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विश्व प्रसिद्ध और आस्था का केंद्र राजगीर के 22 कुंड 52 धारा खो रहे अपनी पहचान

इस धरोहर को बनाए रखने के लिए पंडा कमेटी के द्वारा बिहार और केंद्र सरकार से मदद की पहल करने की मांग की गई है.

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Published : May 2, 2019, 10:59 AM IST

राजगीर

नालंदाः राजगीर एक ऐतिहासिक नगरी है. विश्व में इस नगरी की पहचान है और पहचान की मुख्य वजह यहां 22 कुंड और 52 धारा से निकलता गर्म पानी है. लेकिन आज यह पहचान खोने की स्थिति में नजर आ रहा है. इस भीषण गर्मी में पानी का रिसाव कम होना बताया जा रहा है. जिससे आने वाले समय में इसकी पहचान मिटने की संभावना भी बढ़ती जा रही है.

बढ़ती गर्मी से कुंड का पानी सूखता जा रहा है. वहीं, बारिश भी न के बराबर हुई है. इसका असर धारा से बहने वाले पानी पर पड़ रहा है. इससे यहां आने वाले पर्यटकों में भी मायूसी छा रही है. इस धरोहर को बनाए रखने के लिए पंडा कमेटी के द्वारा बिहार और केंद्र सरकार से मदद की पहल करने की मांग की गई है.

rajgir
ब्रह्म कुंड

24 घंटे बहता है पानी
कहा जाता है कि राजगीर के कुंड एवं धारा में स्नान करने से कई प्रकार के रोगों का नाश होता है. यह कुंड और धारा सतयुग से चले आ रहे हैं. निरंतर इसमें से पानी का बहाव होता रहता है. 24 घंटे इसका पानी बहता रहता है, लेकिन हाल के दिनों में इसके बहाव में काफी कमी आई है और देखते ही देखते कई कुंड और धारा बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं.

इन कुंडो पर गहराया खतरा
पुजारी पिंटू उपाध्याय ने बताया कि राजगीर के गंगा-जमुना, व्यास, आनंद, मारकंडे कुंड विलुप्त होने की कगार पर आ चुके हैं. इन कुंडों से पानी का बहाव पूरी तरह से लगभग बंद हो चुका है. सप्तधारा भी विलुप्त होता जा रहा है. उन्होंने बताया कि कुंड और धारा के पानी का बहाव कम होने की मुख्य वजह राजगीर में बनने वाले होटल और धर्मशाला के बोरिंग मुख्य वजह हैं.

बचाने की अपील
उनका कहना है कि हालात पर काबू नहीं पाया गया तो आने वाले समय में राजगीर की पहचान मिटने का खतरा बना रहेगा. ये धार्मिक नगरी अपना अस्त्तित्व खो देगी. यहां आने वाले देश-विदेश के सैलानियों का आना भी कम हो सकता है. जिससे राजगीर के पर्यटन को भारी नुकसान पहुंच सकता है. पूजारी ने लोगोौं से अपील भी की और कहा कि जल सरंक्षण और पानी की बर्बादी ही इस धार्मिक स्थल को बचा सकती है.

नालंदाः राजगीर एक ऐतिहासिक नगरी है. विश्व में इस नगरी की पहचान है और पहचान की मुख्य वजह यहां 22 कुंड और 52 धारा से निकलता गर्म पानी है. लेकिन आज यह पहचान खोने की स्थिति में नजर आ रहा है. इस भीषण गर्मी में पानी का रिसाव कम होना बताया जा रहा है. जिससे आने वाले समय में इसकी पहचान मिटने की संभावना भी बढ़ती जा रही है.

