ETV Bharat / city

गया के ग्रीन मैन सिकंदर ने कर दिया कमाल, हजारों पेड़ पौधे लगाकर बंजर भूमि को हरियाली में किया तब्दील

मुफलिसी में जी रहे गया के ग्रीन मैन दिलीप कुमार (Gaya Green Man Dilip Kumar) सिकंदर की पर्यावरण से प्रेम करने वालों के लिए प्रेरणादायक है. आज के जमाने में जहां लोग कृत्रिम सूख-सुविधा के लिए पेड़ों को काट रहे हैं, वहीं गया के ग्रीन मैन सिंकदर बंजर भूमि पर हजारों पेड़ पौध लागकर हरा-भरा कर दिया है. देखें वीडियो

गया के ग्रीन मैन सिकंदर
गया के ग्रीन मैन सिकंदर
author img

By

Published : May 20, 2022, 11:08 PM IST

Updated : May 20, 2022, 11:18 PM IST

गया: बिहार के गया के एक शख्स ने पर्यावरण के लिए अपना सब कुछ समर्पित (Environment Lover Gaya Green Man Sikander) कर दिया. उसने जो भी कमाया इसी में लगा दिया. परिवार तक की सुध नहीं रखी. आज यह शख्स और इसका परिवार मुफलिसी की जिंदगी जी रहा है किंतु उसने जो काम कर दिखाया है, वह किसी विरले के वश की ही बात है. ब्रह्मयोनी और उसके आसपास के बंजर भूमि में सिकंदर ने हजारों पेड़ उगा दिए (Sikandar Grew Thousands of Trees in Gaya) हैं. कभी बंजर कहे जाने वाले इस जगह में अब हरियाली दिखते ही बनती है.

ये भी पढ़ें- मास्टर जी का लाजवाब किचन गार्डन! 400 से अधिक पेड़-पौधे, पक्षियों के लिए घरोंदे

बंजर भूमि पर हजारों पेड़ लगाए: ब्रह्मयोनि और उसके आसपास के इलाके को बंजर भूमि कहा जाता है. किंतु गया के टिलहा धर्मशाला के रहने वाले दिलीप कुमार सिकंदर ने इस बंजर भूमि पर पेड़ लगाकर हरियाली ला दी है. इस इलाके में दिलीप कुमार सिकंदर ने हजारों पेड़ लगाए हैं और पिछले 30 सालों से यह अनवरत जारी है. आज इनकी पहचान गया कि ग्रीन मैन के रूप में की जाती है.

शहीदों के नाम पर लगाते हैं पेड़: ग्रीन मैन सिकंदर शहीदों को पेड़-पौधे लगा कर अनोखी श्रद्धांजलि देता हैं. सिकंदर का देशभक्ति का जज्बा भी अनूठा है. देश के लिए शहीद होने वाले जवानों को पेड़ लगाकर श्रद्धांजलि देतें हैं. शहीदों और महापुरुषों के नाम लिखी तख्तियां भी पेड़ के पास लगाते हैं. पुलवामा, उड़ी में शहीद हुए जवानों को भी उन्होंने इसी रूप में श्रद्धांजलि दी है. पिछले 30 सालों की जिंदगी पेड़ लगाने में ही इन्होंने गुजार दिए हैं.

30 साल से लगा रहे हैं पेड़: सिकंदर की दिनचर्या पिछले 30 साल से ऐसी है जिसे जानकर हर कोई दंग रह जाता है. वह सुबह उठते ही घर के पास रहे प्रसिद्ध रामसागर तालाब पर पहुंचते हैं और यहां बिना किसी शुल्क के रोज यहां पेड़-पौधों और बगीचों में पानी देते हैं. उसे सजाते और संवारते हैं. इसके बाद वह ब्रह्मयोनि वाले इलाके में पहुंचते हैं और वहां रोजाना कई पौधों को लगाते हैं. पहले से लगाए गए पौधों में पानी भी रोज ही देता है और उन्हें संरक्षित करते है. पिछले 30 सालों में उसने अपना अधिकांश समय पेड़ों पहाड़ों पर ही गुजार दिए.

20 साल की उम्र में हुआ पेड़ों से प्यार: 20 साल की उम्र से जो पर्यावरण के प्रति उनका लगाव हुआ, वह फिर कभी भी कम नहीं हुआ. वह बताते हैं कि उसने अब तक एक लाख पेड़ लगा दिए है लेकिन उसे दुख है कि इन पेड़ों को बचाने के लिए सरकार की या जिला प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं की जाती है. सभी पेड़ सुरक्षित नहीं रह पाए हैं, इसके लिए कदम उठाने जरूरी है.

