पटना: बिहार में दो विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव (Bihar by-election) में अकेले चुनाव मैदान में उतरी कांग्रेस (Congress) द्वारा स्टार प्रचारकों की सूची में किसी भी यादव जाति का नाम नहीं होने पर सवाल उठाए जाने के बाद कांग्रेस अब डैमेज कंट्रोल में जुट गई है.
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कांग्रेस ने दोनों विधानसभा सीटों के लिए यादव जाति से आने वाले नेताओं को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है. कांग्रेस ने पूर्व सांसद रंजीत रंजन को कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट के लिए जबकि चंदन यादव को तारापुर विधानसभा सीट के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया है.
माना जा रहा है कि आरजेडी का वोट बैंक एमवाई (यादव और मुस्लिम) समीकरण रहा है. अगर कांग्रेस को आरजेडी से बढ़त बनानी है तो उसे आरजेडी के वोटबैंक में सेंध लगानी होगी, ऐसे में स्टार प्रचारकों की सूची में यादव जाति के नेता की उपस्थिति शून्य होने से सवाल उठने लगे थे.
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बता दें कि आरजेडी के स्टार प्रचारकों की सूची में कुल 20 नाम हैं, जिसमें लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव सहित कम से कम पांच ऐसे नेताओं के नाम हैं जो यादव समुदाय से आते हैं. इधर, कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की 20 सदस्यीय सूची में पांच भूमिहार, पांच मुस्लिम, तीन ब्राह्मण, तीन दलित, दो राजपूत और एक-एक कायस्थ व ओबीसी नेताओं के नाम शामिल हैं.
दरअसल, स्टार प्रचारकों में यादव जाति से आने वाले नेताओं को तरजीह नहीं दिए जाने पर सवाल उठाए जाने लगे थे. ऐसे में कांग्रेस ने पूर्व सांसद रंजीत रंजन को कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट के लिए, जबकि चंदन यादव को तारापुर विधानसभा के सीट के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया है.
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हालांकि युवा नेता और युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे ललन कुमार को अभी भी पार्टी ने खास तवज्जो नहीं दी है. कांग्रेस ने ललन को पिछले विधानसभा चुनाव में तारापुर के समीप सुल्तानगंज सीट से मैदान में उतारा था. बहुत कम मतों से इन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इसी तरह पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव की पुत्री सुभाषिनी यादव को भी कांग्रेस ने इस चुनाव में नजरअंदाज किया है.
फिलहाल, आरजेडी और कांग्रेस के दोनों सीटों पर अपने-अपने प्रत्याशी उतार देने के बाद उपचुनाव दिलचस्प हो गया है. चुनाव परिणाम ही बताएगा कि कौन दल किस पर भारी पड़ता है.
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