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मुजफ्फरपुर: SKMCH में एक बच्चे में एईएस की पुष्टि, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट

बिहार के एसकेएमसीएच अस्पताल में पीकू वार्ड में इलाजरत एक बच्चे में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस स‍िंड्रोम (acute encephalitis syndrome) की पुष्टि हुई है. वहीं चमकी बुखार (AES) के दो बच्‍चे इलाजरत हैं. इलाजरत बच्‍चों के खून का नमूना संग्रह कर जांच के लिए भेजा गया है. पढ़ें पूरी खबर

SKMCH पीकू वार्ड में भर्ती बच्चे में AES की पुष्टि
SKMCH पीकू वार्ड में भर्ती बच्चे में AES की पुष्टि
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Published : May 12, 2022, 2:10 PM IST

मुजफ्फरपुर: बिहार में लगातार पड़ रही भीषण गर्मी फिर एक बार बच्चों के लिए काल साबित हो रही है. गर्मी के कारण एईएस (AES in Bihar) के केस में इजाफा हुआ है. बुधवार को एक और बच्चें में बीमारी की पुष्टि (AES patients found in SKMCH ) हुई है, जबकि दो अन्य सस्पेक्ट केस भर्ती हुए हैं. मरीजों की संख्या में वृद्धि के बाद स्वास्थ्य विभाग (Bihar Health Department) अलर्ट मोड में आ गया है और कर्मियों को आवश्यक निर्देश दिए हैं.

ये भी पढ़ें : चमकी से निपटने की तैयारी, बच्चों की जान बचाने के लिए जागरुकता अभियान पर जोर

पीकू वार्ड में भर्ती बच्चे में हुई एईएस की पुष्टि : जानकारी के अनुसार फिलहाल एईएस से पीड़ित एक बच्चे का इलाज एसकेएमसीएच स्थित पीआईसीयू (Children Admitted To SKMCH Piku Ward Confirmed AES) में कराया जा रहा है. जबकि दो अन्य बच्चे भी इलाजरत हैं, जिनमें एईएस के होने की पुष्टि नहीं हुई है. लेकिन प्रोटोकॉल के तहत एसकेएमसीएच में उनका इलाज किया जा रहा है. इधर, एईएस के मरीज नये इलाके में मिलने पर स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट है.

''कुढ़नी के सुमेरा निवासी अशरफ के सात साल के पुत्र मो मिशबुल में एइएस की पुष्टि हुई है. इसकी रिपोर्ट मुख्यालय भेजी गयी है. पीड़ित बच्चे में हाइपोग्लाइसीमिया की पुष्टि की गयी है. वहीं चमकी बुखार के जो दो बच्चे भर्ती हुए हैं, उनका ब्लड सैंपल जांच के लिए लैब भेजा है.'' - डॉ गोपाल शंकर सहनी, उपाधीक्षक सह शिशु विभागाध्यक्ष

अब नए इलाकों में पांव पसार रही एईएस : बता दें कि बच्चों के लिए अब तक घातक साबित होती आयी एईएस जैसी जानलेवा बीमारी अब जिले के नये इलाकों में भी पांव पसार रही है. पहले से प्रभावित व संवेदनशील प्रखंडों के अलावा इस बार जिले के तीन नये प्रखंडों में इस बीमारी ने अपने पांव पसारे है. अब तक मुजफ्फरपुर के कुढ़नी और बंदरा से दो-दो एईएस के मरीज की पुष्टि हुई है.

मई जून में बढ़ते हैं मामलेः हर साल राज्य सरकार एईएस रोगियों के इलाज के लिए पिकू (PICU) वार्ड बनाकर मौतों को नियंत्रित करने के लिए सभी व्यवस्था करने का दावा करती है, लेकिन जब यह बीमारी अपने चरम पर पहुंच जाती है तो सभी दावे फेल हो जाते हैं. आमतौर पर मई जून में एईएस के मामले बढ़ते हैं जब पारा 42 डिग्री सेल्सियस से अधिक को छूता है.

