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दरभंगा में देश का पहला ज्योतिष चिकित्सा केंद्र, यहां कुंडली और हस्तरेखा देख होता है बीमारियों का इलाज - etv bihar

राजकीय दरभंगा आयुर्वेद कॉलेज (Darbhanga Ayurveda Hospital) ने ऐसी ही अनोखी पहल की है. यहां देश का पहला ज्योतिष चिकित्सा केंद्र (First Astrological Therapy Center) खोला गया है, जहां कुंडली और हस्तरेखा देख रोगों का पता लगाया जाता है और आयुर्वेदिक दवाओं से इलाज किया जाता है. पढ़ें ये रिपोर्ट..

देश का पहला ज्योतिष चिकित्सा केंद्र
देश का पहला ज्योतिष चिकित्सा केंद्र
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Published : Dec 2, 2021, 7:25 PM IST

दरभंगा: महारानी रमेश्वरी भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान (Maharani Rameshwari Indian Institute of Medical Sciences) और महाराजा कामेश्वर सिंह राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल (Maharaja Kameshwar Singh Government Ayurvedic Hospital) की ओर से एक अनोखी पहल की गई है. अस्पताल में ज्योतिष के माध्यम से आयुर्वेदिक इलाज शुरू हुआ है, जिसका अच्छा रिस्पांस भी मिल रहा है.

ये भी पढ़ें- आयुर्वेद का बढ़ा क्रेज: बड़ी संख्या में दूर-दराज से इलाज कराने पटना अस्पताल पहुंच रहे हैं मरीज

यहां वैसे आयुर्वेदिक चिकित्सकों की नियुक्ति की गई है जो ज्योतिष के भी डिग्रीधारी हैं. ऐसे चिकित्सक अस्पताल में आने वाले रोगियों की जन्म तिथि, जन्म समय और जन्म स्थान की जानकारी लेकर उनकी कुंडली बनाते हैं. वहीं, अगर किसी व्यक्ति को जन्म तिथि, जन्म स्थान और जन्म समय की जानकारी न हो तो उसका हाथ देखकर हस्तरेखा विज्ञान के माध्यम से कुंडली बनाई जाती है.

इसके बाद ग्रहों की स्थिति के अनुसार उस व्यक्ति के रोग का पता लगाया जाता है. तब उसके अनुसार उसे आयुर्वेदिक दवाएं दी जाती हैं. साथ ही रत्नों, हवन यज्ञ, मंत्र जाप और पूजा का भी सुझाव दिया जाता है. यहां आने वाले मरीजों का कहना है कि ज्योतिष और आयुर्वेद का मेल होने से उन्हें बीमारी के इलाज में काफी फायदा हो रहा है. हर दिन अस्पताल में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है जो ज्योतिष के माध्यम से आयुर्वेदिक इलाज करवाने पहुंच रहे हैं.

देखें रिपोर्ट

ज्योतिष से आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment with astrology) करवाने पहुंची एक मरीज शोभा कुमारी ने कहा कि ''मुझे आंख की बीमारी है. जब मैं यहां आईं तो जन्म तिथि, जन्म स्थान और जन्म समय पूछकर चिकित्सक ने मेरी आंख की बीमारी को पहचान लिया. इसके बाद मुझे आयुर्वेदिक दवाएं तो दी ही गईं, साथ ही पूजा और मंत्र जाप का सुझाव भी दिया गया है. इससे मुझे फायदा हो रहा है.''

ये भी पढ़ें- कोरोना काल में लोगों के लिए 'संजीवनी' बना राजकीय आयुर्वेद अस्पताल, कई मरीजों को मिला लाभ

राजकीय आयुर्वेद अस्पताल के चिकित्सक डॉ. दिनेश कुमार ने कहा कि वे ज्योतिष के माध्यम से कुंडली बनाकर यहां आने वाले लोगों की बीमारियों की पहचान करते हैं. उन्होंने कहा कि जन्म तिथि, जन्म स्थान और जन्म समय की जानकारी लेकर कुंडली बनाई जाती है. साथ ही हस्तरेखा विज्ञान के माध्यम से भी व्यक्ति की कुंडली बनाई जाती है. उसके बाद उसे दवा और पूजा पाठ का सुझाव दिया जाता है.

