पटना : राज्यसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं. अब बिहार विधान परिषद चुनाव (Bihar Legislative Council election) को लेकर राजनीतिक पार्टियां माथापच्ची कर रही है. खास तौर पर भाजपा खेमे में समीकरण को लेकर मंथन का दौर (BJP Candidate In Bihar MLC Election) जारी है. हालांकि बिहार इकाई ने रिपोर्ट केंद्र को भेज दिया है. दलित अगड़ी गठजोड़ को लेकर चिंतन भारतीय जनता पार्टी ने राज्यसभा चुनाव ने बड़े ही करीने से समीकरण साधने में सफलता हासिल की. अब पार्टी की नजर विधान परिषद चुनाव पर है.
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राज्यसभा में चला था अति फिछड़ा और ब्राह्मण कार्ड : लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा फूंक-फूंककर कदम रखना चाहती है. प्रत्याशियों के ऐलान से पहले जातिगत समीकरण को लेकर मंथन किया जाता है और फिर फैसले पर मुहर लगती है. राज्यसभा चुनाव में भाजपा की ओर से अति पिछड़ा कार्ड खेला गया. साथ ही पार्टी में अपने पारंपरिक वोट बैंक की चिंता की और दूसरी सीट ब्राह्मण जाति के खाते में गई. ऐसे में सबकी नजर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व पर है.
राजपूत पर BJP लगा सकती है दांव : कटिहार में आयोजित कोर कमेटी की बैठक के बाद प्रदेश इकाई ने नाम केंद्र को भेज दिए हैं. राज्यसभा चुनाव में राजपूत जाति के उम्मीदवार को जगह नहीं मिली, लिहाजा विधान परिषद चुनाव में राजपूत जाति के उम्मीदवार पर पार्टी दाव लगा सकती है. संजय टाइगर, ब्रजेश रमन, राकेश सिंह का नाम दावेदारों की सूची में शामिल है.
मुकेश सहनी की सीट पर 'सहनी' उम्मीदवार! : मुकेश सहनी भाजपा के फोल्डर में थे. उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है. ऐसे में भाजपा मुकेश सहनी की सीट पर सहनी जाति के उम्मीदवार को उतार सकती है. पार्टी में सहनी जाति में सक्रिय उम्मीदवार अर्जुन सहनी, भीष्म सहनी और नीलम सहनी का नाम है.
काफी चर्चा में योगेंद्र पासवान का नाम : लोकसभा चुनाव से पहले दलितों में मैसेज देने के लिए पार्टी दलित को भी विधान परिषद भेज सकती है. पार्टी के अंदर कई दलित चेहरे हैं लेकिन बिहार इकाई ने प्रमुखता से योगेंद्र पासवान का नाम भेजा है. आपको बता दें कि योगेंद्र पासवान केंद्रीय अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के सदस्य रह चुके हैं. योगेंद्र पासवान का नाम भी प्रदेश से केंद्र को भेजा गया है.
इनके नाम पर चर्चा : राज्यसभा चुनाव में पार्टी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का नाम प्रमुखता से राज्य इकाई द्वारा भेजा गया था लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने उनके नाम पर मुहर नहीं लगाई थी. संभव है कि विधान परिषद चुनाव में प्रेम रंजन पटेल पार्टी के पसंद हो सकते हैं, हालांकि यह चौंकाने वाला फैसला होगा. दूसरी तरफ अगड़ी जाति आने वालों में पार्टी के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष अनिल शर्मा भी लंबे समय से कतार में हैं. अनिल शर्मा के नाम पर भी मुहर लग जाए तो आश्चर्य की बात नहीं है.
''जिस तरीके से राज्यसभा चुनाव आम सहमति के आधार पर निपटा लिया गया, उसी तरीके से विधान परिषद चुनाव में भी उम्मीदवारों को तय कर लिया जाएगा. पार्टी के अंदर प्रक्रिया है और उसी प्रक्रिया के तहत उम्मीदवारों का चयन होना है.''- विनोद शर्मा, प्रवक्ता, भाजपा
''भाजपा विधान परिषद चुनाव में अगड़ी और अति पिछड़ा पर दाव लगा सकती है. लोकसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी समीकरण को दुरुस्त करने के लिहाज से फैसले लेगी.''- डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
21 जुलाई को समाप्त होगा 7 सदस्यों का कार्यकाल : बिहार विधान परिषद में कुल सदस्यों की संख्या 75 है, जिनमें विधायकों द्वारा निर्वाचित किए जाने वाले सदस्यों की संख्या 27 है. इसी 27 में से सात सीटें 21 जुलाई को रिक्त हो रही हैं. विधान परिषद में इसके अलावा स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से भी छह-छह यानी कुल 12 सदस्य चुन कर आते हैं. वहीं, स्थानीय निकायों से 24 और विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्टता रखने वाले 12 सदस्यों को राज्यपाल द्वारा मनोनीत किया जाता है.
नौ जून तक नामांकन : विधानसभा कोटे की इन सातों सीटों पर नामांकन नौ जून तक चलेगा. नामांकन पत्रों की जांच 10 जून को होगी, जबकि नाम वापसी की अंतिम तिथि 13 जून निर्धारित की गई है. सातों सीटों के लिए मतदान 20 जून को सुबह नौ बजे से चार बजे तक होगा. मतों की गणना 20 जून को ही शाम पांच बजे से होगी.
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