पटना: बिहार में धान की रोपनी जारी है. रोपनी के कुछ दिनों बाद किसानों को अपने फसल के लिए खाद की जरूरत होगी. कई जिलों से खबरें आती रहती है कि खाद ऊंची कीमत पर बेची जा रही है, कालाबाजारी भी की जा रही है लेकिन इस बार कृषि विभाग ने खाद की कालाबाजारी ( Black Marketing Of Fertilizers ) रोकने की कवायद शुरू कर दी है और अधिकारियों की टीम बनाकर इसपर नजर भी रख रही है.
खाद की कालाबाजारी नहीं हो, इसको लेकर कृषि विभाग ने राज्यभर में 13 टीमों का गठन किया है, जो बिहार के 38 जिलों में जाकर खाद की बिक्री पर नजर रखेगी. साथ ही मुख्यालय के वरीय अधिकारियों को जिलों का आवंटन करते हुए किसानों के बीच जाकर जानकारी लेने के लिए कहा गया है. अधिकारी गांव में किसानों के बीच जाकर किसानों से खाद के मूल्य को लेकर फीडबैक लेंगे और उनसे पता करेंगे कि खाद उन्हें निर्धारित मूल्य पर मिल रहा है या नहीं.
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साथ ही जिले के खाद के स्टॉक और दुकानों को भी चेक करेंगे. इतना ही नहीं, अधिकारी महीने में दो बार जिले का दौरा करेंगे. अगर वे मुख्यालय में हैं तो फोन पर भी किसानों से खाद के मूल्य को लेकर जानकारी लेते रहेंगे.
खाद की कालाबाजारी को लेकर जब बिहार के कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह ( Agriculture Minister Amarendra Pratap Singh ) से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कालाबाजारी की शिकायत बराबर आती थी. कंपनी और डीलर, मिलकर काम करते थे और किसानों को ज्यादा दाम में खाद खरीदना पड़ता था. फिलहाल इस पर हमने रोक लगाया गया है. अब कंपनी हो या डीलर या डिस्ट्रीब्यूटर, कोई भी खाद को ऊंचे दाम में नहीं बेच सकता है. इसका उपाय कर दिया गया है.
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'सभी डीलर, डिस्ट्रीब्यूटर और कंपनी से हमने अपने विभाग में शपथ पत्र जमा करवाया है. साथ ही अधिकारियों को भी कई तरह का आदेश देकर जिलों में मॉनिटरिंग करवा रहे हैं. खाद का मूल्य 266 रुपये है और बोरा का 45 रुपये किसानों से लेना है. अगर इससे ज्यादा मूल्य किसी किसान से कोई डीलर लेता है तो डीलर, डिस्ट्रीब्यूटर और कंपनी के लोगों पर कार्रवाई होगी.'- अमरेन्द्र प्रताप सिंह, कृषि मंत्री, बिहार
बिहार के कृषि मंत्री ने दावा किया कि बिहार के विभिन्न जिलों में खाद का पूरा स्टॉक है और हम किसानों को इस सीजन में खाद को कहीं से भी कोई किल्लत नहीं होने देंगे.