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एडमिशन के लिए बिहार बोर्ड के छात्रों के लिए 50% आरक्षण की मांग, PU के डीन बोले- 'अनुचित है ये मांग' - आइसा का अनिश्चितकालीन अनशन

पटना विश्वविद्यालय ( Patna University ) में बिहार बोर्ड के छात्रों के नामांकन के लिए 50 फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर आइसा (AISA) छात्रों का लगातार दूसरे दिन अनशन जारी है. पीयू के डीन प्रोफेसर अनिल कुमार ने कहा कि ये मांग अनुचित है. पढ़ें रिपोर्ट..

पटना विश्वविद्यालय
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Published : Sep 14, 2021, 7:19 PM IST

पटना: बिहार के पटना विश्वविद्यालय (Patna University) में मंगलवार से नए सत्र में स्नातक के विषयों के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. कई छात्र संगठन इस नामांकन प्रक्रिया का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि नामांकन में बिहार बोर्ड और सीबीएसई के छात्रों में भेदभाव किया जा रहा है. जिसे लेकर आइसा (AISA) छात्र संगठन के छात्र यूनिवर्सिटी के गेट पर लगातार दूसरे दिन अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे रहे.

ये भी पढ़ें- पटना विवि के गेट पर आइसा छात्रों का भूख हड़ताल, नामांकन में बिहार बोर्ड के छात्रों को 50 फीसदी आरक्षण दिये जाने की मांग

''बिहार बोर्ड में मार्किंग सिस्टम जो है, उसमें छात्रों को मार्क्स कम आते हैं. जबकि अन्य शिक्षा बोर्ड में छात्रों को अच्छे नंबर आते हैं. ऐसे में स्नातक में नए सत्र में नामांकन प्रक्रिया में बिहार बोर्ड के काफी छात्र वंचित रह जाएंगे. पहले एंट्रेंस टेस्ट लेकर नामांकन होता था, तो वह अच्छा रहता था और पता चलता था कि मेरिट वालों ने ही कॉलेज में दाखिला लिया है.''- कुमार दिव्यम, आइसा के छात्र

देखें रिपोर्ट

उन्होंने कहा कि इस बार बिहार बोर्ड के कई मेरीटोरियस स्टूडेंट कॉलेज में दाखिले से वंचित रह जाएंगे. ऐसे में उनकी मांग है कि नए सत्र में नामांकन के लिए विश्वविद्यालय में 50% सीटें बिहार बोर्ड के छात्रों के लिए रिजर्व की जाए. उन्होंने आरोप लगाया कि पटना विश्वविद्यालय में ऑनर्स के जो प्रमुख सब्जेक्ट हैं जैसे कि मैथमेटिक्स और फिजिक्स में बीसीए और कॉमर्स में बीकॉम इन विषयों की सीटें सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के छात्रों से भर गई हैं और बिहार बोर्ड के छात्र इससे वंचित रह गए हैं.

ये भी पढ़ें- पटना विवि में अब विदेशी छात्र भी करा सकते हैं एडमिशन, नामांकन की प्रक्रिया को सरल बनाने में जुटा प्रबंधन

गोविंद कुमार ने बताया कि उन्होंने बीएससी के लिए पटना यूनिवर्सिटी में अप्लाई किया था, लेकिन जो फर्स्ट कटऑफ जारी किया गया है, उसमें पटना विश्वविद्यालय के किसी कॉलेज के लिए उनका नाम नहीं है. गोविंद ने कहा कि उन्होंने बिहार बोर्ड में 72% अंक हासिल किए हैं.