कटती वृक्षें करें पुकार, मैं हूं धरती का श्रृंगार: यह पंक्ति काफी कुछ कह जाती है. सिकंदर से ग्रीन मैन की ख्याति प्राप्त कर चुका, यह शख्स गया के टिलहा धर्मशाला मोहल्ले के रहने वाले हैं और इनके हरियाली से जुड़ा काम प्रेरणा वाला है. एक गरीब परिवार से आने वाले सिकंदर ने अकेले अपने दम पर ब्रह्म्योनी और इसके आस-पास अनगिनत पेड़ -पौधे लगाये हैं. सिकंदर बताते हैं की उन्होंने यह कार्य 1982 से प्रारंभ किया और अब तक 30-35 वर्ष बीत जाने पर भी निरंतर इस कार्य में लगे हुए हैं. बिना किसी स्वार्थ और सहयोग से ऐसा कर रहे हैं. दिन हो या रात जब मन किया, पेड़ों की देखरेख करने के लिए आ जाते हैं.


सिकंदर के तीन बच्चे हैं: सिकंदर कहते हैं कि घर पर उनके तीन बच्चे हैं, लेकिन पहाड़ों पर तो हजारों पेड़ के रूप में है, जिनका लालन –पोषण उन्हें ही करना है. जब कोई पौधा सुख या मुर्झा जाता है तो उन्हें बहुत चोट पहुंचती है. बचपन में जब भी वह ब्रह्म्योनी के आसपास पिकनिक मनाने आते तो यह खाली बंजर जमीन उन्हें बड़ी अजीब लगती तभी उन्होंने फैसला कर लिया कि इस सूखे को वे हरियाली में बदल कर रख देंगे. इस काम में लगन की वजह से वे गया के बाहर शायद ही कभी गए. इसका आर्थिक नुकसान भी उन्हें उठाना पड़ा है. सिकंदर ने तरह तरह के पेड़–पौधे जैसे आम, अमरुद, अनार, नींबू, आंवला और शीशम लगाये हैं जो कि न सिर्फ छाया और फल देते हैं, बल्कि पक्षियों को आकर्षित भी करते हैं.

ये भी पढ़ें- लखीसराय में तेजी से हो रहा पौधारोपण, गांधी मैदान में लगाए गए 600 पौधे

ये भी पढ़ें- रेलवे की लापरवाही- राजेंद्र नगर टर्मिनल पर सूख गए लाखों रुपये के पेड़-पौधे

विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

गया: बिहार के गया के एक शख्स ने पर्यावरण के लिए अपना सब कुछ समर्पित (Environment Lover Gaya Green Man Sikander) कर दिया. उसने जो भी कमाया इसी में लगा दिया. परिवार तक की सुध नहीं रखी. आज यह शख्स और इसका परिवार मुफलिसी की जिंदगी जी रहा है किंतु उसने जो काम कर दिखाया है, वह किसी विरले के वश की ही बात है. ब्रह्मयोनी और उसके आसपास के बंजर भूमि में सिकंदर ने हजारों पेड़ उगा दिए (Sikandar Grew Thousands of Trees in Gaya) हैं. कभी बंजर कहे जाने वाले इस जगह में अब हरियाली दिखते ही बनती है.

ये भी पढ़ें- मास्टर जी का लाजवाब किचन गार्डन! 400 से अधिक पेड़-पौधे, पक्षियों के लिए घरोंदे

बंजर भूमि पर हजारों पेड़ लगाए: ब्रह्मयोनि और उसके आसपास के इलाके को बंजर भूमि कहा जाता है. किंतु गया के टिलहा धर्मशाला के रहने वाले दिलीप कुमार सिकंदर ने इस बंजर भूमि पर पेड़ लगाकर हरियाली ला दी है. इस इलाके में दिलीप कुमार सिकंदर ने हजारों पेड़ लगाए हैं और पिछले 30 सालों से यह अनवरत जारी है. आज इनकी पहचान गया कि ग्रीन मैन के रूप में की जाती है.

