पटना: रोशनी का पर्व दीपावली (Festival of Lights Diwali) में लोग लक्ष्मी माता और गणेश भगवान की पूजा के साथ-साथ दीया जलाते हैं. पटाखे भी खूब फोड़ते हैं. दीयों और पटाखों से हाथ-पैर जलने के मामले इस समय काफी बढ़ जाते हैं. ऐसे में पटना के वरिष्ठ प्लास्टिक एंड कॉस्मेटिक सर्जन डॉक्टर अनुराग शरण (Dr. Anurag Sharan) ने बताया कि दीपावली के समय हाथ-पैर और चेहरे जलने के मामले काफी आते हैं.
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उन्होंने बताया कि अधिकांश केस पटाखे से जलने के होते हैं. हाथ-पैर जलने के बाद लोग बर्फ से सिकाई कर लेते हैं जिसके बाद जलने के स्थान पर लंबे समय और सदा के लिए दाग बन जाता हैं. उन्होंने बताया कि दुर्भाग्यवश यदि किसी के हाथ पैर और शरीर का कोई हिस्सा जल जाता है तो वह तुरंत जले हुए हिस्से को सादे ठंडे पानी से धोएं.
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'कुछ देर के लिए जले हुए हिस्से को पानी से धोते रहें ताकि जले हुए हिस्से का जलन कम हो. जले हुए हिस्से पर फफोले बनने लगे तो उसे घबराए नहीं, यह सेकेंडरी बर्न का स्टेज है. इसके बाद किसी चिकित्सक से संपर्क करें और यदि कोई प्लास्टिक सर्जन है या फिर बर्न केयर का चिकित्सक है तो और बेहतर है.' : डॉक्टर अनुराग शरण, वरिष्ठ प्लास्टिक एंड कॉस्मेटिक सर्जन
डॉ अनुराग शरण ने कहा कि- 'शरीर का हिस्सा कोई यदि जल जाता है तो वहां दाग रहेगा या नहीं यह इस बात पर निर्भर करता है कि कितना गंभीर रूप से वह हिस्सा जला है और शरीर का कौन सा हिस्सा जला है. शरीर के बाहरी हिस्सों पर यदि प्राइमरी और सेकेंडरी स्टेज से जला है तो दवाइयों और ट्रीटमेंट से दाग खत्म हो जाता है.'
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डॉक्टर ने कहा कि अगर बम और किसी विस्फोटक पदार्थ से हाथ-पैर फटा है और त्वचा जला है तो ऐसी स्थिति में शरीर का फिजिकल डैमेज हुआ रहता है और अंदर के मसल की टिश्यू डैमेज हुई रहती है. ऐसे में अविलंब नजदीकी अस्पताल ले जाकर ट्रीटमेंट कराने की आवश्यकता है.
डॉ अनुराग शरण ने बताया कि दीपावली का प्रागैतिहासिक काल से बड़ा ही महत्व रहा है और दीपावली में लोग खुल कर जश्न मनाते हैं. ऐसे में लोग पटाखों को भी छोड़ते हैं. उन्होंने कहा कि पटाखे छोड़ते हैं वह ठीक है लेकिन एहतियात के साथ छोड़े. कई लोगों को पटाखे की आवाज से परेशानी होती है और कई लोगों के कान में समस्या होती है.
लोगों के कान में समस्या रहती है वो दीपावली के दिन कान में रूई या कोई ईयर प्लग लगाकर रखें ताकि कान डैमेज ना हो इसके अलावा अगर कोई तेज ध्वनि का पटाखा उड़ रहा है तो उसके नजदीक नहीं जाए. पटाखे की आवाज से कान का चदरा फटने का खतरा रहता है.
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उन्होंने कहा कि दीपावली को दीप जलाकर और एक दूसरे को मिठाईयां खिलाकर भी मनाया जा सकता है. लोग पटाखे छोड़ते हैं इससे वातावरण में प्रदूषण भी होता है. पटाखों के प्रदूषण से उन लोगों में फेफड़े संबंधी बीमारियां होती है और जिन्हें पहले से फेफड़े संबंधी कुछ बीमारी है उनकी परेशानी बढ़ जाती है.
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