''बिहार बोर्ड में मैंने 80% अंक हासिल किए हैं और पटना यूनिवर्सिटी में बीकॉम कोर्स के लिए अप्लाई किया था, लेकिन फर्स्ट कट ऑफ में मेरा नाम नहीं आया है. अच्छे अंक होने के बावजूद फर्स्ट कटऑफ में नाम क्यों नहीं रहा इस बात की जानकारी जुटाने के लिए जब मैं पटना विश्वविद्यालय के डीन से मिली तो उन्हें बताया कि सेकंड और थर्ड कटऑफ का इंतजार करें. बीकॉम में फर्स्ट कट ऑफ 80% से ऊपर वालों का गया है.''- निशा कुमारी, छात्रा

ये भी पढ़ें- NMCH के जूनियर डॉक्टरों ने OPD सेवा की ठप, कहा- साजिश से हमें फेल किया गया, अब कोई सुनता नहीं

''विश्वविद्यालय में स्नातक के नए सत्र के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है और ऐसे में कुछ छात्र जो बिहार बोर्ड के छात्रों के लिए 50% की आरक्षण की मांग कर रहे हैं, वो सरासर गलत है. सीबीएसई और बिहार बोर्ड के छात्रों के लिए अलग-अलग पैमाना नहीं हो सकता है, क्योंकि देश में सभी शिक्षा बोर्ड बहुत अच्छे हैं और कोई भी एक दूसरे से कमजोर नहीं है. सभी शिक्षा बोर्ड समान है.''- प्रोफेसर अनिल कुमार, डीन, पटना विश्वविद्यालय

पटना विश्वविद्यालय के डीन प्रोफेसर अनिल कुमार ने कहा कि देश के विभिन्न शिक्षा बोर्ड में डिस्क्रिमिनेशन नहीं किया जा सकता. इस प्रकार का अगर निर्णय लिया जाता है तो यह बिहार के छात्रों के हित में नहीं होगा, क्योंकि अन्य प्रदेश भी इस प्रकार की नकल करेंगे. अन्य प्रदेशों में बिहार के काफी छात्र पढ़ाई करते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि जो छात्र दाखिला ले रहे हैं, वह किसी दूसरे राज्य के हैं. सीबीएसई बोर्ड और आईसीएसई बोर्ड से भी पढ़ने वाले बच्चे बिहार प्रदेश के ही हैं.

उन्होंने कहा कि 4291 सीटों के लिए जो फर्स्ट कटऑफ जारी की गई है, उसमें 35 से 36 फीसदी छात्र बिहार बोर्ड के हैं. दूसरे और तीसरे राउंड के कट ऑफ के बाद उम्मीद है कि विश्वविद्यालय में 40 से 45 फीसदी बिहार बोर्ड के छात्रों का नामांकन होगा, जो कि पिछली बार की तुलना में अधिक होगा. पिछले साल 2020 सत्र के लिए हुए नामांकन में 37% बिहार बोर्ड के छात्रों का नामांकन हुआ था.

पटना: बिहार के पटना विश्वविद्यालय (Patna University) में मंगलवार से नए सत्र में स्नातक के विषयों के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. कई छात्र संगठन इस नामांकन प्रक्रिया का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि नामांकन में बिहार बोर्ड और सीबीएसई के छात्रों में भेदभाव किया जा रहा है. जिसे लेकर आइसा (AISA) छात्र संगठन के छात्र यूनिवर्सिटी के गेट पर लगातार दूसरे दिन अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे रहे.

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''बिहार बोर्ड में मार्किंग सिस्टम जो है, उसमें छात्रों को मार्क्स कम आते हैं. जबकि अन्य शिक्षा बोर्ड में छात्रों को अच्छे नंबर आते हैं. ऐसे में स्नातक में नए सत्र में नामांकन प्रक्रिया में बिहार बोर्ड के काफी छात्र वंचित रह जाएंगे. पहले एंट्रेंस टेस्ट लेकर नामांकन होता था, तो वह अच्छा रहता था और पता चलता था कि मेरिट वालों ने ही कॉलेज में दाखिला लिया है.''- कुमार दिव्यम, आइसा के छात्र

