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बिहार में एंबुलेंस सेवा में लापरवाही, चौंकाने वाले आंकड़े आए सामने

गर्भवती महिलाओं को एंबुलेंस की सुविधा पूरी तरह से मुहैया हो इसके लिए विभाग की ओर से स्पष्ट आदेश जारी किया गया था. बावजूद इसके लापरवाही बरती गई और एंबुलेंस मुहैया नहीं कराई गई.

एंबुलेंस सेवा मे लापरवाही
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Published : Jun 6, 2019, 9:37 AM IST

पटनाः स्वास्थ्य मिशन के तहत प्रदेश के सभी अस्पतालों में शुरू की गई 102 एंबुलेंस सेवा का हाल बेहाल है. यह सेवा गर्भवती महिलाओं को घर से अस्पताल तक लाने और प्रसव के बाद उन्हें घर वापस छोड़ने के लिए शुरू की गई थी. लेकिन एक सर्वे में इस योजना को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं.

गर्भवती महिलाओं को एंबुलेंस की सुविधा पूरी तरह से मुहैया हो इसके लिए विभाग की ओर से स्पष्ट आदेश जारी किया गया था. बावजूद इसके लापरवाही बरती गई और एंबुलेंस मुहैया नहीं कराई गई. एक सर्वेक्षण के आधार पर जो आंकड़े सामने आए हैं, उनमें कुछ जिलों में 102 एंबुलेंस सेवा नहीं के बराबर उपयोग में लाई गई है.

patna
मनोज कुमार

स्वास्थ्य केंद्र/संस्थागत प्रसव/मरीजों को लाने का प्रतिशत

  • रामनगर - 378/ 3%
  • तेघड़ा - 305 /12%
  • तुरकौलिया - 243/29 %
  • कुमारखंड - 210/31%
  • विधान - 213/ 32%

औचक जांच में आया सामने
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने खुद 102 एंबुलेंस सेवा की समीक्षा करते हुए एंबुलेंस का अधिक से अधिक उपयोग हो रहा है या नहीं, इसकी पड़ताल की. निर्देश के अनुसार जब जिलों की कॉल सेंटर से रिपोर्ट मंगाई गई तो उसमें यह बात सामने आई कि स्पष्ट आदेश के बावजूद भी उसका पालन नहीं हो पा रहा है. जिसके बाद सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और स्वास्थ्य संसाधनों के दो स्वास्थ्य प्रबंधकों से मंगवाकर उनके विरुद्ध कार्रवाई के आदेश दिए.

एंबुलेंस सेवा में लापरवाही

हरकत में आया विभाग
इस आदेश के बाद फरवरी और मार्च महीने में एंबुलेंस की मासिक प्रतिवेदन का तुलनात्मक अध्ययन किया गया. जिसमें यह बात सामने आई कि 5 संस्थानों में प्रसव के लिए लाई गई महिलाओं में से कहीं 5 तो कहीं 33 महिलाओं को ही घर वापस छोड़ा गया था. इस पूरे मामले पर स्वास्थ्य विभाग ने 5 जिलों के स्वास्थ्य प्रबंधकों की सेवा समाप्त करने के आदेश जारी कर दिए. जिनमें पश्चिम चंपारण के रामनगर, बेगूसराय के तेघरा, पूर्वी चंपारण के तुरकौलिया, मधेपुरा में कुमारखंड और समस्तीपुर में विधान प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के स्वास्थ्य प्रबंधक शामिल हैं.

पटनाः स्वास्थ्य मिशन के तहत प्रदेश के सभी अस्पतालों में शुरू की गई 102 एंबुलेंस सेवा का हाल बेहाल है. यह सेवा गर्भवती महिलाओं को घर से अस्पताल तक लाने और प्रसव के बाद उन्हें घर वापस छोड़ने के लिए शुरू की गई थी. लेकिन एक सर्वे में इस योजना को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं.

गर्भवती महिलाओं को एंबुलेंस की सुविधा पूरी तरह से मुहैया हो इसके लिए विभाग की ओर से स्पष्ट आदेश जारी किया गया था. बावजूद इसके लापरवाही बरती गई और एंबुलेंस मुहैया नहीं कराई गई. एक सर्वेक्षण के आधार पर जो आंकड़े सामने आए हैं, उनमें कुछ जिलों में 102 एंबुलेंस सेवा नहीं के बराबर उपयोग में लाई गई है.

patna
मनोज कुमार

स्वास्थ्य केंद्र/संस्थागत प्रसव/मरीजों को लाने का प्रतिशत

  • रामनगर - 378/ 3%
  • तेघड़ा - 305 /12%
  • तुरकौलिया - 243/29 %
  • कुमारखंड - 210/31%
  • विधान - 213/ 32%

औचक जांच में आया सामने
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने खुद 102 एंबुलेंस सेवा की समीक्षा करते हुए एंबुलेंस का अधिक से अधिक उपयोग हो रहा है या नहीं, इसकी पड़ताल की. निर्देश के अनुसार जब जिलों की कॉल सेंटर से रिपोर्ट मंगाई गई तो उसमें यह बात सामने आई कि स्पष्ट आदेश के बावजूद भी उसका पालन नहीं हो पा रहा है. जिसके बाद सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और स्वास्थ्य संसाधनों के दो स्वास्थ्य प्रबंधकों से मंगवाकर उनके विरुद्ध कार्रवाई के आदेश दिए.

