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मस्तिष्क ज्वर और JE से निपटने के लिए तैयार है पीकू वार्ड, अत्याधुनिक संसाधनों से किया गया लैस

पीकू वार्ड को पूरी तरह से संसाधनों से लैस किया गया है. इस वार्ड में 10 बेड लगाए गए हैं. अत्याधुनिक संसाधनों से लैस इस वार्ड में वेंटिलेशन, ऑक्सीजन, दवा सहित अन्य सभी प्रकार की सुविधाएं होंगी ताकि बीमार मरीज का समुचित इलाज हो सके.

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Published : May 6, 2020, 6:40 PM IST

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नालंदा: मस्तिष्क ज्वर और जापानी इंसेफेलाइटिस से बचाव के लिए नालंदा में तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. इस बीमारी के दस्तक से पहले ही बचाव को लेकर स्वास्थ्य विभाग की तरफ से संसाधनों की व्यवस्था कर ली गई है. बिहारशरीफ के सदर अस्पताल में पीकू वार्ड बन कर तैयार है. यहां इस बीमारी से ग्रसित लोगों के इलाज की समुचित व्यवस्था की गई है.

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पीकू वार्ड

डीएम ने जारी किए कई निर्देश
इस बारे में नालंदा के जिलाधिकारी ने भी सभी डॉक्टरों और अधिकारियों को जरूरी व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दे दिया है. इलाज से संबंधित ऑटोमेटिक सिस्टम को चालू कर दिया गया है. डॉक्टरों को प्रशिक्षित करने का भी काम किया जा रहा है. इसके अलावा सभी प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को भी कार्यशाला आयोजित कर इस बीमारी से संबंधित जानकारी दी गई है और बचाव के लिए आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए गए हैं.

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अत्याधुनिक संसाधनों से किया गया लैस

गर्मी के मौसम में फैलती है ये बीमारी
गौरतलब है कि गर्मी और नमी के मौसम में मस्तिष्क ज्वर और जापानी इंसेफेलाइटिस का प्रकोप देखने को मिलता है. इसमें बच्चे ज्यादा प्रभावित होते हैं और यह बीमारी जानलेवा होती है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग नालंदा में इस बीमारी के फैलाव के पूर्व की तैयारियां पूरी कर ली गई है. बता दें कि पिछले साल इस बीमारी से नालंदा में 5 मरीज ग्रसीत हुए थे, जिनमें से चार मरीजों को ठीक किया जा चुका था.

नालंदा: मस्तिष्क ज्वर और जापानी इंसेफेलाइटिस से बचाव के लिए नालंदा में तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. इस बीमारी के दस्तक से पहले ही बचाव को लेकर स्वास्थ्य विभाग की तरफ से संसाधनों की व्यवस्था कर ली गई है. बिहारशरीफ के सदर अस्पताल में पीकू वार्ड बन कर तैयार है. यहां इस बीमारी से ग्रसित लोगों के इलाज की समुचित व्यवस्था की गई है.

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पीकू वार्ड

डीएम ने जारी किए कई निर्देश
इस बारे में नालंदा के जिलाधिकारी ने भी सभी डॉक्टरों और अधिकारियों को जरूरी व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दे दिया है. इलाज से संबंधित ऑटोमेटिक सिस्टम को चालू कर दिया गया है. डॉक्टरों को प्रशिक्षित करने का भी काम किया जा रहा है. इसके अलावा सभी प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को भी कार्यशाला आयोजित कर इस बीमारी से संबंधित जानकारी दी गई है और बचाव के लिए आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए गए हैं.

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अत्याधुनिक संसाधनों से किया गया लैस

गर्मी के मौसम में फैलती है ये बीमारी
गौरतलब है कि गर्मी और नमी के मौसम में मस्तिष्क ज्वर और जापानी इंसेफेलाइटिस का प्रकोप देखने को मिलता है. इसमें बच्चे ज्यादा प्रभावित होते हैं और यह बीमारी जानलेवा होती है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग नालंदा में इस बीमारी के फैलाव के पूर्व की तैयारियां पूरी कर ली गई है. बता दें कि पिछले साल इस बीमारी से नालंदा में 5 मरीज ग्रसीत हुए थे, जिनमें से चार मरीजों को ठीक किया जा चुका था.

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