भागलपुरः विश्व पटल पर भागलपुर (Bhagalpur In Bihar) को सिल्क सिटी (Silk City) के नाम से जाना जाता है. लेकिन जिनकी मेहनत और हुनर से इस शहर को पहचान मिली, वही आज भूखमरी की कगार पर आ गए हैं. कोरोना (Covid Pandemic) के कारण बुनकरों के हालात तो यूं ही खस्ता थे, बाढ़ (Flood In Bihar) ने रही सही कसर भी पूरी कर दी.
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गंगा के बढ़ते जलस्तर के साथ ही नाथनगर के चंपा नदी में आए उफान के कारण बुनकर बाहुल्य इलाके चंपानगर मेदिनीनगर वार्ड नंबर 3 और 4 में पानी आ गया. इसके कारण सैकड़ों की संख्या में कारखानें और पावर लूम में पानी घुस गया. पानी इतनी तेजी से फैला कि बुनकरों को पावर लूम से कपड़े और धागे हटाने की मोहलत तक नहीं मिली.
पावर लूम और कारखानों के डूब जाने से बुनकरों को करोड़ों रूपये का नुकसान हुआ है. आलम ये है कि बुनकरों पर रोजी-रोटी का संकट है. बीते 10 दिनों से उद्योग और कारोबार ठप है. हालांकि, अब धीरे-धीरे कारखानों से पानी निकलने लगे हैं. काफी दिनों तक पानी में रहने के कारण पावर लूम में जंग लग गया है और खराब हो गया है.
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कारोबारियों ने बताया कि एक पावर लूम को ठीक कराने में करीब 20 हजार रूपये की राशि खर्च आती है. पावर लूम में लगे धागे और कपड़े अलग.
"कोरोना के कारण 2 साल से कारोबार मंदा था. अब धीरे-धीरे सबकुछ पटरी पर लौट रहा था, लेकिन बाढ़ ने फिर से सब बर्बाद कर दिया. पानी में डूब जाने के कारण कारखाने का सारा पावरलूम डूब गया. 1 पावर लूम में 10 से 15 कारीगर काम करते थे, लेकिन अब उन लोगों की रोजी-रोटी भी चली गई है. सभी लोग भूखमरी का शिकार बनते जा रहे हैं. बाढ़ के कारण लोगों को घर छोड़कर सड़कों पर शरण लेना पड़ा है. फिलहाल सरकार को हमलोगों के लिए कुछ करना चाहिए. अगर कुछ मुआवजा मिल जाती तो इसकी मदद से रोजगार पटरी पर लौट सकती है."- मोहम्मद खबीर अंसारी, कारखाना मालिक
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बुनकर शहजादी बताती हैं कि वे अपने पावर लूम में दूसरों से धागा लेकर कपड़ा तैयार करती थी. लेकिन बाढ़ आ जाने के कारण सबकुछ बर्बाद हो गया. अचानक पानी आने से हमें अचानक सबकुछ छोड़कर भागना पड़ा. कारखाने में अब भी एक से डेढ़ फीट तक पानी जमा है. शहजादी ने बताया कि अकेले उनका 50 हजार रूपये का नुकसान हुआ है.
"मेरे कारखाने में 8 पावरलूम मशीनें लगी हुई हैं. सभी पानी में डूबी हुई हैं. पानी के कारण सब खराब हो चुके हैं. मशीनों को ठीक कराने में करीब 80 हजार रूपये खर्च होंगे, लेकिन उनके पास पैसे नहीं हैं. इस इस संकट की स्थिति में हमें सरकार से मदद की उम्मीद है.''- मोहम्मद गुलफार अंसारी, कारखाना मालिक
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कारोबारी हसनैन अंसारी ने बताया कि भागलपुर को जिन बुनकरों ने अपनी हुनर और मेहनत के दम पर सिल्क सिटी का नाम दिलाया, आज वे संकट से घिरे हैं. उनके सामने रोजी-रोटी जुटा पाना सबसे बड़ा संकट है. इस स्थिति में भी बुनकरों का हाल जानने के लिए न तो कोई नेता आया है और न ही कोई सरकारी मुलाजिम. सरकार को इनके लिए तत्काल कोई कदम उठाना चाहिए और उचित मुआवजा देना चाहिए.
बताते चलें कि भागलपुर के इस इलाके में 250 से अधिक पावरलूम कारखाने हैं, जो बाढ़ में डूब गए. अभी भी इन कारखानों में करीब 2 फीट पानी जमा है. बाढ़ के कारण बुनकरों को करीब 50 करोड़ रूपये नुकसान होने का अनुमान है. अब तक किसी भी तरह की कोई प्रशासनिक मदद नहीं मिली है. कारोबारियों और बुनकरों ने बताया कि अगर फिर से उठ खड़े होने के लिए अगर सहायता सरकार नहीं देती है, तो वे पलायन करने को मजबूर हो जाएंगे.
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