तेज बुखार के तुरंत बाद आता है अटैकः इस बार गर्मी का मौसम पिछले वर्ष की तुलना में अधिक गर्म देखा जा रहा है, इसलिए नीतीश सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को राज्य में प्रचंड गर्मी को लेकर अच्छी व्यवस्था करने को कहा. इतना ही नहीं सीएम के निर्देश के बाद राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग ने लू की स्थिति से निपटने को लेकर एडवाइजरी जारी की. विशेषज्ञ के अनुसार, AES अटैक तेज बुखार के तुरंत बाद आता है और उन बच्चों को प्रभावित करता है, जिनके ग्लूकोज का स्तर कम होता है. यही कारण है कि जिला प्रशासन ने लोगों से उचित पोषक आहार सुनिश्चित करने को कहा है

AES के लक्षणः AES के कुछ महत्वपूर्ण लक्षण सिरदर्द, उल्टी, मतली और रक्त में ग्लूकोज के स्तर में अचानक गिरावट है, जिससे मरीज कोमा में जा सकते हैं. एईएस से पीड़ित बच्चों को तत्काल चिकित्सा देखभाल दी जानी चाहिए, जिससे शरीर का दर्द कम हो सके. AES मामले आने के बाद आशा और एएनएम कार्यकर्ताओं ने मुजफ्फरपुर में कांटी, मीनापुर, बोचहां, पारू और मोतीपुर जैसे प्रभावित क्षेत्रों में ओआरएस बांटना शुरू कर दिया है. आने वाले दिनों में राज्य का स्वास्थ्य विभाग आपदा प्रबंधन विभाग के साथ समन्वय कर AES से संबंधित और एडवाइजरी जारी करेगा, ताकि इस जानलेवा बीमारी से और लोगों की जान बचाई जा सके.

ये भी पढ़ें : सराहनीय पहल: मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से प्रभावित एक-एक गांव को गोद लेंगे अधिकारी

एक दशक में 600 बच्चों की मौतः बिहार में पिछले एक दशक में मुख्य रूप से मुजफ्फरपुर और आसपास के जिलों जैसे वैशाली, समस्तीपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, शिवहर और सीतामढ़ी में एईएस के कारण 600 से अधिक बच्चों की मौत हुई है. डॉक्टर के अनुसार एईएस एक संक्रामक रोग है, जो छोटे बच्चों को प्रभावित करता है. सिंड्रोम वायरस और बैक्टीरिया के कारण यह होता है. बिहार में अधिकांश AES मामले हाइपोग्लाइसीमिया के कारण होते हैं, जो कुपोषण और उचित आहार की कमी से संबंधित हैं. यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत में, सबसे आम कारण वह वायरस है जो जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) का कारण बनता है. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, एईएस के लगभग 40 प्रतिशत मामले जेई के कारण होते हैं.

ये भी पढ़ें :हरिवंशपुर गांव के लोगों का दर्द- पहले चमकी से बच्चे मरे, अब पुलिस सता रही है

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मुजफ्फरपुर: बिहार में लगातार पड़ रही भीषण गर्मी फिर एक बार बच्चों के लिए काल साबित हो रही है. गर्मी के कारण एईएस (AES in Bihar) के केस में इजाफा हुआ है. बुधवार को एक और बच्चें में बीमारी की पुष्टि (AES patients found in SKMCH ) हुई है, जबकि दो अन्य सस्पेक्ट केस भर्ती हुए हैं. मरीजों की संख्या में वृद्धि के बाद स्वास्थ्य विभाग (Bihar Health Department) अलर्ट मोड में आ गया है और कर्मियों को आवश्यक निर्देश दिए हैं.

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पीकू वार्ड में भर्ती बच्चे में हुई एईएस की पुष्टि : जानकारी के अनुसार फिलहाल एईएस से पीड़ित एक बच्चे का इलाज एसकेएमसीएच स्थित पीआईसीयू (Children Admitted To SKMCH Piku Ward Confirmed AES) में कराया जा रहा है. जबकि दो अन्य बच्चे भी इलाजरत हैं, जिनमें एईएस के होने की पुष्टि नहीं हुई है. लेकिन प्रोटोकॉल के तहत एसकेएमसीएच में उनका इलाज किया जा रहा है. इधर, एईएस के मरीज नये इलाके में मिलने पर स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट है.

