पटना: पूर्व सांसद शरद यादव (Former MP Sharad Yadav) ने अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल का राष्ट्रीय जनता दल में विलय कर दिया है. उनके इस फैसले को लेकर बीजेपी ने शरद यादव पर हमला किया (BJP leader attacks Sharad Yadav) है. बिहार प्रदेश बीजेपी प्रवक्ता सह बीजेपी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री डॉक्टर निखिल आनंद ने कहा कि शरद यादव जी समाजवादी राजनीति के पुरोधाओं में से रहे हैं. कभी एनडीए के कन्विनर नेता माने जाते थे. साथ ही लालू यादव की राजनीति के कभी घोर खिलाफ रहे शरद यादव आज उनकी आरजेडी पार्टी में विलय हो गए.
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''जब शरद यादव जैसे लोग पहले लालू यादव के खिलाफ चुनाव लड़ा करते थे. आज सवाल उठता है कि पहले किन मुद्दों पर उनके खिलाफ चुनाव लड़ा करते थे. अब एक उम्र की ढलान पर शरद यादव हैं तो सवाल उठता है कि अब किन मुद्दों पर आरजेडी जैसी पार्टी में अपनी पार्टी का विलय कर दिया. या तो वो अपने परिवार को राजनीति में लाना चाहते हैं या फिर तेजस्वी यादव जैसे लोगों के पीछे रहकर अपनी राजनीति करना चाहते हैं. शरद यादव अब उस स्थिति में खड़े हैं, जहां मजबूर होकर उन्होंने अपनी परिवार को राजनीति में लाने के लिए आरजेडी जैसे पार्टी में अपनी पार्टी का विलय किया है.''- डॉक्टर निखिल आनंद, बीजेपी प्रवक्ता
'विपक्ष का एकजुट होना जरूरी': गौरतलब है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव ने रविवार को अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल का लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल में विलय कर दिया. इसके साथ ही लालू प्रसाद यादव और शरद यादव के बीच 25 साल पहले शुरू हुई राजनीतिक लड़ाई भी खत्म अब हो गई. इस मौके पर शरद यादव ने कहा कि यह विलय विपक्ष की व्यापक एकता के लिए पहला कदम है और बीजेपी को हराने के लिए देशभर में विपक्ष का एकजुट होना जरूरी है. बता दें कि साल 1997 में जनता दल के अध्यक्ष पद को लेकर लालू यादव और शरद यादव के बीच विवाद हो गया था और यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था.
राज्यसभा जाना पक्का: शरद यादव ने हालांकि ऐलान किया है कि वे बिना शर्त अपनी पार्टी का आरजेडी में विलय कर रहे हैं लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि आरजेडी उन्हें या उनकी बेटी को राज्यसभा भेज सकता है. शरद यादव को हाईकोर्ट ने 15 दिनों में उन्हें आवंटित सरकारी बंगला खाली करने का आदेश दे दिया है. बिहार में जुलाई महीने में राज्यसभा की पांच सीटें खाली होंगी. जिनमें दो सीटें बीजेपी, एक सीट जेडीयू के पास जाएगी. दो सीटें आरजेडी के पास आएगी. शरद यादव के राज्यसभा का कार्यकाल जुलाई माह 2022 में ही समाप्त हो रहा है. वैसे ये भी चर्चा हो रही है कि उनकी बेटी सुभाषिनी यादव को आरजेडी विधान परिषद भी भेज सकता है.
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