नालंदा: भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का सपना एक साल में पूरा होने की संभावना है. दरअसल, प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के तर्ज पर राजगीर के पिलखी में अंतरराष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय का निर्माण बड़ी तेजी से चल रहा है.
खास तरीके से बना है इमारत के लिए ईंट
अंतर्राष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय एक बार फिर देश-दुनिया को ज्ञान का संदेश देने वाला है. इस विवि का पूरा भवन ही नेट जीरो है. विवि परिसर के झील से निकाली जाने वाली मिट्टी से ईंट का निर्माण कर उसे भवन निर्माण में लगाया जाएगा. यह ईंट कम्प्रेसिव अर्थ लॉक सिस्टम से बनाया गया है.
कुलपति ने लिया था संकल्प
विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह ने बताया की जब उन्होंने पदभार संभाला था, तो उस समय 0.3 प्रतिशत काम शुरू हुआ था. मेरा संकल्प ही था कि जब तक नए परिसर में पढा़ई शुरू नहीं हो जाती तब तक मीडिया के सामने नहीं आउंगी. विवि अपने संकल्प को पूरा करने में लग गया है, इसीलिए मुझे मीडिया के साथ विकास कार्यों की चर्चा करनी चाहिए.
नए अनुसंधान केंद्र खोलने की मिली मंजूरी
कुलपति ने बताया कि आज भी 60 प्रतिशत विदेशी छात्र विवि में पढ़ाई कर रहे हैं. उनमें लड़कियों की संख्या अधिक है. आसान इंडिया नेटवर्क ऑफ यूनिवर्सिटीज के तहत नालंदा विवि नोडल संस्थान होने के कारण एमईए लागू करने और नए अनुसंधान केंद्र खोलने की मंजूरी मिल चुकी है. उन्होंने कहा कि यह विवि विश्व के तमाम विवादों के निपटारे का केंद्र बन सके, इसके लिए इसे एक प्रयोगशाला के रूप में तैयार करने का विवाद चल रहा है.
विवि का इतिहास
बता दें कि भारत में ही दुनिया का पहला विश्वविद्यालय खुला था, जिसे नालंदा विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है. प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त काल के दौरान पांचवीं सदी में हुई थी. लेकिन सन् 1193 में आक्रमण के बाद इसे नष्ट कर दिया गया था.
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