गया: बिहार में पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Election) शुरू हो चुका है. पहले चरण के मतदान संपन्न हो चुके हैं, वहीं दूसरे चरण का मतदान (2nd Phase Voting) बुधवार को होना है. इसे लेकर प्रशासन ने बूथों पर भले ही सुविधाएं दुरुस्त कर रखा हो लेकिन ग्रामीण बूथ तक कैसे पहुंचेंगे इसकी उन्हें तनिक भी चिंता नहीं है. लिहाजा, ग्रामीण बूथ तक पहुंचने के लिए खुद प्रयास में जुटे हुए हैं.
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गया जिले के शंकर बिगहा गांव और मतदान केन्द्र के बीच एक नदी है, जिसमें करीब दो महीने से पानी है. नदी में पानी होने के कारण लोगों को नदी पार कर पाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ग्रामीणों ने कई बार सांसद, विधायक, अधिकारी और प्रतिनिधियों से नदी पर पुल निर्माण की मांग को लेकर गुहार लगाई लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा.
"जब-जब नदी में पानी आता है तब नदी पार करने के लिए ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर नदी पार करना पड़ता है. पुल बनाने को लेकर स्थानीय सांसद, विधायक और प्रशासनिक अधिकारियों तक को पत्र लिखा गया है लेकिन किसी ने इसकी सुध नहीं ली. ऐसे में गांव के युवाओं के साथ मिलकर इस चचरी पुल का निर्माण किया गया है. अब 29 सितंबर को बूथ पर जाकर इस पुल का हिसाब किताब होगा."- टिंकू सिंह, ग्रामीण
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अब कल ही वोट डाले जाएंगे, लिहाजा आश्वासन से तंग आकर ग्रामीणों ने आपसी सहयोग से इस नदी पर चचरी का पुल बना दिया. ग्रामीण शंभू कुमार सिंह ने बताया था कि बिना पुल के महिलाएं, वृद्ध और दिव्यांगों को बूथ तक पहुंचना नामुमकिन था. इसलिए आपसी सहयोग से इस पुल का निर्माण किया गया है. इस पुल के बन जाने से ग्रामीण काफी खुश हैं.
बता दें कि गया जिले का गुरारू प्रखंड क्षेत्र नक्सल प्रभावित इलाका माना जाता रहा है. कभी इस इलाके में नक्सलियों की तूती बोलती थी. अक्सर लोग माओवादी नक्सलियों के द्वारा वोट बहिष्कार का नारा देने के बाद डर के मारे मतदान करने नहीं जाते थे लेकिन तस्वीर अब बदल गई है. लोगों ने वोट की ताकत को समझ लिया है, तभी तो मतदान से ठीक एक दिन पहले ही नदी पर चचरी पुल को बनाकर तैयार कर दिया और अब वोट का हिसाब-किताब लगाने को आतुर हैं.