एंबुलेंस सेवा में लापरवाही

हरकत में आया विभाग
इस आदेश के बाद फरवरी और मार्च महीने में एंबुलेंस की मासिक प्रतिवेदन का तुलनात्मक अध्ययन किया गया. जिसमें यह बात सामने आई कि 5 संस्थानों में प्रसव के लिए लाई गई महिलाओं में से कहीं 5 तो कहीं 33 महिलाओं को ही घर वापस छोड़ा गया था. इस पूरे मामले पर स्वास्थ्य विभाग ने 5 जिलों के स्वास्थ्य प्रबंधकों की सेवा समाप्त करने के आदेश जारी कर दिए. जिनमें पश्चिम चंपारण के रामनगर, बेगूसराय के तेघरा, पूर्वी चंपारण के तुरकौलिया, मधेपुरा में कुमारखंड और समस्तीपुर में विधान प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के स्वास्थ्य प्रबंधक शामिल हैं.

Intro:बिहार में एंबुलेंस सेवा मे लापरवाही, स्वास्थ्य विभाग हुई सख्त,
पांच जिलो के स्वास्थ्य प्रबंधक की नौकरी हुई आफत


Body: स्वास्थ्य समिति की ओर से स्पष्ट हिदायत है कि 102 एंबुलेंस सेवा का अधिकतम उपयोग गर्भवती महिलाओं को घर से अस्पताल तक लाने और प्रसव के बाद घर वापस छोड़ने के काम को प्राथमिकता दी जाए लेकिन एक सर्वेक्षण के आधार पर आंकड़े चौकाने वाले आए कुछ स्थानों पर तीन तो कुछ मित्य 30 फ़ीसदी ही गर्भवती माताओं को अस्पताल लाने और वापस ले जाने की बात सामने आई है फरवरी में 102 एंबुलेंस की औषधि 4.8 तक पहुंची है जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने खुद 102 एंबुलेंस सेवा की समीक्षा की और इस दौरान निर्देश दिए कि एंबुलेंस का अधिक से अधिक उपयोग हो रहा है या नहीं इस बात की मॉनिटरिंग की आवश्यक है की एंबुलेंस सेवा के कॉल सेंटर से हर महीने एंबुलेंस के उपयोग की जानकारी दी जाए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव के निर्देश के अनुसार जब जिलों की कॉल सेंटर से रिपोर्ट मंगाई गई तो उसमें यह बात सामने आई कि स्पष्ट आदेश के बावजूद भी उसका पालन नहीं हो पा रहा है जिसके बाद सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और स्वास्थ्य संसाधनों के दो स्वास्थ्य प्रबंधक ओं की सूची उनके विरुद्ध कार्रवाई के आदेश दिए कम से कम 75 फ़ीसदी गर्भवती माताओं को 102 एंबुलेंस के माध्यम से घर से अस्पताल और प्रसव के बाद के बाद उनकी घर भेजना सुनिश्चित की जाती है


Conclusion:इस आदेश के बाद फरवरी और मार्च महीने में एंबुलेंस की मासिक प्रतिवेदन का तुलनात्मक अध्ययन किया गया जिसमें यह बात सामने खुलकर आई कि 5 संस्थानों में प्रसव के लिए लाई गई महिलाओं में से कहीं तो कहीं 33 महिलाओं को ही घर वापस छोड़ा गया था जिसके बाद 5 स्वास्थ्य प्रबंधकों की सेवा समाप्त करने के आदेश दिए गए हैं जिनमें पश्चिम चंपारण के रामनगर बेगूसराय के तेघरा पूर्वी चंपारण के तुरकौलिया मधेपुरा में कुमारखंड और समस्तीपुर में विधान प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के स्वास्थ्य प्रबंधक शामिल हैं




आंकड़ों के आधार पर संस्थागत प्रसव और मरीजों को ढोने का प्रतिशत:--

स्वास्थ्य केंद्र/संस्थागत प्रसव/मरीजों को लाने का प्रतिशत
रामनगर :- 378/ 3%
तेघड़ा- 305 /12%
तुरकौलिया:- 243/29 %
कुमारखंड :- 210/31%
विधान:- 213/ 32%

बाईट:---मनोज कुमार,IAS
निदेशक, राज्य स्वास्थ्य समिति ,बिहार
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