पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 (Bihar Vidhan Sabha Chunav 2020) में कांग्रेस और आरजेडी के बीच सीटों के (Coordination Between Congress And RJD In Bihar) तालमेल को लेकर खूब बवेला मचा. किसी तरह दोनों ने मिलकर चुनाव लड़ा और विपक्ष का प्रदर्शन पिछले सालों की अपेक्षा बेहतर रहा. हालांकि, कांग्रेस का परफॉर्मेंस आरजेडी के लिए सिरदर्द बन गया जिसकी चर्चा आरजेडी नेता अक्सर किया करते हैं कि, 71 सीटें मिलने के बावजूद कांग्रेस महज 19 सीटों पर जीत हासिल कर पाई.
इसका नतीजा यह हुआ कि वर्ष 2021 में जब तारापुर और कुशेश्वरस्थान में उपचुनाव हुए तो आरजेडी ने दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए. जबकि, कुशेश्वरस्थान सीट पर पहले से कांग्रेस का दावा था. दोनों के बीच बात नहीं बनी और विधानसभा उपचुनाव में दोनों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा ना तो आरजेडी और ना ही कांग्रेस को जीत हासिल हुई लेकिन इस चुनाव के नतीजों से यह साफ हो गया कि कांग्रेस का बिहार में प्रदर्शन (Bad Performance Of Congress In Bihar) लगातार खराब होता जा रहा है.
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वहीं, अब फिर से विधान परिषद के स्थानीय निकाय की 24 सीटों पर होने वाले हैं. 2020 और 2021 के चुनाव के आधार पर राष्ट्रीय जनता दल ने विधान परिषद की स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस को एक भी सीट देने की बजाय सभी सीटों पर खुद लड़ने का फैसला कर लिया है. इस बात की औपचारिक घोषणा होना बाकी है लेकिन यह करीब-करीब तय हो चुका है. 24 सीटों में से 23 पर आरजेडी के उम्मीदवार होंगे जबकि, एक सीट पर सीपीआई कैंडिडेट होगा.
कांग्रेस नेता यह लगातार कहते रहे हैं कि आरजेडी भले ही बिहार में सबसे बड़ी पार्टी है लेकिन उसे अपने सहयोगियों को साथ लेकर चलना चाहिए नहीं तो तेजस्वी का बिहार का सीएम बनने का सपना कभी पूरा नहीं होगा. कांग्रेस नेता यह दावा करते हैं कि, जब-जब कांग्रेस और आरजेडी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा है तब तक महागठबंधन पर एनडीए भारी पड़ा है. वहीं, आरजेडी नेताओं का दावा है कि, जमीनी हकीकत को देखते हुए ही कांग्रेसी नेताओं को सीटों की डिमांड करनी चाहिए. आरजेडी नेताओं का यह भी दावा है कि, बिहार में कांग्रेस का जनाधार बिल्कुल सिमट चुका है और उनके पास बेहतर कैंडिडेट नहीं होने की वजह से कांग्रेस के लिए जीत हासिल करना भी इतना आसान नहीं है.
बता दें कि, कांग्रेस और आरजेडी के बीच साल 2021 के विधानसभा उपचुनाव और वर्ष 2022 के विधान परिषद चुनाव के दौरान सीट शेयरिंग को लेकर तल्खी इतनी ज्यादा बढ़ गई कि, दोनों दलों के नेताओं की तरफ से जमकर बयानबाजी भी हो रही है और इसका सीधा असर चुनाव में उनके परफॉर्मेंस पर पड़ेगा. इस मामले पर बिहार के वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि, महागठबंधन में एक साथ होते हुए भी जब दोनों दल अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं तो इसका एक गलत संदेश लोगों मेंं जाता है और इसका खामियाजा चुनाव में खराब नतीजों के रूप में भुगतना पड़ता है.
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ईटीवी भारत को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय जनता दल ने अब कांग्रेस के साथ एक बेटर अंडरस्टैंडिंग फॉर्मूले पर काम करना शुरू कर दिया है. विधान परिषद चुनाव के बाद दोनों दलों के शीर्ष नेताओं कि इस बारे में बातचीत होगी. विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक यह फॉर्मूला तय होगा कि कांग्रेस केंद्र में बड़े भाई की भूमिका निभाएगा. जबकि, बिहार में बड़े भाई की भूमिका में आरजेडी होगा और इसी आधार पर चुनाव में सीट शेयरिंग और अन्य फैसले होंगे. जाहिर तौर पर इस कवायद का लक्ष्य एक ही है कि, दोनों दलों के बीच बेहतर संवाद और बेहतर राजनीतिक संबंध कायम रहे ताकि चुनाव के वक्त कोई कड़वाहट ना हो. इस पर वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय ने बताया कि, जिस तरह का संबंध बीजेपी और जदयू के बीच है कुछ ऐसे ही अंडरस्टैंडिंग की जरूरत आरजेडी और कांग्रेस के बीच होना चाहिए ताकि जब जरूरत हो तो दोनों दलों के प्रदेश नेतृत्व भी आपसी समन्वय के साथ बड़े फैसले ले सकें.
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