''प्राचीन काल में जो आयुर्वेदिक चिकित्सक होते थे वे ज्योतिषी भी होते थे और जो ज्योतिषी होते थे वे आयुर्वेदिक चिकित्सक भी होते थे. इससे इलाज में काफी फायदा होता था. धीरे-धीरे यह परंपरा विलुप्त होती गई और आज लोग आयुर्वेद और ज्योतिष को अलग-अलग समझ रहे हैं. आयुर्वेदिक अस्पताल में इसे पुनर्जीवित किया गया है और लोग इसका लाभ उठा रहे हैं.''- डॉ. दिनेश कुमार, चिकित्सक, राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल, दरभंगा

ये भी पढ़ें- 18 साल से बंद पड़े दरभंगा आयुर्वेद कॉलेज में अगले सत्र से शुरू होगी पढ़ाई, राज्य सरकार ने जारी की अधिसूचना

वहीं, महाराजा कामेश्वर सिंह राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल के अधीक्षक सह महारानी रामेश्वरी भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान के प्रधानाचार्य प्रो. डॉ. दिनेश्वर प्रसाद ने कहा कि आज आयुर्वेद, ज्योतिष, योग विज्ञान और प्राकृतिक चिकित्सा विज्ञान अलग-अलग हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि एक समय था जब ये सभी भारतीय विज्ञान एक ही साथ हुआ करते थे.

''आयुर्वेद की तरह ज्योतिष भी एक विज्ञान है और दोनों के समावेश से रोगों की पहचान और उनका इलाज आसान हो जाता है. महारानी रमेश्वरी भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान की स्थापना का उद्देश्य ही यह था कि यहां आयुर्वेद के साथ-साथ ज्योतिष, योग और नेचुरोपैथी का संगम हो, जो धीरे-धीरे समाप्त हो गया. हम दरभंगा राज की साढ़े 5 सौ साल पुरानी परंपरा को जीवित कर रहे हैं और मिथिला के इस ज्ञान के माध्यम से देश के लोगों तक इसे पहुंचा रहे हैं.''- डॉ. दिनेश्वर प्रसाद, प्रधानाचार्य, महारानी रमेश्वरी भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान, दरभंगा

ये भी पढ़ें- पटना: कोरोना को मात देने के लिए आयुर्वेद अस्पताल में तैयार हो रही 'इम्युनिटी बूस्टर' औषधि

बता दें कि 18 साल से बंद राजकीय दरभंगा आयुर्वेद कॉलेज में आने वाले साल 2022 से दोबारा पढ़ाई शुरू होने जा रही है. इसको लेकर कॉलेज और अस्पताल में नई-नई सेवाएं शुरू हो रही हैं. 22 एकड़ में फैले इस संस्थान की स्थापना दरभंगा राज की ओर से की गई थी. 1975 में बिहार सरकार (Bihar Government) ने इसका अधिग्रहण कर लिया. उसके बाद यहां से बीएएमएस कोर्स (BAMS Course) की पढ़ाई शुरू हुई. वर्ष 2004 में मानक पूरा नहीं करने की वजह से यहां एडमिशन पर रोक लगा दी गई थी, तब से यह वीरान पड़ा था.

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दरभंगा: महारानी रमेश्वरी भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान (Maharani Rameshwari Indian Institute of Medical Sciences) और महाराजा कामेश्वर सिंह राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल (Maharaja Kameshwar Singh Government Ayurvedic Hospital) की ओर से एक अनोखी पहल की गई है. अस्पताल में ज्योतिष के माध्यम से आयुर्वेदिक इलाज शुरू हुआ है, जिसका अच्छा रिस्पांस भी मिल रहा है.

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यहां वैसे आयुर्वेदिक चिकित्सकों की नियुक्ति की गई है जो ज्योतिष के भी डिग्रीधारी हैं. ऐसे चिकित्सक अस्पताल में आने वाले रोगियों की जन्म तिथि, जन्म समय और जन्म स्थान की जानकारी लेकर उनकी कुंडली बनाते हैं. वहीं, अगर किसी व्यक्ति को जन्म तिथि, जन्म स्थान और जन्म समय की जानकारी न हो तो उसका हाथ देखकर हस्तरेखा विज्ञान के माध्यम से कुंडली बनाई जाती है.

