मधुबनी: जिले के नरुआर गांव के समीप कमला बलान नदी का पश्चिमी तटबंध टूट गया था. बांध के टूटने से गांव पूरी तरह से बाढ़ की आगोश में आ गया था. जिला प्रशासन ने बांध की मरम्मत का कार्य शुरू किया था, लेकिन इसे बीच में ही अधूरा छोड़ दिया गया है. इससे लोगों में काफी भय व्यापत है.
2007 में भी इसी जगह टूटा था बांध
स्थानीय लोगों के मुताबिक 2007 में भी इसी जगह बांध टूटने से पूरे गांव में पानी घुस गया था. कई मकान ध्वस्त हो गए थे. कई लोगों की जान भी गई थी. दोबारा इसी जगह बांध टूटने से करोड़ों रुपए की संपत्ति का नुकसान हुआ. एक महीने से अधिक समय तक लोग बांध पर शरण लिए हुए थे. आपको बता दें कि इस बार आई बाढ़ में जिले में कुल 35 लोगों की मौत हो चुकी है.
लोगों ने किया था बांध मरम्मत का विरोध
इस बार आई बाढ़ के बाद जब बाढ़ प्रमंडल ने बांध के मरम्मत का कार्य शुरु किया था, तो नरुआर गांव के लोगों ने इसका जमकर विरोध किया था. ग्रामीणों ने दुर्गा पूजा के बाद मरम्मत कार्य शुरु करने की बात रखी थी, लेकिन जिला प्रशासन की तत्परता और सक्रियता से बांध का मरम्मत कार्य शुरू किया गया.
इस बाबत एसडीएम अंशुल अग्रवाल ने बताया था कि बांध पर विस्थापित कुछ लोगों ने बांध मरम्मती कार्य को रोका था, जिसे बाद में बातचीत के द्वारा ठीक कर लिया गया. कुछ लोगों ने लाठी-डंडे से हमला करने का भी प्रयास किया था, लेकिन अब बांध मरम्मत का कार्य शुरू हो गया है.
काम बीच में ही अधूरा छोड़ दिया गया
एसडीएम के आदेश पर काम वापस शुरु तो हो गया था, लेकिन इसे बीच में ही अधूरा छोड़ दिया गया है. इसको लेकर लोग काफी डरे हुए हैं. लोगों का कहना है कि बरसात का महीना है और अगर कमला बलान नदी में पानी आती है तो यह गांव फिर से बाढ़ की चपेट में आ जाएगी.