देखें रिपोर्ट

उन्होंने कहा कि इस बार बिहार बोर्ड के कई मेरीटोरियस स्टूडेंट कॉलेज में दाखिले से वंचित रह जाएंगे. ऐसे में उनकी मांग है कि नए सत्र में नामांकन के लिए विश्वविद्यालय में 50% सीटें बिहार बोर्ड के छात्रों के लिए रिजर्व की जाए. उन्होंने आरोप लगाया कि पटना विश्वविद्यालय में ऑनर्स के जो प्रमुख सब्जेक्ट हैं जैसे कि मैथमेटिक्स और फिजिक्स में बीसीए और कॉमर्स में बीकॉम इन विषयों की सीटें सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के छात्रों से भर गई हैं और बिहार बोर्ड के छात्र इससे वंचित रह गए हैं.

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गोविंद कुमार ने बताया कि उन्होंने बीएससी के लिए पटना यूनिवर्सिटी में अप्लाई किया था, लेकिन जो फर्स्ट कटऑफ जारी किया गया है, उसमें पटना विश्वविद्यालय के किसी कॉलेज के लिए उनका नाम नहीं है. गोविंद ने कहा कि उन्होंने बिहार बोर्ड में 72% अंक हासिल किए हैं.

''बिहार बोर्ड में मैंने 80% अंक हासिल किए हैं और पटना यूनिवर्सिटी में बीकॉम कोर्स के लिए अप्लाई किया था, लेकिन फर्स्ट कट ऑफ में मेरा नाम नहीं आया है. अच्छे अंक होने के बावजूद फर्स्ट कटऑफ में नाम क्यों नहीं रहा इस बात की जानकारी जुटाने के लिए जब मैं पटना विश्वविद्यालय के डीन से मिली तो उन्हें बताया कि सेकंड और थर्ड कटऑफ का इंतजार करें. बीकॉम में फर्स्ट कट ऑफ 80% से ऊपर वालों का गया है.''- निशा कुमारी, छात्रा

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''विश्वविद्यालय में स्नातक के नए सत्र के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है और ऐसे में कुछ छात्र जो बिहार बोर्ड के छात्रों के लिए 50% की आरक्षण की मांग कर रहे हैं, वो सरासर गलत है. सीबीएसई और बिहार बोर्ड के छात्रों के लिए अलग-अलग पैमाना नहीं हो सकता है, क्योंकि देश में सभी शिक्षा बोर्ड बहुत अच्छे हैं और कोई भी एक दूसरे से कमजोर नहीं है. सभी शिक्षा बोर्ड समान है.''- प्रोफेसर अनिल कुमार, डीन, पटना विश्वविद्यालय

पटना विश्वविद्यालय के डीन प्रोफेसर अनिल कुमार ने कहा कि देश के विभिन्न शिक्षा बोर्ड में डिस्क्रिमिनेशन नहीं किया जा सकता. इस प्रकार का अगर निर्णय लिया जाता है तो यह बिहार के छात्रों के हित में नहीं होगा, क्योंकि अन्य प्रदेश भी इस प्रकार की नकल करेंगे. अन्य प्रदेशों में बिहार के काफी छात्र पढ़ाई करते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि जो छात्र दाखिला ले रहे हैं, वह किसी दूसरे राज्य के हैं. सीबीएसई बोर्ड और आईसीएसई बोर्ड से भी पढ़ने वाले बच्चे बिहार प्रदेश के ही हैं.

उन्होंने कहा कि 4291 सीटों के लिए जो फर्स्ट कटऑफ जारी की गई है, उसमें 35 से 36 फीसदी छात्र बिहार बोर्ड के हैं. दूसरे और तीसरे राउंड के कट ऑफ के बाद उम्मीद है कि विश्वविद्यालय में 40 से 45 फीसदी बिहार बोर्ड के छात्रों का नामांकन होगा, जो कि पिछली बार की तुलना में अधिक होगा. पिछले साल 2020 सत्र के लिए हुए नामांकन में 37% बिहार बोर्ड के छात्रों का नामांकन हुआ था.

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