गया: बिहार के गया शहर के गायत्री घाट ऊपर डीह का रहने वाले सुकांत कुमार पाठक के पास हाथ के बल ब्रह्म्योनी पहाड़ की सीढ़ियों को उतर जाने में महारत हासिल (Sukant Mastery in Descending Stairs of Brahmayoni Mountain) है. कोरोना को लेकर हुए लॉकडाउन के अवसर को इसने हाथ के बल सीढ़ियां उतरकर प्रैक्टिस के रूप में आजमाया और आज वह एक सफल मुकाम पर पहुंच चुका है. उसका नाम पिछले साल ही भारत गिनीज बुक में दर्ज हो चुका है. सुकांत कुमार पाठक महज 18 साल की उम्र का है, लेकिन इसने जो कारनामा कर दिखाया है, वह चकित करने वाला है. ब्रह्मयोनी पहाड़ की 440 सीढ़ियां हाथ के बल उतर जाना एक आश्चर्य से कम नहीं है, क्योंकि यह सीढ़ियां उबर-खाबर है और काफी ऊंची बनी है.
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घर की सीढ़ियां से शुरू की प्रैक्टिस : सुकांत कुमार पाठक अनवरत प्रैक्टिस से उबर-खाबर सीढ़ियों की 440 की गिनती को पार कर अपना नाम भारत गिनीज बुक में दर्ज करा लिया है. सुकांत ने अपनी प्रैक्टिस घर में ही शुरू की थी. पहले वह घर की सीढ़ियों पर ही हाथ के बल चला करता था. फिर उसने एक दिन सोचा कि क्यों न ब्रह्मयोनी पहाड़ की सीढ़ियों पर चलकर कुछ नाम कमाया जाए और बस यहीं से उसने यह प्रैक्टिस शुरू कर दी और आज वह 440 सीढ़ियां सफलतापूर्वक उतरने में कामयाब हो जा रहा है. सुकांत कुमार पाठक की तमन्ना है, कि वह अपने देश का नाम विदेशों में रोशन करे. वह अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में दर्ज कराना चाहता है और इसके लिए रोजाना प्रैक्टिस कर रहा है. उसने सीढ़ियों के बल चलने की शुरुआत की तो पिता ने उसका प्रोत्साहन बढ़ाया. उसके पिता खुद एक योग गुरु हैं. योग से सुकांत को एकाग्रता की शिक्षा मिली और फिर उसने ब्रह्मयोनी पहाड़ की सीढ़ियों को आसानी से हाथ के बल ही लांघ दिया है. सुकांत अपने दोस्त शुभम कुमार श्रीवास्तव को गुरु मानता है, जिसने हर कदम पर उसका साथ दिया.
शुरू में होती थी दिक्कत, लेकिन प्रैक्टिस से हुआ सफल : शुरुआत में हाथ के बल चलने पर लोग सुकांत को पागल भी कहते थे. इस दौरान शुभम ने उसकी हौसला अफजाई की और प्रैक्टिस जारी रखने को कहा. नतीजा है कि सुकांत 40 सेकंड में ही 50 सीढ़ियों को हाथ के बल उतर जाता है. वह चीन के किसी शख्स का रिकॉर्ड तोड़ने की तैयारी में है, ताकि देश का नाम विश्व स्तर पर दे सके. शुरुआत में लोग उसे पागल कहते थे. लेकिन गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में रिकॉर्ड दर्ज कराने की सुकांत की तमन्ना है. गौरतलब हो कि ब्रह्मयोनी पहाड़ की सीढ़ियां अत्यंत ही खतरनाक है और इस पर हाथ के बल चलना काफी नामुमकिन है. ऐसे में कहा जा सकता है कि ब्रह्मयोनी की 440 सीढ़ियां पार करने वाला भविष्य में और भी बड़ी उपलब्धियां हासिल कर सकता है.
'शुरू में दिक्कत होती थी. ब्रह्म्योनी पहाड़ की उबड़-खाबड़ सीढ़ियां बाधक बनने लगी थी, लेकिन अपनी प्रैक्टिस और मेहनत जारी रखा और इसके बाद आज 440 सीढ़ियाों को आसानी से हाथ के बल उतर जाता हूं.' - सुकांत कुमार पाठक, भारत गिनीज बुक में दर्ज नाम कराने वाला किशोर
'सुकांत कुमार पाठक ने एक बार में ही ब्रह्मयोनी पहाड की 440 सीढ़ियां हाथ के बल पर उतर कर रिकॉर्ड बनाया है. इसके बाद उसका नाम भारत गिनीज बुक में दर्ज हो चुका है. वहीं उसे एक और पुरस्कार भी मिला है. ब्रह्मयोनी पहाड़ की सीढ़ियों पर हाथ के बल चलने-उतरने पर लोग मजाक उड़ाते थे और उसे पागल कहते थे. यहां पर मैंने उसका पूरा साथ दिया और हौसला अफजाई कराता रहा और आज सुकांत सफल होकर रिकॉर्ड बना रहा है. इसी तरह का सिलसिला जारी रखकर वह गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में नाम दर्ज कराना चाहता है.' - शुभम कुमार, गुरू
ब्रह्मयोनी की सीढ़ियां अत्यंत ही है खतरनाक : सुकांत कुमार पाठक के गुरु माने जाने वाले शुभम कुमार श्रीवास्तव गायत्री घाट के ही रहने वाले हैं. वह बताते हैं कि ब्रह्मयोनि पहाड़ से नीचे एक बार में उतर कर एक नया रिकॉर्ड बनाया और साथ ही अपना नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया. इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की तरफ से सुकांत कुमार पाठक को मेडल, सर्टिफिकेट, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की किताब के साथ कई पुरस्कार भेजा गया है.
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