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बिहार के इस गांव में हिंदू मनाते हैं मुहर्रम, बीते 100 सालों से चली आ रही है परंपरा

कटिहार (Katihar) जिला सालों से गंगा जमुना तहजीब के लिए जाना जाता है. हसनगंज प्रखंड के हरिपुर गांव के इस अनूठी परंपरा युवा पीढ़ी को आपसी भाईचारे और सौहार्द (Communal Harmony) का संदेश देता है. पढ़ें रिपोर्ट..

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Published : Aug 18, 2021, 5:01 AM IST

कटिहार
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कटिहार: मुस्लिम समुदाय में मुहर्रम (Moharram) इमाम हुसैन की शहादत की याद के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन लोग खुद को यातनाएं देकर उनके प्रति अपना दुख प्रकट करते हैं. वैसे तो मुहर्रम मुस्लिम समुदाय के लोग मनाते हैं. हिजरी कैलेंडर के अनुसार इस बार मुहर्रम 19 अगस्त को है. लेकिन बिहार के कटिहार में एक ऐसा गांव है, जहां हिंदू लोग इसमें शरीक होते हैं.

ये भी पढ़ें- पटना: मुहर्रम के मद्देनजर RAF की 4 कंपनियों की मांग, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को लिखा गया पत्र

जिले के हसनगंज प्रखंड के महमदिया हरिपुर गांव में हिंदू समुदाय के लोग मुस्लिमों की तरह मुहर्रम का त्यौहार मनाते हैं. यहां यह परंपरा पिछले 100 सालों से भी अधिक समय से चली आ रही है. इस मौके पर हिंदू समुदाय के लोग चादर पोशी करते हैं और बड़ी संख्या में हिंदू महिलाएं भी शामिल होती हैं. इस दौरान यहां इमाम हुसैन के नारे लगाए जाते हैं. साथ ही फातिहा भी पढ़ा जाता है.

इसके अलावा पूरे गांव में ताजिए का जुलूस निकाला जाता है. लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते सरकार ने मुहर्रम त्यौहार को सादगी के साथ और सामाजिक दूरी का पालन करते हुए मनाने का अपील की है. जिस कारण सैकड़ों सालों की परंपरा पर कोरोना महामारी ने ब्रेक लगा दिया है. बता दें कि यहां के ग्रामीण इस साल सिर्फ पूजा पाठ करके त्यौहार को मनाने का फैसला लिया है.

हरीपुर गांव में एक मजार है. बताया जाता है कि गांव में पहले वकील मियां नाम के एक शख्स रहते थे. लेकिन उनके बेटे की मौत से दुखी होकर वह गांव छोड़ कर चले गए थे. उनके जाने से पहले उन्होंने छेदी शाह नामक व्यक्ति को गांव में मुहर्रम मनाने को कहा था क्योंकि हसनगंज एक हिंदू बहुल क्षेत्र है और 1200 की आबादी वाले इस गांव में कोई भी मुस्लिम परिवार नहीं है. इस दौरान वकील मियां से किए गए वादे के चलते हिंदू लोग आज भी इस गांव में मुहर्रम का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाते हैं.

गांव के लोग बताते हैं 100 सालों से भी अधिक समय से यह परंपरा जारी है. उनका कहना है कि वे आगे भी जारी रखेंगे. ग्रामीणों की मानें तो 4 दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार को बड़े धूमधाम से मनाते हैं और ताजिया निशान को पूरे गांव में घुमाया जाता है.

ये भी पढ़ें- मुहर्रम और बिषहरी को लेकर शांति समिति की बैठक, डीजे और हथियार प्रदर्शन पर रोक

ग्रामीणों ने बताया कि इस गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं है. बावजूद इसके सालों से चले आ रहे हैं इस परंपरा को हम बखूबी निभा रहे हैं. लोगों ने कहा कि सभी त्यौहार हम हिंदू- मुस्लिम मिल जुलकर मनाते हैं और एक दूसरे के घर जाकर खुशियां बांटते हैं. बता दें कि कटिहार जिला सालों से गंगा जमुना तहजीब के लिए जाना जाता है. यहां सभी त्यौहार को मिलजुल कर मनाया जाता है.

कटिहार: मुस्लिम समुदाय में मुहर्रम (Moharram) इमाम हुसैन की शहादत की याद के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन लोग खुद को यातनाएं देकर उनके प्रति अपना दुख प्रकट करते हैं. वैसे तो मुहर्रम मुस्लिम समुदाय के लोग मनाते हैं. हिजरी कैलेंडर के अनुसार इस बार मुहर्रम 19 अगस्त को है. लेकिन बिहार के कटिहार में एक ऐसा गांव है, जहां हिंदू लोग इसमें शरीक होते हैं.

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जिले के हसनगंज प्रखंड के महमदिया हरिपुर गांव में हिंदू समुदाय के लोग मुस्लिमों की तरह मुहर्रम का त्यौहार मनाते हैं. यहां यह परंपरा पिछले 100 सालों से भी अधिक समय से चली आ रही है. इस मौके पर हिंदू समुदाय के लोग चादर पोशी करते हैं और बड़ी संख्या में हिंदू महिलाएं भी शामिल होती हैं. इस दौरान यहां इमाम हुसैन के नारे लगाए जाते हैं. साथ ही फातिहा भी पढ़ा जाता है.

इसके अलावा पूरे गांव में ताजिए का जुलूस निकाला जाता है. लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते सरकार ने मुहर्रम त्यौहार को सादगी के साथ और सामाजिक दूरी का पालन करते हुए मनाने का अपील की है. जिस कारण सैकड़ों सालों की परंपरा पर कोरोना महामारी ने ब्रेक लगा दिया है. बता दें कि यहां के ग्रामीण इस साल सिर्फ पूजा पाठ करके त्यौहार को मनाने का फैसला लिया है.

हरीपुर गांव में एक मजार है. बताया जाता है कि गांव में पहले वकील मियां नाम के एक शख्स रहते थे. लेकिन उनके बेटे की मौत से दुखी होकर वह गांव छोड़ कर चले गए थे. उनके जाने से पहले उन्होंने छेदी शाह नामक व्यक्ति को गांव में मुहर्रम मनाने को कहा था क्योंकि हसनगंज एक हिंदू बहुल क्षेत्र है और 1200 की आबादी वाले इस गांव में कोई भी मुस्लिम परिवार नहीं है. इस दौरान वकील मियां से किए गए वादे के चलते हिंदू लोग आज भी इस गांव में मुहर्रम का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाते हैं.

गांव के लोग बताते हैं 100 सालों से भी अधिक समय से यह परंपरा जारी है. उनका कहना है कि वे आगे भी जारी रखेंगे. ग्रामीणों की मानें तो 4 दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार को बड़े धूमधाम से मनाते हैं और ताजिया निशान को पूरे गांव में घुमाया जाता है.

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ग्रामीणों ने बताया कि इस गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं है. बावजूद इसके सालों से चले आ रहे हैं इस परंपरा को हम बखूबी निभा रहे हैं. लोगों ने कहा कि सभी त्यौहार हम हिंदू- मुस्लिम मिल जुलकर मनाते हैं और एक दूसरे के घर जाकर खुशियां बांटते हैं. बता दें कि कटिहार जिला सालों से गंगा जमुना तहजीब के लिए जाना जाता है. यहां सभी त्यौहार को मिलजुल कर मनाया जाता है.

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