''कुढ़नी के सुमेरा निवासी अशरफ के सात साल के पुत्र मो मिशबुल में एइएस की पुष्टि हुई है. इसकी रिपोर्ट मुख्यालय भेजी गयी है. पीड़ित बच्चे में हाइपोग्लाइसीमिया की पुष्टि की गयी है. वहीं चमकी बुखार के जो दो बच्चे भर्ती हुए हैं, उनका ब्लड सैंपल जांच के लिए लैब भेजा है.'' - डॉ गोपाल शंकर सहनी, उपाधीक्षक सह शिशु विभागाध्यक्ष

अब नए इलाकों में पांव पसार रही एईएस : बता दें कि बच्चों के लिए अब तक घातक साबित होती आयी एईएस जैसी जानलेवा बीमारी अब जिले के नये इलाकों में भी पांव पसार रही है. पहले से प्रभावित व संवेदनशील प्रखंडों के अलावा इस बार जिले के तीन नये प्रखंडों में इस बीमारी ने अपने पांव पसारे है. अब तक मुजफ्फरपुर के कुढ़नी और बंदरा से दो-दो एईएस के मरीज की पुष्टि हुई है.

मई जून में बढ़ते हैं मामलेः हर साल राज्य सरकार एईएस रोगियों के इलाज के लिए पिकू (PICU) वार्ड बनाकर मौतों को नियंत्रित करने के लिए सभी व्यवस्था करने का दावा करती है, लेकिन जब यह बीमारी अपने चरम पर पहुंच जाती है तो सभी दावे फेल हो जाते हैं. आमतौर पर मई जून में एईएस के मामले बढ़ते हैं जब पारा 42 डिग्री सेल्सियस से अधिक को छूता है.

तेज बुखार के तुरंत बाद आता है अटैकः इस बार गर्मी का मौसम पिछले वर्ष की तुलना में अधिक गर्म देखा जा रहा है, इसलिए नीतीश सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को राज्य में प्रचंड गर्मी को लेकर अच्छी व्यवस्था करने को कहा. इतना ही नहीं सीएम के निर्देश के बाद राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग ने लू की स्थिति से निपटने को लेकर एडवाइजरी जारी की. विशेषज्ञ के अनुसार, AES अटैक तेज बुखार के तुरंत बाद आता है और उन बच्चों को प्रभावित करता है, जिनके ग्लूकोज का स्तर कम होता है. यही कारण है कि जिला प्रशासन ने लोगों से उचित पोषक आहार सुनिश्चित करने को कहा है

AES के लक्षणः AES के कुछ महत्वपूर्ण लक्षण सिरदर्द, उल्टी, मतली और रक्त में ग्लूकोज के स्तर में अचानक गिरावट है, जिससे मरीज कोमा में जा सकते हैं. एईएस से पीड़ित बच्चों को तत्काल चिकित्सा देखभाल दी जानी चाहिए, जिससे शरीर का दर्द कम हो सके. AES मामले आने के बाद आशा और एएनएम कार्यकर्ताओं ने मुजफ्फरपुर में कांटी, मीनापुर, बोचहां, पारू और मोतीपुर जैसे प्रभावित क्षेत्रों में ओआरएस बांटना शुरू कर दिया है. आने वाले दिनों में राज्य का स्वास्थ्य विभाग आपदा प्रबंधन विभाग के साथ समन्वय कर AES से संबंधित और एडवाइजरी जारी करेगा, ताकि इस जानलेवा बीमारी से और लोगों की जान बचाई जा सके.

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एक दशक में 600 बच्चों की मौतः बिहार में पिछले एक दशक में मुख्य रूप से मुजफ्फरपुर और आसपास के जिलों जैसे वैशाली, समस्तीपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, शिवहर और सीतामढ़ी में एईएस के कारण 600 से अधिक बच्चों की मौत हुई है. डॉक्टर के अनुसार एईएस एक संक्रामक रोग है, जो छोटे बच्चों को प्रभावित करता है. सिंड्रोम वायरस और बैक्टीरिया के कारण यह होता है. बिहार में अधिकांश AES मामले हाइपोग्लाइसीमिया के कारण होते हैं, जो कुपोषण और उचित आहार की कमी से संबंधित हैं. यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत में, सबसे आम कारण वह वायरस है जो जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) का कारण बनता है. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, एईएस के लगभग 40 प्रतिशत मामले जेई के कारण होते हैं.

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