दरभंगाः दुनिया आज 21वीं सदी में है, लेकिन आज भी देश की बड़ी आबादी अंधविश्वास (Superstition In Darbhanga) की जद में है. आलम ये है कि लोग सच को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं और अंधविश्वास के जाल में उलझते जा रहे हैं. बिहार के दरभंगा में कुछ ऐसा ही हुआ, जहां आठ दिन पहले नाव हादसे में लापता बच्चे के जिंदा वापस लाने के तांत्रिक के दावे के बाद पूरा गांव नदी किनारे दंड-प्रणाम करता रहा.
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दरअसल, कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड के क्षेत्र के कोनिया घाट पर 21 अक्टूबर को कमला नदी में हुई नाव दुर्घटना में 12 लोग डूब गए थे. इनमें से 10 लोगों की जान बच गई थी. लेकिन दो छात्र लापता हो गए थे. एक दिन बाद इन दोनों छात्रों में से एक का शव बरामद किया गया. लेकिन एक लापता ही रहा. उनके परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था. फिर किसी ने उन्हें तांत्रिक की सलाह लेनी की बात कही.
इसके बाद परिजनों के आग्रह पर सहरसा से कुछ महिला और पुरुष तांत्रिक घाट किनारे पहुंचकर मजमा लगा दिया. ढोलक-झाल के बीच खूब पूजा अर्चना की. इस दौरान गांव के सभी लोग नदी किनारे जुट गए थे. सभी इस दृश्य को देखने में जुटे थे. तांत्रिकों के कहने पर वे बार-बार जयकारे लगाते. उठक-बैठक करते. नदी को प्रणाम करते. लेकिन नतीजा कुछ नहीं हुआ.
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इस बारे में ग्रामीण केदार कुमार साह ने बताया कि तांत्रिकों ने लापता बच्चे को जिंदा वापस लाने का दावा किया तो लोग देखने जुट गए. पानी में डुबकी लगाकर घंटों तक तंत्र-मंत्र का दौर चला लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला. लोगों को उम्मीद थी कि जिंदा न सही, बच्चे की लाश ही निकल आए लेकिन अंधविश्वास तो अंधविश्वास ही होता है.
एक अन्य ग्रामीण शिवरतन साह ने कहा कि पूजा-अर्चना करते हुए तांत्रिक कह रहे थे कि कमला मैया ने डूबे हुए बच्चे को अपने पेट में रखी हुई हैं. उसके बाद कहा कि दुर्गा माता ने अपने खोंइंछा (आंचल) में रखा हुआ है. वही उसे लेकर उपर आएंगे. फिर जब घंटों तक चले इस तमाशे का कोई परिणाम नहीं निकला तो तांत्रिकों ने माफी मांगी और वापस लौट गए.