पटना: करीब 4 साल बाद एक बार फिर राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव बिहार की सियासत में एक्टिव मोड में दिखाई पड़ने वाले हैं. हालांकि लालू गंभीर रूप से बीमार हैं और उनका इलाज दिल्ली एम्स में चल रहा है. लेकिन उनको जमानत मिलने और जेल से बाहर आने की खबर से पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह दिख रहा है.
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किंग मेकर की भूमिका में रहे हैं लालू
बिहार की सियासत में लालू यादव सबसे बड़े राजनीतिक दिग्गज के तौर पर जाने जाते हैं. सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश में लालू यादव को एक बड़े किंग मेकर के रूप में भी जाना जाता है. देश में देवेगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल सरीखे प्रधानमंत्री अगर बने तो इसमें लालू यादव की एक महत्वपूर्ण भूमिका रही थी. जेल जाने से पहले लालू ने यूपी बंगाल और दिल्ली समेत कई राज्यों के सियासी दिग्गजों के साथ मिलकर एक बड़ा फ्रंट बनाने की तैयारी भी कर ली थी. लालू के नाम पर देश के साथ तमाम समाजवादी एक मंच पर आने को तैयार भी हो गए थे. लेकिन इसी बीच लालू जेल चले गए.
जोड़-तोड़ की पॉलिटिक्स में लालू माहिर खिलाड़ी
बिहार की सियासत में भी लालू चाहे फ्रंट पर रहे हों या फिर बैक में, कहीं ना कहीं अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में राजद जब सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, तो भले ही उनकी पार्टी बिहार में सरकार नहीं बना पाई, लेकिन उसके बाद भी लालू यादव जेल में रहते हुए ही जोड़-तोड़ में लगे रहे.
इसका खुलासा बीजेपी के विधायक ललन पासवान ने किया था. ऐसे में यह माना जा रहा है कि जब जेल में रहते हुए लालू यादव इस हद तक जा सकते हैं तो फिर जमानत मिलने के बाद तो बिहार की सियासत में विपक्ष की भूमिका एक अलग रूप में दिखाई दे सकती है.
लालू की पहचान जंगलराज से- जेडीयू
एनडीए सरकार पर विभिन्न मुद्दों को लेकर दबाव बनाने में लालू की रणनीति विपक्ष के नेताओं के लिए बेहद फायदेमंद हो सकती है. हालांकि एनडीए नेता इस बात से सिरे से इनकार करते हैं. उनका कहना है कि लालू की पहचान बिहार में जंगलराज से है. पहले वे अपनी पार्टी तो संभालें. जदयू नेता अभिषेक झा ने कहा कि लालू अब इतिहास बन चुके हैं. उनके बाहर आने या ना आने से बिहार की सियासत में कोई फर्क नहीं पड़ने वाला.
'लालू अब इतिहास बन चुके हैं. उनके बाहर आने या ना आने से बिहार की सियासत में कोई फर्क नहीं पड़ने वाला'- अभिषेक झा, जदयू प्रवक्ता
फिर पोस्टर से लालू क्यों गायब- जेडीयू
इस मामले में जदयू का कहना है कि लालू को लेकर पार्टी के अंदर क्या स्थिति है वो किसी से छिपी नहीं है. ? यह पहले देख चुके हैं ! जब चुनाव के समय तेजस्वी यादव ने लालू राबड़ी के कार्यकाल को लेकर लोगों से माफी मांगी थी. चुनावों में राजद के तमाम पोस्टर से लालू-राबड़ी की फोटो गायब कर दी गई थी.
लालू भ्रष्टाचार और जंगलराज के प्रतीक- बीजेपी
भाजपा ने भी दावा किया है कि लालू की वापसी से बिहार की सियासत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला. भाजपा नेता अखिलेश सिंह ने कहा कि लालू भ्रष्टाचार, अपराध और जंगलराज के प्रतीक हैं. इसलिए उनके आने से लोगों में भय और गुस्सा होगा. जवाब तो तेजस्वी यादव को देना चाहिए जिन्होंने चुनाव के वक्त अपने मां पिता के फोटो तक पोस्टर से हटा दिए थे. बीजेपी ने कहा कि लालू के बाहर आने से आरजेडी की इंटरनल पॉलिटिक्स पर इसका जरूर असर होगा.
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'लालू भ्रष्टाचार, अपराध और जंगलराज के प्रतीक हैं. उनके बाहर आने से लोगों में भय और गुस्सा होगा. जवाब तो तेजस्वी यादव को देना चाहिए जिन्होंने चुनाव के वक्त अपने मां पिता के फोटो तक पोस्टर से हटा दिए थे'- अखिलेश सिंह, बीजेपी प्रवक्ता
एनडीए नेताओं के होश उड़े- RJD
इधर राष्ट्रीय जनता दल का दावा है कि लालू यादव की वापसी से सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि देश की दिशा और दशा भी बदलेगी. राजद के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि लालू की जमानत की खबर से ही उनके विरोधियों के होश उड़े हुए हैं.
आरजेडी की इंटरनल पॉलिटिक्स पर मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि निश्चित तौर पर युवा नेतृत्व को अनुभवी लालू के साथ से पार्टी बेहद मजबूती से आगे बढ़ेगी. राजद नेता ने कहा कि लालू जब सशरीर उपस्थित होंगे तो बिहार में विपक्ष और मजबूती से सरकार की विफलताओं को प्रभावी ढंग से सामने रखेगा.
निश्चित तौर पर युवा नेतृत्व को अनुभवी लालू के साथ से पार्टी बेहद मजबूती से आगे बढ़ेगी. लालू जब सशरीर मौजूद रहेंगे तो बिहार में विपक्ष और मजबूती से सरकार की विफलताओं को प्रभावी ढंग से सामने रखेगा- मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता, आरजेडी
'राजनीतिक मैदान में लालू मंझे खिलाड़ी'
राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार ने कहा कि लालू राजनीति के सबसे मंझे खिलाड़ी हैं. वे ना सिर्फ बिहार बल्कि देश की सियासत को बखूबी समझते हैं. इसलिए उनकी उपस्थिति निश्चित तौर पर बिहार की सियासत पर प्रभाव डालेगी. हालांकि यह जरूर है कि पार्टी में वे किस तरह युवा और बुजुर्ग नेताओं के बीच सामंजस्य बिठाते हैं, यह देखना होगा.
'लालू राजनीतिक के सबसे महान खिलाड़ी हैं. वे न सिर्फ बिहार बल्कि देश की सियासत को भी बखूबी समझते हैं. उनके बाहर आने से निश्चित तौर पर बिहार की सियासत पर प्रभाव पड़ेगा'- डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
सियासी दिग्गजों की है नजर
राजद सुप्रीमो अपनी बीमारी से उबरने के बाद बिहार लौट आएंगे ऐसी संभावना जताई जा रही है. इन सब के बीच भाजपा और जदयू की आपसी उठापटक गाहे-बगाहे सामने आ ही जाती हैं. हाल में संजय जायसवाल और उपेंद्र कुशवाहा की बयानबाजी इसका ताजा उदाहरण है. अगर लालू पटना में रहते हुए विपक्ष की प्रभावी भूमिका के साथ मांझी और मुकेश साहनी पर डोरे डालने में सफल हो जाते हैं तो बिहार की सियासत में बड़ा बदलाव निश्चित है. यही वजह है कि लालू की वापसी को लेकर बिहार के तमाम सियासी दिग्गज नज़र टिकाए बैठे हैं.