बढ़ती गर्मी से कुंड का पानी सूखता जा रहा है. वहीं, बारिश भी न के बराबर हुई है. इसका असर धारा से बहने वाले पानी पर पड़ रहा है. इससे यहां आने वाले पर्यटकों में भी मायूसी छा रही है. इस धरोहर को बनाए रखने के लिए पंडा कमेटी के द्वारा बिहार और केंद्र सरकार से मदद की पहल करने की मांग की गई है.

rajgir
ब्रह्म कुंड

24 घंटे बहता है पानी
कहा जाता है कि राजगीर के कुंड एवं धारा में स्नान करने से कई प्रकार के रोगों का नाश होता है. यह कुंड और धारा सतयुग से चले आ रहे हैं. निरंतर इसमें से पानी का बहाव होता रहता है. 24 घंटे इसका पानी बहता रहता है, लेकिन हाल के दिनों में इसके बहाव में काफी कमी आई है और देखते ही देखते कई कुंड और धारा बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं.

इन कुंडो पर गहराया खतरा
पुजारी पिंटू उपाध्याय ने बताया कि राजगीर के गंगा-जमुना, व्यास, आनंद, मारकंडे कुंड विलुप्त होने की कगार पर आ चुके हैं. इन कुंडों से पानी का बहाव पूरी तरह से लगभग बंद हो चुका है. सप्तधारा भी विलुप्त होता जा रहा है. उन्होंने बताया कि कुंड और धारा के पानी का बहाव कम होने की मुख्य वजह राजगीर में बनने वाले होटल और धर्मशाला के बोरिंग मुख्य वजह हैं.

बचाने की अपील
उनका कहना है कि हालात पर काबू नहीं पाया गया तो आने वाले समय में राजगीर की पहचान मिटने का खतरा बना रहेगा. ये धार्मिक नगरी अपना अस्त्तित्व खो देगी. यहां आने वाले देश-विदेश के सैलानियों का आना भी कम हो सकता है. जिससे राजगीर के पर्यटन को भारी नुकसान पहुंच सकता है. पूजारी ने लोगोौं से अपील भी की और कहा कि जल सरंक्षण और पानी की बर्बादी ही इस धार्मिक स्थल को बचा सकती है.

Intro:नालंदा। राजगीर एक ऐतिहासिक नगरी है। विश्व में इस नगरी की पहचान है और इस नगरी की मुख्य पहचान की वजह यहां 22 कुंड और 52 धारा से निकलते गर्म पानी है। लेकिन आज यह पहचान खोने की स्थिति में नजर आ रहा है। इसकी मुख्य वजह इस भीषण गर्मी में पानी का रिसाव कम होना बताया जा रहा है। जिससे आने वाले समय में इसकी पहचान मिटने की संभावना भी बढ़ती जा रही है। इस भीषण गर्मी में राजगीर के पहचान कुंड एवं धारा से पानी बंद होता जा रहा है जिससे यहां आने वाले पर्यटकों को मायूसी भी हाथ लग रही है। पंडा कमेटी के द्वारा बिहार एवं केंद्र सरकार से इसकी पहचान को बनाए रखने के लिए पहल करने की मांग की गई है।


Body:कहा जाता है कि राजगीर के कुंड एवं धारा में स्नान करने से कई प्रकार के रोगों का नाश होता है। यह कुंड एवं धारा सतयुग से ही चला आ रहा है। निरंतर इस में से पानी का बहाव होता रहता है। 24 घंटे इसका पानी बहता रहता है था लेकिन हाल के दिनों में इसके बहाव में काफी कमी आई है और देखते ही देखते कई कुंड एवं धारा बंद होने के कगार पर पहुंच गया है। राजगीर का गंगा-जमुना, व्यास, आनंद, मारकंडे कुंड विलुप्त होने के कगार पर आ चुका है। इन कुंडों से पानी का बहाव पूरी तरह से लगभग बंद हो चुका है। सप्तधारा भी भी विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुका है। कुंड एवं धारा का पानी का बहाव कम होने की मुख्य वजह राजगीर में होने वाले बेतरतीब विकास, होटल व धर्मशाला में होने वाले बोरिंग मुख्य वजह बताया जा रहा है।


Conclusion:हालात पर काबू नहीं पाया गया तो आने वाले समय में राजगीर की पहचान मिटने के कगार पर आ जाएगी और यहां आने वाले देश विदेश के सैलानी का भी आना कम हो सकता है जिस से राजगीर के पर्यटन उद्योग को भारी नुकसान पहुंच सकता है।
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