गया: इस आधुनिक युग मे आजकल बच्चे विभिन्न तरह के ऑनलाइन गेम्स में खुद को व्यस्त रखते हैं. लेकिन गया शहर के किलकारी भवन (Kilkari Bhawan) में विभिन्न कला में प्रशिक्षण लेने वाले बच्चे ऑनलाइन गेम्स से कोसों दूर होकर अपने भविष्य संवारने में लगे हुए हैं. सरकारी स्कूल और गरीब परिवार के बच्चे किलकारी बाल भवन में पिछले कई दिनों से सुंदर कलाकृतियां (Art Work) बना रहे हैं.
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बच्चों के द्वारा बनाए गईं कलाकृतियां पटना के खादी मॉल सहित खादी मेला में भी बिक्री के लिए रखा जाएगा.किलकारी से जुड़े बच्चे स्कूल से आने के बाद प्रोफेशनल तरीके से कलाकृतियों को बना रहे हैं.
दरअसल गया शहर के हरिदास सेमनरी स्कूल के परिसर में स्थित किलकारी भवन में बच्चे एक से बढ़कर एक कलाकृतियां बना रहे हैं. बच्चे इन कलाकृतियों को बनाने के लिए घर का सामान, वेस्ट सामान और अन्य समानो से सुंदर से सुंदर कलाकृतियां बना रहे हैं. इन बच्चों के द्वारा बनाई गई कलाकृतियां पटना स्थित खादी मॉल में बिक्री के लिए रखा जाएगा.
जो कलाकृतियां बिकेंगी, उसकी राशि बच्चों को दी जाएगी. बाल भवन और खादी मॉल प्रबंधन के बीच कलाकृतियों को भेजने को लेकर सहमीति बन गई है. कलाकृतियां बनाने वाली एक छात्रा प्रिया रानी ने बताया कि हमलोग हाथ से कलाकृति बना रहे हैं. पेपर से जुड़े कलाकृतियां भी बनाई जाती है, जिसमे वॉल डिज़ाइन,ग्लास डिजाइन, फोटी फ्रेम सहित दर्जनों कलाकृतियां है.
"स्कूल से लौटकर दो से पांच किलकारी में कलाकृतियां बनाती हूं. मुझे बचपन से कलाकृति बनाने का शौक था. किलकारी भवन ने मेरे शौक को एक मंच दिया और अब कलाकृतियों के जरिये हमलोगों की भी आमदनी होगी. इस उम्र में हमलोग कलाकृतियां बनाना जानते हैं. लेकिन उस कलाकृतियों का पैसा मिले ये काम किलकारी ने किया है."- प्रिया रानी,छात्रा
किलकारी भवन में बच्चों को प्रोफेशनल तरीके से कलाकृति बनाने के लिए प्रशिक्षण देनेवाले शिक्षक शंकर कुमार बताते है कि कलाकृतियां बनाने के लिए 15 छात्र-छात्रों का एक टीम है. सभी अपनी कला के अनुसार कलाकृतियां बनाते हैं.
"सभी 15 बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले और गरीब परिवार से आते हैं. इन बच्चों में कुछ करने का जुनून है. कम दिनों में ये 15 बच्चे प्रोफेशनल तरीके से कलाकृतियां बनाने लगे हैं. बच्चे मोती- धागे, घर के वेस्ट मैटेरियल आदि से बने ज्वेलरी आइटम, फोटो फ्रेम, वॉल डिजाइन बना रहे हैं."- शंकर कुमार, प्रशिक्षक
इसके साथ ही इयररिंग से लेकर नेकलेस भी बच्चे हाथ से बना रहे हैं. एक टीम सुंदर से सुंदर पेटिंग बना रही है, जिसे लोग देखते ही लेने के लिए आतुर हो जायें. बच्चों के द्वारा बनाई गई कलाकृतियां पटना स्थित खादी मॉल में बिक्री के लिए भेजी जाएंगी. इन कलाकृतियों के बिकने के बाद मुनाफा में से बच्चों को भी राशि दी जाएगी.
बता दें कि पटना स्थित खादी मॉल के प्रबंधन और किलकारी के बीच मे बच्चों के द्वारा बनाये गए कलाकृतियां को मॉल में एक सुनिश्चित जगह देने और उसके बिक्री के लिए प्रोमोट करने के लिए सहमति बनी है. गया किलकारी बाल भवन में बच्चे एक से बढ़कर एक कलाकृतियां बना रहे हैं.अधिकांश कलाकृतियों का मूल्य 20 रुपये से लेकर 200 रुपये तक रखा गया है. गया किलकारी भवन में ज्यादातर नेकलेस और ब्रेसलेट बनाया जा रहा है.
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