पटना: बिहार में आपराधिक घटनाओं में लगातार इजाफा (increase in criminal incidents in Bihar) हो रहा है. इसे लेकर विपक्ष के साथ ही एनडीए के नेता भी पुलिस के कामकाज पर सवाल उठाते रहते हैं. अब बिहार सरकार आम लोगों की सुरक्षा को लेकर कई बड़े कदम उठाने की तैयारी कर रही है. पुलिस के आधुनिकीकरण की दिशा में भी कई कदम उठाए जा रहे हैं. इसी सिलसिले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने पुलिस आधुनिकीकरण से संबंधित उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक (review meeting related to police modernization) की. इसमे उन्होंने बिहार पुलिस आला अफसरों को कई महत्त्वपूर्ण निर्देश दिए. सीएम के निर्देश के बाद पुलिस मुख्यालय हरकत में आ गया है.
सीएम को दी गयी पुलिस पुलिस आधुनिकीकरण की जानकारी: इस बैठक में अपर पुलिस महानिदेशक (आधुनिकीकरण) कमल किशोर सिंह ने पुलिस आधुनिकीकरण से संबंधित किए जा रहे कार्यों की विस्तृत जानकारी मुख्यमंत्री को दी. मुख्यमंत्री को पुलिस मॉडर्नाइजेशन स्कीम, ट्रेनिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर, पुलिस केंद्र के लिए जमीन और भवन की वर्तमान स्थिति, थानों में वाहनों की स्थिति, मेल/फीमेल बैरक, बेड की अद्यतन स्थिति, इमरजेंसी रिस्पॉन्स व्हीकल, डिजास्टर रिकवरी सेंटर, ऑनलाइन चरित्र प्रमाण पत्र की सुविधा, थानों में आगंतुक कक्ष, महिला शौचालय और स्नानागार के निर्माण आदि के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई.
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आबादी को ध्यान में रखकर पुलिस बल की तैनाती: समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि बिहार के सीमित क्षेत्रफल और आबादी को ध्यान में रखते हुए प्रति एक लाख की जनसंख्या पर 150 से 160 की संख्या में पुलिस बल की तैनाती हो. इस दिशा में तेजी से काम करें. इसके लिए सेवानिवृत हो रहे पुलिसकर्मियों के खाली पदों को भरने (increase number of Bihar Police personnel) के अलावा पुलिस बल में जरूरत के मुताबिक नयें पदों को भी सृजित करें. बैठक में सीएम ने कहा कि हमलोगों ने वर्ष 2014 में प्रति एक लाख की आबादी पर 115 पुलिसकर्मियों की तैनाती का निर्णय लिया था. अब इसे बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण की क्षमता के विस्तार पर भी जोर दिया.
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60 दिनों के भीतर सुनिश्चित हो अनुसंधान का काम: मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय कानून के तहत बिहार में कानून का राज कायम रखने के लिए पुलिस की कार्य संस्कृति को दो हिस्सों (अनुसंधान एवं कानून व्यवस्था) में बांटा गया है. अनुसंधान का काम 60 दिनों के अंदर सुनिश्चित हो ताकि ट्रायल चलाकर अपराधियों को त्वरित सजा दिलाई जा सके. सभी थानों को यथाशीघ्र अपना भवन उपलब्ध हो और उसमें महिला शौचालय एवं स्नानागार की सुविधा सुनिश्चित हो. इस काम को इमरजेंसी प्रोविजन में रखते हुए व्यवस्था उपलब्ध करायें. खपरैल छतों वाले थाना भवनों की जगह अच्छे भवन बनवाएं. अपराध को नियंत्रित रखने के लिए पुलिस बल में बहाली और ट्रेनिंग काफी महत्वपूर्ण है. इसलिए इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि लोगों की सहूलियत के लिये ऑनलाइन सुविधा देना जरूरी है. इसके साथ-साथ उसकी हार्ड कॉपी भी जरूर रखें.
बैठक में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, मुख्य सचिव आमिर सुबहानी, पुलिस महानिदेशक एसके सिंघल, अपर मुख्य सचिव गृह चैतन्य प्रसाद, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ, बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक विनय कुमार, सचिव गृह जितेन्द्र श्रीवास्तव, अपर पुलिस महानिदेशक शोभा अहोतकर सहित अन्य वरीय अधिकारी उपस्थित थे.
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