पटनाः स्वास्थ्य मिशन के तहत प्रदेश के सभी अस्पतालों में शुरू की गई 102 एंबुलेंस सेवा का हाल बेहाल है. यह सेवा गर्भवती महिलाओं को घर से अस्पताल तक लाने और प्रसव के बाद उन्हें घर वापस छोड़ने के लिए शुरू की गई थी. लेकिन एक सर्वे में इस योजना को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं.
गर्भवती महिलाओं को एंबुलेंस की सुविधा पूरी तरह से मुहैया हो इसके लिए विभाग की ओर से स्पष्ट आदेश जारी किया गया था. बावजूद इसके लापरवाही बरती गई और एंबुलेंस मुहैया नहीं कराई गई. एक सर्वेक्षण के आधार पर जो आंकड़े सामने आए हैं, उनमें कुछ जिलों में 102 एंबुलेंस सेवा नहीं के बराबर उपयोग में लाई गई है.
स्वास्थ्य केंद्र/संस्थागत प्रसव/मरीजों को लाने का प्रतिशत
- रामनगर - 378/ 3%
- तेघड़ा - 305 /12%
- तुरकौलिया - 243/29 %
- कुमारखंड - 210/31%
- विधान - 213/ 32%
औचक जांच में आया सामने
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने खुद 102 एंबुलेंस सेवा की समीक्षा करते हुए एंबुलेंस का अधिक से अधिक उपयोग हो रहा है या नहीं, इसकी पड़ताल की. निर्देश के अनुसार जब जिलों की कॉल सेंटर से रिपोर्ट मंगाई गई तो उसमें यह बात सामने आई कि स्पष्ट आदेश के बावजूद भी उसका पालन नहीं हो पा रहा है. जिसके बाद सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और स्वास्थ्य संसाधनों के दो स्वास्थ्य प्रबंधकों से मंगवाकर उनके विरुद्ध कार्रवाई के आदेश दिए.
हरकत में आया विभाग
इस आदेश के बाद फरवरी और मार्च महीने में एंबुलेंस की मासिक प्रतिवेदन का तुलनात्मक अध्ययन किया गया. जिसमें यह बात सामने आई कि 5 संस्थानों में प्रसव के लिए लाई गई महिलाओं में से कहीं 5 तो कहीं 33 महिलाओं को ही घर वापस छोड़ा गया था. इस पूरे मामले पर स्वास्थ्य विभाग ने 5 जिलों के स्वास्थ्य प्रबंधकों की सेवा समाप्त करने के आदेश जारी कर दिए. जिनमें पश्चिम चंपारण के रामनगर, बेगूसराय के तेघरा, पूर्वी चंपारण के तुरकौलिया, मधेपुरा में कुमारखंड और समस्तीपुर में विधान प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के स्वास्थ्य प्रबंधक शामिल हैं.