शहीदों के नाम पर लगाते हैं पेड़: ग्रीन मैन सिकंदर शहीदों को पेड़-पौधे लगा कर अनोखी श्रद्धांजलि देता हैं. सिकंदर का देशभक्ति का जज्बा भी अनूठा है. देश के लिए शहीद होने वाले जवानों को पेड़ लगाकर श्रद्धांजलि देतें हैं. शहीदों और महापुरुषों के नाम लिखी तख्तियां भी पेड़ के पास लगाते हैं. पुलवामा, उड़ी में शहीद हुए जवानों को भी उन्होंने इसी रूप में श्रद्धांजलि दी है. पिछले 30 सालों की जिंदगी पेड़ लगाने में ही इन्होंने गुजार दिए हैं.

30 साल से लगा रहे हैं पेड़: सिकंदर की दिनचर्या पिछले 30 साल से ऐसी है जिसे जानकर हर कोई दंग रह जाता है. वह सुबह उठते ही घर के पास रहे प्रसिद्ध रामसागर तालाब पर पहुंचते हैं और यहां बिना किसी शुल्क के रोज यहां पेड़-पौधों और बगीचों में पानी देते हैं. उसे सजाते और संवारते हैं. इसके बाद वह ब्रह्मयोनि वाले इलाके में पहुंचते हैं और वहां रोजाना कई पौधों को लगाते हैं. पहले से लगाए गए पौधों में पानी भी रोज ही देता है और उन्हें संरक्षित करते है. पिछले 30 सालों में उसने अपना अधिकांश समय पेड़ों पहाड़ों पर ही गुजार दिए.

20 साल की उम्र में हुआ पेड़ों से प्यार: 20 साल की उम्र से जो पर्यावरण के प्रति उनका लगाव हुआ, वह फिर कभी भी कम नहीं हुआ. वह बताते हैं कि उसने अब तक एक लाख पेड़ लगा दिए है लेकिन उसे दुख है कि इन पेड़ों को बचाने के लिए सरकार की या जिला प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं की जाती है. सभी पेड़ सुरक्षित नहीं रह पाए हैं, इसके लिए कदम उठाने जरूरी है.

कटती वृक्षें करें पुकार, मैं हूं धरती का श्रृंगार: यह पंक्ति काफी कुछ कह जाती है. सिकंदर से ग्रीन मैन की ख्याति प्राप्त कर चुका, यह शख्स गया के टिलहा धर्मशाला मोहल्ले के रहने वाले हैं और इनके हरियाली से जुड़ा काम प्रेरणा वाला है. एक गरीब परिवार से आने वाले सिकंदर ने अकेले अपने दम पर ब्रह्म्योनी और इसके आस-पास अनगिनत पेड़ -पौधे लगाये हैं. सिकंदर बताते हैं की उन्होंने यह कार्य 1982 से प्रारंभ किया और अब तक 30-35 वर्ष बीत जाने पर भी निरंतर इस कार्य में लगे हुए हैं. बिना किसी स्वार्थ और सहयोग से ऐसा कर रहे हैं. दिन हो या रात जब मन किया, पेड़ों की देखरेख करने के लिए आ जाते हैं.


सिकंदर के तीन बच्चे हैं: सिकंदर कहते हैं कि घर पर उनके तीन बच्चे हैं, लेकिन पहाड़ों पर तो हजारों पेड़ के रूप में है, जिनका लालन –पोषण उन्हें ही करना है. जब कोई पौधा सुख या मुर्झा जाता है तो उन्हें बहुत चोट पहुंचती है. बचपन में जब भी वह ब्रह्म्योनी के आसपास पिकनिक मनाने आते तो यह खाली बंजर जमीन उन्हें बड़ी अजीब लगती तभी उन्होंने फैसला कर लिया कि इस सूखे को वे हरियाली में बदल कर रख देंगे. इस काम में लगन की वजह से वे गया के बाहर शायद ही कभी गए. इसका आर्थिक नुकसान भी उन्हें उठाना पड़ा है. सिकंदर ने तरह तरह के पेड़–पौधे जैसे आम, अमरुद, अनार, नींबू, आंवला और शीशम लगाये हैं जो कि न सिर्फ छाया और फल देते हैं, बल्कि पक्षियों को आकर्षित भी करते हैं.

ये भी पढ़ें- लखीसराय में तेजी से हो रहा पौधारोपण, गांधी मैदान में लगाए गए 600 पौधे

ये भी पढ़ें- रेलवे की लापरवाही- राजेंद्र नगर टर्मिनल पर सूख गए लाखों रुपये के पेड़-पौधे

विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP

Last Updated : May 20, 2022, 11:18 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.