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भीषण गर्मी से पक्षियों को बचाने के लिए महिलाओं की मुहिम, कंक्रीट के बर्तन बनाकर रख रही हैं पीने का पानी

भीषण गर्मी से बचने के लिए वात्सल्य निर्भया शक्ति की महिलाएं एक मुहिम चला रही हैं. वे जानवरों और पक्षियों के लिए कंक्रीट के बर्तन बनाकर पीने का पानी रख रही हैं.

वात्सल्य निर्भया शक्ति की महिलाएं
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Published : May 15, 2019, 12:09 AM IST

गया: सूबे में सबसे गर्म जिले के रूप में विख्यात गया में इन दिनों पारा 40 से 45 डिग्री तक पहुंच चुका है. जहां आमजन इस गर्मी से बेहाल हैं वहीं, बेजुबान पशु-पक्षी भी पानी के लिए तरस रहे हैं. ऐसे में गया की महिलाएं खुद ही कंक्रीट के बर्तन बनाकर बेजुबान पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए पानी रख रही हैं.

वात्सल्य निर्भया शक्ति की मुहिम
गया की भूगोलिक संरचना गर्मी का अहसास अधिक कराती है. पहाड़ों और सूखी नदियों से घिरे इस जिले के सभी प्रखंडो में इन दिनों पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. लेकिन यहीं पहाड़ों पर बसी शहमीर तकिया की महिलाओं ने पक्षियों और आवारा पशुओं के प्यास मिटाने का जिम्मा उठाया है. वात्सल्य निर्भया शक्ति से जुड़ी ये महिलाएं खुद से 90 कंक्रीट के बरतन बनाकर घर, पहाड़ों, मंदिरों और अस्पतालों में रख रही हैं.

वात्सल्य निर्भया शक्ति की महिलाओं से बातचीत करते संवाददाता

महिलाओं ने मिलकर की मदद
समूह से जुड़ी महिला सत्यावती देवी बताती हैं कि वे महिलाओं के हितों के लिये विभिन्न तरह के कार्य करती हैं. जिस पहाड़ी में वे रहती हैं, वहां आम दिनों में अधिक पक्षी दिखाई देते थे. लेकिन गर्मी आते ही वे यहां से चले गए. पिछले वर्ष यहां पानी की वजह से बहुत पक्षियों का मौत हो गयी थी. इसलिए इस वर्ष हम सभी महिलाओं ने मिलकर ये बर्तन बनाया है ताकि पक्षी पानी की कमी से इस जगह को छोड़कर न जाएं.

छात्रों का भी योगदान
सत्यावती ने बताया कि उनकी संस्था के छात्रों ने बर्तन का निःशुल्क पेंट किया है. ये बर्तन दो रूपों में हैं. छोटा बर्तन पक्षियों तथा बड़ा पशुओं के लिए है. वे कहती हैं कि महिलाएं परुषों के मुकाबले अधिक संवेदनशील होती हैं इसलिए इन बर्तनों में पानी डालने का जिम्मा महिलाओं को सौंपा गया है. इन महिलाओं ने खुद से अपने छतों और पहाड़ों पर ये बर्तन रखा है. आने वाले समय में शहर के प्रमुख स्थानों पर ये बर्तन रखकर उसमें पानी रखने की भी जिम्मेदारी तय की जाएगी.

गया: सूबे में सबसे गर्म जिले के रूप में विख्यात गया में इन दिनों पारा 40 से 45 डिग्री तक पहुंच चुका है. जहां आमजन इस गर्मी से बेहाल हैं वहीं, बेजुबान पशु-पक्षी भी पानी के लिए तरस रहे हैं. ऐसे में गया की महिलाएं खुद ही कंक्रीट के बर्तन बनाकर बेजुबान पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए पानी रख रही हैं.

वात्सल्य निर्भया शक्ति की मुहिम
गया की भूगोलिक संरचना गर्मी का अहसास अधिक कराती है. पहाड़ों और सूखी नदियों से घिरे इस जिले के सभी प्रखंडो में इन दिनों पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. लेकिन यहीं पहाड़ों पर बसी शहमीर तकिया की महिलाओं ने पक्षियों और आवारा पशुओं के प्यास मिटाने का जिम्मा उठाया है. वात्सल्य निर्भया शक्ति से जुड़ी ये महिलाएं खुद से 90 कंक्रीट के बरतन बनाकर घर, पहाड़ों, मंदिरों और अस्पतालों में रख रही हैं.