इसके बाद ग्रहों की स्थिति के अनुसार उस व्यक्ति के रोग का पता लगाया जाता है. तब उसके अनुसार उसे आयुर्वेदिक दवाएं दी जाती हैं. साथ ही रत्नों, हवन यज्ञ, मंत्र जाप और पूजा का भी सुझाव दिया जाता है. यहां आने वाले मरीजों का कहना है कि ज्योतिष और आयुर्वेद का मेल होने से उन्हें बीमारी के इलाज में काफी फायदा हो रहा है. हर दिन अस्पताल में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है जो ज्योतिष के माध्यम से आयुर्वेदिक इलाज करवाने पहुंच रहे हैं.

देखें रिपोर्ट

ज्योतिष से आयुर्वेदिक इलाज (Ayurvedic treatment with astrology) करवाने पहुंची एक मरीज शोभा कुमारी ने कहा कि ''मुझे आंख की बीमारी है. जब मैं यहां आईं तो जन्म तिथि, जन्म स्थान और जन्म समय पूछकर चिकित्सक ने मेरी आंख की बीमारी को पहचान लिया. इसके बाद मुझे आयुर्वेदिक दवाएं तो दी ही गईं, साथ ही पूजा और मंत्र जाप का सुझाव भी दिया गया है. इससे मुझे फायदा हो रहा है.''

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राजकीय आयुर्वेद अस्पताल के चिकित्सक डॉ. दिनेश कुमार ने कहा कि वे ज्योतिष के माध्यम से कुंडली बनाकर यहां आने वाले लोगों की बीमारियों की पहचान करते हैं. उन्होंने कहा कि जन्म तिथि, जन्म स्थान और जन्म समय की जानकारी लेकर कुंडली बनाई जाती है. साथ ही हस्तरेखा विज्ञान के माध्यम से भी व्यक्ति की कुंडली बनाई जाती है. उसके बाद उसे दवा और पूजा पाठ का सुझाव दिया जाता है.

''प्राचीन काल में जो आयुर्वेदिक चिकित्सक होते थे वे ज्योतिषी भी होते थे और जो ज्योतिषी होते थे वे आयुर्वेदिक चिकित्सक भी होते थे. इससे इलाज में काफी फायदा होता था. धीरे-धीरे यह परंपरा विलुप्त होती गई और आज लोग आयुर्वेद और ज्योतिष को अलग-अलग समझ रहे हैं. आयुर्वेदिक अस्पताल में इसे पुनर्जीवित किया गया है और लोग इसका लाभ उठा रहे हैं.''- डॉ. दिनेश कुमार, चिकित्सक, राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल, दरभंगा

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वहीं, महाराजा कामेश्वर सिंह राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल के अधीक्षक सह महारानी रामेश्वरी भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान के प्रधानाचार्य प्रो. डॉ. दिनेश्वर प्रसाद ने कहा कि आज आयुर्वेद, ज्योतिष, योग विज्ञान और प्राकृतिक चिकित्सा विज्ञान अलग-अलग हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि एक समय था जब ये सभी भारतीय विज्ञान एक ही साथ हुआ करते थे.

''आयुर्वेद की तरह ज्योतिष भी एक विज्ञान है और दोनों के समावेश से रोगों की पहचान और उनका इलाज आसान हो जाता है. महारानी रमेश्वरी भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान की स्थापना का उद्देश्य ही यह था कि यहां आयुर्वेद के साथ-साथ ज्योतिष, योग और नेचुरोपैथी का संगम हो, जो धीरे-धीरे समाप्त हो गया. हम दरभंगा राज की साढ़े 5 सौ साल पुरानी परंपरा को जीवित कर रहे हैं और मिथिला के इस ज्ञान के माध्यम से देश के लोगों तक इसे पहुंचा रहे हैं.''- डॉ. दिनेश्वर प्रसाद, प्रधानाचार्य, महारानी रमेश्वरी भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान, दरभंगा

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बता दें कि 18 साल से बंद राजकीय दरभंगा आयुर्वेद कॉलेज में आने वाले साल 2022 से दोबारा पढ़ाई शुरू होने जा रही है. इसको लेकर कॉलेज और अस्पताल में नई-नई सेवाएं शुरू हो रही हैं. 22 एकड़ में फैले इस संस्थान की स्थापना दरभंगा राज की ओर से की गई थी. 1975 में बिहार सरकार (Bihar Government) ने इसका अधिग्रहण कर लिया. उसके बाद यहां से बीएएमएस कोर्स (BAMS Course) की पढ़ाई शुरू हुई. वर्ष 2004 में मानक पूरा नहीं करने की वजह से यहां एडमिशन पर रोक लगा दी गई थी, तब से यह वीरान पड़ा था.

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