नालंदाः राजगीर एक ऐतिहासिक नगरी है. विश्व में इस नगरी की पहचान है और पहचान की मुख्य वजह यहां 22 कुंड और 52 धारा से निकलता गर्म पानी है. लेकिन आज यह पहचान खोने की स्थिति में नजर आ रहा है. इस भीषण गर्मी में पानी का रिसाव कम होना बताया जा रहा है. जिससे आने वाले समय में इसकी पहचान मिटने की संभावना भी बढ़ती जा रही है.
बढ़ती गर्मी से कुंड का पानी सूखता जा रहा है. वहीं, बारिश भी न के बराबर हुई है. इसका असर धारा से बहने वाले पानी पर पड़ रहा है. इससे यहां आने वाले पर्यटकों में भी मायूसी छा रही है. इस धरोहर को बनाए रखने के लिए पंडा कमेटी के द्वारा बिहार और केंद्र सरकार से मदद की पहल करने की मांग की गई है.
24 घंटे बहता है पानी
कहा जाता है कि राजगीर के कुंड एवं धारा में स्नान करने से कई प्रकार के रोगों का नाश होता है. यह कुंड और धारा सतयुग से चले आ रहे हैं. निरंतर इसमें से पानी का बहाव होता रहता है. 24 घंटे इसका पानी बहता रहता है, लेकिन हाल के दिनों में इसके बहाव में काफी कमी आई है और देखते ही देखते कई कुंड और धारा बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं.
इन कुंडो पर गहराया खतरा
पुजारी पिंटू उपाध्याय ने बताया कि राजगीर के गंगा-जमुना, व्यास, आनंद, मारकंडे कुंड विलुप्त होने की कगार पर आ चुके हैं. इन कुंडों से पानी का बहाव पूरी तरह से लगभग बंद हो चुका है. सप्तधारा भी विलुप्त होता जा रहा है. उन्होंने बताया कि कुंड और धारा के पानी का बहाव कम होने की मुख्य वजह राजगीर में बनने वाले होटल और धर्मशाला के बोरिंग मुख्य वजह हैं.
बचाने की अपील
उनका कहना है कि हालात पर काबू नहीं पाया गया तो आने वाले समय में राजगीर की पहचान मिटने का खतरा बना रहेगा. ये धार्मिक नगरी अपना अस्त्तित्व खो देगी. यहां आने वाले देश-विदेश के सैलानियों का आना भी कम हो सकता है. जिससे राजगीर के पर्यटन को भारी नुकसान पहुंच सकता है. पूजारी ने लोगोौं से अपील भी की और कहा कि जल सरंक्षण और पानी की बर्बादी ही इस धार्मिक स्थल को बचा सकती है.