डायबिटीज एक लाइलाज बीमारी है, एक बार किसी व्यक्ति को यह हो जाए तो जीवन भर साथ रहती है. ऐसे में डायबिटीज मरीजों को अपने खान-पान और जीवनशैली का विशेष ध्यान रखना पड़ता हैं. यदि डायबिटीज पेशेंट ऐसा नहीं करते हैं, तो यह बीमारी कई तरह के स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन जाती है. ब्लड शुगर कंट्रोल में न रहने की वजह से इस बीमारी से पीड़ित मरीज की मौत तक हो सकती है.
डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति को अपना ब्लड शुगर कंट्रोल में रखने के लिए केवल खान-पान ही नहीं बल्कि, एक्सरसाइज और वॉकिंग जैसी एक्टिविटी पर ही विशेष ध्यान देने से की जरूरत होती है. आज इस खबर के माध्यम से जानेंगे कि यदि ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाए, तो उसे किस तरह नेचुरल तरीके से कंट्रोल किया जाए...
londondiabetes.com के अनुसार, अगर ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाए, तो उसे नेचुरल तरीके से कंट्रोल करने के लिए आप ये आसान उपाय अपना सकते हैं, जैसे कि
खूब पानी पिएं: तेजी से ब्लड शुगर लेवल को लो करने के लिए पानी की ज्यादा मात्रा में पिएं. इससे शरीर में हाइड्रेशन का लेवल बढ़ता है और किडनी को ज्यादा शुगर बाहर निकालने में सहायता मिलती है.
रेगुलर एक्सरसाइज करें: हर दिन कुछ आसान एक्सरसाइज करने से ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित किया जा सकता है. जैसे कि खाना खाने के बाद 15 से 30 मिनट तक टहलना, हल्का वेट उठाना, साइकिल चलाना, स्विमिंग करना और योगा भी इसमें शामिल है.
फाइबर से भरपूर भोजन करें: फाइबर रिच फूड खाने से शुगर के एब्जॉर्बशन को स्लो किया जा सकता है. इसके लिए, अपने भोजन में सब्जियां, फलियां, और साबुत अनाज जरूर शामिल करें.
कार्बोहाइड्रेट की मात्रा काउंट करें: अगर आपको टाइप 2 डायबिटीज है, तो कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को काउंट करना बेहद फायदेमंद होता है. इससे आपको पता चलेगा कि आप दिन भर में कितना कार्बोहाइड्रेट ले रहें हैं
भरपूर नींद जरूर लें : उचित नींद लेने से भी ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है. यदि आपकी नींद पूरी नहीं होती है, तो आपकी सेहत सही नहीं रहेगी. शुगर पेशेंट को अपनी नींद का खास ख्याल रखना बेहद जरूरी है.
कंसल्टेंट फिजीशियन डॉ. आमिर हुसैन का कहना है कि अगर समय रहते इस रोग पता चल जाए, तो जीवनशैली में बदलाव और चिकित्सकीय देखभाल से इसका इलाज किया जाए जा सकता है. हाई ब्लड शुगर की वजह से नसों की कोशिकाओं को क्षति पहुंच सकती है. इसका आम तौर पर सबसे ज्यादा असर पैरों पर पड़ता है. कुछ लोगों में, लक्षण कम होते हैं. कुछ को दर्द होता है, कमजोरी महसूस होती है और यह जानलेवा भी हो सकता है.
इन लक्षणों में पैरों में दर्द और पैरों का सुन्न होना शामिल है. समस्या ज्यादा गंभीर होने पर, लक्षणों में डाइजेस्टिव सिस्टम, पेशाब से जुड़ी समस्या और हार्ट बीट को नियंत्रित रखने से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं. इलाज के लिए इंसुलिन और नसों के दर्द को कम करने वाली दवाओं का उपयोग किया जाता है. ऐसा होने पर डॉक्टर से जांच कराना जरूरी होता है.
(डिस्क्लेमर: यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.)