपी ने नीतीश कुमार को कमजोर कर दिया. बीजेपी के कहने पर चिराग ने विधानसभा चुनाव में जदयू के खिलाफ हर सीट पर उम्मीदवार उतारा था. अब बीजेपी चिराग को धोखा देकर अकेले छोड़ दी है.
उन्होंने कहा कि बीजेपी लोगों का इस्तेमाल करके धोखा देकर अकेले छोड़ देने की राजनीति करती है. चिराग पासवान इसका उदाहरण हैं. कांग्रेस नेता ने कहा कि चिराग के पास अब कोई विकल्प नहीं बचा है. अगर वह महागठबंधन में आना चाहेंगे तो हम लोग इस पर विचार करेंगे. इसके लिए चिराग खुद कितने तैयार हैं, यह देखना होगा. धोखा खाने के बाद भी अगर चिराग बीजेपी के साथ रहते हैं तो यह आश्चर्यजनक होगा.
ये भी पढ़ें- Bihar Politics: चिराग पासवान से मिले RJD नेता श्याम रजक, क्या 'बंगले' में 'लालटेन' जलाने की है तैयारी?
उन्होंने यह भी कहा कि LJP कोटे से पशुपति पारस को केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. मंत्री उनको इनके योग्यता के आधार पर नहीं बनाया गया. जातीय समीकरण को ध्यान में रख कर बनाया गया है.
बता दें कि लोजपा में बड़ी टूट हुई थी. चिराग के चाचा एवं सांसद पशुपति पारस के साथ कुल 5 सांसद अलग हो गए. सांसदों ने चिराग की जगह पारस को संसदीय दल का नेता बना दिया. पारस अपने गुट के लोगों के साथ बैठक कर चिराग की जगह खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए. चिराग में सभी बागी लोगों को पार्टी से निकाल दिया.
ये भी पढ़ें- बोले श्याम रजक- मोदी के 'हनुमान' नहीं बल्कि 'एकलव्य' बनकर रह गए चिराग
चिराग ने लोजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई, जिसमें 95 फीसदी लोग मौजूद थे. चिराग ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष वह हैं. लोजपा दो खेमों में बट गई है. एक खेमा चिराग का है. दूसरा पारस का है. दोनों गुट खुद को असली लोजपा बता रहे हैं. मामला अभी चुनाव आयोग में है. वहीं लोजपा कोटे से पारस को केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बना दिया गया है. इसके बाद से चिराग पासवान बीजेपी से नाराज बताए जा रहे हैं. अब बड़ा सवाल ये है कि क्या वह महागठबंधन में जाएंगे?
ये भी पढ़ें- PM के सर्वदलीय बैठक में चिराग पासवान सम्मिलित होंगे या नहीं संशय बरकरार
वहीं बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग ने जदयू के खिलाफ हर सीट पर उम्मीदवार दिया था, जिसके कारण जदयू सिर्फ 43 सीटों पर सिमट गई. लोजपा में जो टूट हुई है, उसमें जदयू की भूमिका मानी जा रही है. ऐसा करके जदयू ने विधानसभा चुनाव का बदला लिया है.