वात्सल्य निर्भया शक्ति की महिलाओं से बातचीत करते संवाददाता

महिलाओं ने मिलकर की मदद
समूह से जुड़ी महिला सत्यावती देवी बताती हैं कि वे महिलाओं के हितों के लिये विभिन्न तरह के कार्य करती हैं. जिस पहाड़ी में वे रहती हैं, वहां आम दिनों में अधिक पक्षी दिखाई देते थे. लेकिन गर्मी आते ही वे यहां से चले गए. पिछले वर्ष यहां पानी की वजह से बहुत पक्षियों का मौत हो गयी थी. इसलिए इस वर्ष हम सभी महिलाओं ने मिलकर ये बर्तन बनाया है ताकि पक्षी पानी की कमी से इस जगह को छोड़कर न जाएं.

छात्रों का भी योगदान
सत्यावती ने बताया कि उनकी संस्था के छात्रों ने बर्तन का निःशुल्क पेंट किया है. ये बर्तन दो रूपों में हैं. छोटा बर्तन पक्षियों तथा बड़ा पशुओं के लिए है. वे कहती हैं कि महिलाएं परुषों के मुकाबले अधिक संवेदनशील होती हैं इसलिए इन बर्तनों में पानी डालने का जिम्मा महिलाओं को सौंपा गया है. इन महिलाओं ने खुद से अपने छतों और पहाड़ों पर ये बर्तन रखा है. आने वाले समय में शहर के प्रमुख स्थानों पर ये बर्तन रखकर उसमें पानी रखने की भी जिम्मेदारी तय की जाएगी.

Intro:बिहार के गया जिला सूबे में सबसे गर्म जिला है। गर्मी में पारा 40 से 45 तक पहुँच जा रहा है। आमजन इस गर्मी से बेहाल हैं वही बेजुबान पक्षी- पशु पानी के तरसते दिखते हैं। इंसानियत पसंद लोग बेजुबान पक्षियों के लिए अपने छतों पर पानी का व्यवस्था करते हैं गया में बेजुबान जीव के लिए गया के महिलाओं ने खुद से कंक्रीट के बर्तन बनाकर पक्षियों के लिए पानी रख रही है। साथ ही अन्य महिलाओं को बर्तन बांट भी रही है।


Body:गर्मी में मनुष्य का हलक पानी के बिना सुख जाता है। मनुष्य अपने सुविधा अनुसार पानी का इंतजाम कर प्यास मिटा लेते हैं। लेकिन बेजुबान जानवर इस भीषण गर्मी में पानी के लिए तड़पते दिखते हैं। खासकर शहरी इलाकों में ये नजारा आपको दिख जाएगा। गया में जमीन पहाड़ी और सुखी नदी होने से पक्षियों और पशुओं को अपने प्यास मिटाने में अधिक समस्या होता हैं। कहते हैं एक महिला दिल जल्दी पसीज जाता है। गया कुछ महिलाओं ने बेजुबान पक्षियों और आवारा पशुओं के लिए पीने के पानी का व्यवस्था करेगी।

गया के भूगोलिक रचना गर्मी का अहसास अधिक करवाता है। पहाड़ो और सुखी नदियों से घिरा गया जिला के सभी प्रखंडो में पानी का हाहाकार मचा हुआ है। गांव तो दूर शहर में लोग पानी के लिए मारामारी करते दिखते हैं। इसी बीच पहाड़ो पर बसी शहमीर तकिया के महिलाएं जो हर रोज पानी के तरसती हैं उन्होंने पक्षियों और आवारा पशुओं के प्यास मिटाने का जिम्मा उठाई है। वात्सल्य निर्भया शक्ति से जुड़ी महिला खुद से 90 कंक्रीट के बरतन बनाकर घर, पहाड़ो , मंदिर और अस्पतालो में रखेगी। खास बात ये है पानी का बरतन महिलाओं को दिया जाता है।

समूह से जुड़ी महिला सत्यावती देवी बताती है हमलोग महिलाओं के हित लिए विभिन्न तरह के कार्य करते हैं। जिस पहाड़ में रहती हूँ यहां गर्मी से पहले पक्षी अधिक रहते थे। गर्मी आते ही वो यहां से चलेंगे। मुझे पता चला पिछले वर्ष पानी के वजह से बहुत पक्षियों का मौत हो गयी थी। इस वर्ष हम सभी महिलाएं मिलकर सीमेंट का बर्तन बनाये, हमारे संस्था के छात्रों ने निःशुल्क इसका पेंट किया है। अभी तो हमलोग खुद से अपने छतों और पहाड़ो पर रखे हैं। कल से शहर के प्रमुख स्थानों पर रखकर पानी रखने का जिम्मेदारी तय करेंगे। महिलाओं के बर्तन देने के पीछे वजह है महिलाएं उदार होती है। महिला घर अधिक समय तक रख सकती है। खास बात महिलाएं चाहकर भी ये काम नही कर पा रही थी उनके घर जाकर जब ये बर्तन देगे तो एक मौका मिल जाएगा पक्षियों को पानी देने का। छोटा बर्तन पक्षियों और बड़ा बर्तन छोटे और आवारा जानवर के लिए है।


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