नालंदा: हरी सब्जियों के उत्पादन में बिहार शरीफ का प्रमुख स्थान है. यहां उपजाई गई हरी सब्जियां बिहार के अलावा झारखंड में भेजी जाती है. लेकिन सहीं दाम नहीं मिलने के कारण अपनी उगाई हुई सब्जियों को अब किसान फेंकने को मजबूर हो रहे हैं. सब्जी की कीमतों में आई गिरावट से किसानों को उनकी लागत तो दूर बाजार समिति तक ले जाने का भाड़ा भी नहीं मिल पा रहा है.
एक से दो रुपये किलो की दर से सब्जियां खरीदता है महाजन
देश भर में हुए लॉक डॉउन के कारण किसान किसानों को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. हर बार की तरह इस साल भी किसानों ने अपने खेतों में हरी सब्जी की पैदावार की है, उत्पादन भी अच्छा हुआ है, लेकिन बाजार में मांग नहीं होने के कारण किसान परेशान है. उनका कहना है कि वे अपनी सब्जियों को तोड़ने के लिए देर रात 2 बजे से जुट जाते हैं, खेतों में टॉर्च की रोशनी की मदद से सब्जियां तोड़ते हैं.सुबह करीब 5 बजे तक उन सब्जियों को तोड़ने के बाद उसे बेचने बाजार समिति जाते हैं. वहां जाकर पता चलता है कि सब्जियों की कीमत कुछ भी नहीं है. महाजन एक से दो रुपये किलो की दर से सब्जियां खरीदता है.
नहीं मिल रही सब्जियों की सही कीमत
किसानों का कहना है कि लॉक डाउन के कारण ट्रांसपोर्टेशन की समस्या हो रही है. इससे दूसरे राज्य में सब्ज़ी भेजने में दिक्कत हो रही है. ऐसे में उनकी उगाई हुई सब्जियां अपने ही जिला में रह जाती है और उन्हें सही दाम नहीं मिल पा रहा है. सरकार की ओर से भी अब तक उन लोगों को कोई मदद नहीं मिल पाई है. पिछले 15 दिनों से लगातार किसान अपनी सब्जियों को सही दाम पर बेच नहीं पा रहे हैं, जिससे उन्हें काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है.